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'संविधान ही सर्वोच्च है, सेवानिवृत्ति के बाद नहीं लूंगा कोई पद', मनोनीत प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई का बड़ा बयान

मनोनीत प्रधान न्यायाधीश बीआई गवई ने कहा कि युद्ध निरर्थक है। उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि इससे कोई ठोस लाभ नहीं होने वाला है।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : May 11, 2025 23:22 IST, Updated : May 11, 2025 23:30 IST
मनोनीत प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई
Image Source : FILE PHOTO मनोनीत प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई

मनोनीत प्रधान न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने रविवार को कहा कि वह सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी तरह का पद नहीं लेंगे। उन्होंने संविधान को सर्वोच्च बताकर इस बहस पर विराम लगा दिया कि संसद या न्यायपालिका में से कौन श्रेष्ठ है। 

14 मई को संभालेंगे सीजेआई का पद

न्यायमूर्ति गवई 14 मई को देश के प्रधान न्यायाधीश का पद ग्रहण करेंगे और वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध होंगे। उन्होंने यहां अपने आवास पर पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में कहा कि शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पहलगाम आतंकवादी हमले के बारे में सुनकर स्तब्ध थे। 

न्यायपालिका के खिलाफ बयानों जैसे मुद्दों पर बात की

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना के अनुपस्थित रहने के कारण उनके द्वारा बुलाई गई पूर्ण न्यायालय बैठक का भी जिक्र किया। न्यायमूर्ति गवई ने लंबित मामलों से लेकर अदालतों में रिक्तियों, न्यायाधीशों द्वारा राजनीतिक नेताओं सहित आम लोगों से मुलाकात और न्यायपालिका के खिलाफ बयानों जैसे मुद्दों पर बात की। 

जब देश संकट में हो तो कोर्ट अलग नहीं रह सकता

उन्होंने कहा, ‘जब देश संकट में हो तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता। हम भी देश का हिस्सा हैं।’ राजनीतिक नेताओं और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस बयान के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कि संसद सर्वोच्च है, उन्होंने कहा, ‘संविधान सर्वोच्च है। केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ ने भी यही कहा है।’ 

मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं- गवई

न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल जैसे राजनीतिक पद स्वीकार करने से संबंधित प्रश्न पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है। मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लूंगा।’ 

देश की एकता एवं आत्मीयता का हुआ एहसास- गवई

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश के लिए राज्यपाल का पद प्रोटोकॉल के हिसाब से प्रधान न्यायाधीश के पद से नीचे है। न्यायमूर्ति गवई ने अपनी हाल की मणिपुर यात्रा को याद करते हुए कहा कि एक वृद्ध महिला ने अपने घर में उनका स्वागत किया और इससे उन्हें देश की एकता एवं आत्मीयता का एहसास हुआ। 

गवई ने कहा कि न्यायाधीश भी देश के नागरिक हैं और पहलगाम में हुई वीभत्स घटना के बारे में जानने के बाद उन्होंने प्रधान न्यायाधीश खन्ना से परामर्श किया तथा मौतों पर शोक व्यक्त करने के लिए शीर्ष अदालत की ओर से बयान जारी करने का निर्णय लेने के वास्ते पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई।  (भाषा के इनपुट के साथ)

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