Thursday, April 24, 2025
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परीक्षा देकर लौटी 10वीं की छात्रा, हॉस्टल में बच्चे को दिया जन्म, कांग्रेस नेता बोले- इससे शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब आदिवासी समुदाय की एक महिला देश की राष्ट्रपति है और राज्य का मुख्यमंत्री भी एक आदिवासी है। ऐसे में आदिवासी बच्चों के प्रति लापरवाही की वह निंदा करते हैं।

Edited By: Shakti Singh
Published : Feb 27, 2025 14:20 IST, Updated : Feb 27, 2025 14:20 IST
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Image Source : META AI प्रतीकात्मक तस्वीर

ओडिशा के मलकानगिरी में 10वीं कक्षा की छात्रा के मां बनने पर बवाल मचा हुआ है। छात्रा 10वीं की परीक्षा देकर हॉस्टल लौटी थी और समय से पहले बच्चे को जन्म दिया। इस मामले में पुलिस ने बुधवार को 22 वर्षीय एक युवक को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि इसी युवक ने सरकारी आवासीय विद्यालय की 10वीं कक्षा की छात्रा से बलात्कार कर उसे गर्भवती किया। युवक ने अपने ऊपर लगे आरोपों को स्वीकार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार, सोमवार को 10वीं की बोर्ड परीक्षा से लौटने के बाद लड़की ने अपने छात्रावास में समय से पहले बच्चे को जन्म दिया, जिसके बाद मां और उसके नवजात शिशु दोनों को मलकानगिरी जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि लड़की का पड़ोसी युवक को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) और भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (बलात्कार) और 65 (1) (16 साल से कम उम्र की लड़की से बलात्कार) के तहत गिरफ्तार किया गया है।

आरोपी ने थाने आकर बताई हकीकत

अधिकारी ने बताया कि आरोपी पुलिस थाने आया और उसने लड़की के साथ संबंध बनाने की बात स्वीकार की। अधिकारियों ने बताया कि मामले को गंभीरता से लेते हुए ओडिशा सरकार ने प्रधानाध्यापक के साथ-साथ एक सहायक नर्स और दाई को निलंबित कर दिया है और छात्रावास की मेट्रन को भी हटा दिया है। यह स्कूल एसटी और एससी विकास, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा चलाया जाता है। लड़की के माता-पिता ने मंगलवार को स्कूल अधिकारियों से पूछा कि प्रसव पीड़ा शुरू होने तक गर्भावस्था को कैसे छिपाया गया।

कांग्रेस ने साधा निशाना

ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने कहा, "आदिवासी समुदाय से आने वाली 10वीं की छात्रा छात्रावास में रहती है, वह परीक्षा देने जाती है और एक बच्चे को जन्म देती है। यह राज्य और प्रशासन के लिए शर्मनाक बात है। प्रशासन के लोग हर महीने जाते हैं, स्कूल में बच्चों से बात करते हैं। आदिवासी बच्चों के स्कूलों का दौरा करना उनकी जिम्मेदारी है। आदिवासी स्कूलों और समुदायों से जुड़े अधिकार राज्यपाल के पास हैं। इसलिए राज्यपाल को आदिवासी बच्चों के पालन-पोषण की समीक्षा करनी चाहिए। एक निगरानी व्यवस्था है। विधानसभा में एससी एसटी समिति है, जिसे स्कूलों का दौरा करना चाहिए। भाजपा सरकार में, जब एक आदिवासी समुदाय की महिला राष्ट्रपति है और एक आदिवासी हमारा सीएम है, तो हम आदिवासी बच्चों के प्रति ऐसी लापरवाही की कड़ी निंदा करते हैं।" (इनपुट- एएनआई/पीटीआई)

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