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Rajat Sharma's Blog: ना समर्पण, ना दबाव: युद्धविराम का कारण पाकिस्तान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रेसीडेंट ट्रंप से साफ कह दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ। सीजफायर का फैसला भारत और पाकिस्तान के DGMO की बातचीत के बाद हुआ, इसमें अमेरिका का कोई रोल नहीं था।

Written By: Rajat Sharma @RajatSharmaLive
Published : Jun 19, 2025 18:26 IST, Updated : Jun 19, 2025 19:17 IST
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Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर के साथ लंच के बाद फिर से दावा किया कि ‘मैंने ही भारत-पाकिस्तान जंग रुकवाई’, लेकिन साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी आर्मी चीफ को जंग रुकवाने का श्रेय दिया। दोनों को ट्रम्प ने स्मार्ट लीडर कहा। ट्रम्प ने कहा, “मैंने जंग रुकवाई, मुझे पाकिस्तान से प्यार है, मोदी शानदार नेता हैं। मैंने कल रात उनसे फोन पर बात की थी। हम मोदी के भारत के साथ व्यापार समझौता करने जा रहे हैं। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच जंग मैंने रुकवाई। पाकिस्तान की तरफ से इस व्यक्ति (मुनीर) ने प्रभावशाली ढंग से जंग रुकवाने में काम किया, और भारत की तरफ से मोदी ने जंग रुकवाई। दोनों एटमी ताकतें हैं। मैंने जंग रुकवा दी। इनको (मुनीर को) यहां मैंने इसलिए बुलाया, क्योंकि मैं उन्हें जंग रोकने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। मैंने मोदी को भी धन्यवाद दिया है। हम भारत और पाकिस्तान के साथ व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं। मुझे खुशी है कि इन दोनों स्मार्ट नेताओं ने जंग आगे न बढ़ाने का फैसला किया, वरना परमाणु युद्ध हो सकता था। दोनों बड़ी परमाणु ताकतें हैं।” व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना कैली ने कहा कि आसिम मुनीर को ट्रम्प ने लंच का न्यौता इसलिए दिया क्योंकि मुनीर ने ट्रम्प को भारत-पाकिस्तान जंग रुकवाने के कारण नोबेल शांति पुरस्कार देने का सुझाव दिया है।

इससे कुछ घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रेसीडेंट ट्रंप से साफ कह दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीजफायर पाकिस्तान के अनुरोध पर हुआ। सीजफायर का फैसला भारत और पाकिस्तान के DGMO की बातचीत के बाद हुआ, इसमें अमेरिका का कोई रोल नहीं था। मोदी ने ट्रंप से कहा कि इस दौरान अमेरिका से जो बात हुई, उसमें सीजफायर या ट्रेड डील जैसे मसलों का जिक्र नहीं हुआ। फोन पर ये बातचीत राष्ट्रपति ट्रंप की पहल पर हुई। मोदी और ट्रंप के बीच पैंतीस मिनट बात हुई। इस दौरान मोदी ने ट्रंप से दो-टूक तीन बातें कहीं। पहली, भारत पाकिस्तान के साथ अपने मसले खुद सुलझाने में सक्षम है। इसमें भारत ने पहले भी किसी तीसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की, अब भी नहीं करता और आगे भी नहीं करेगा। इसमें किसी तीसरे के पंच बनने की कोई गुंजाइश नहीं हैं। दूसरी बात, ऑपरेशन सिंदूर पहलगाम के आतंकवादी हमले का जवाब था, ऑपरेशन सिंदूर अभी जारी है। तीसरी बात, अब भारत किसी भी आतंकी हमले को ACT OF WAR मानेगा और इसका जवाब युद्ध स्तर पर ही दिया जाएगा। भारत ने ये बात ऑपरेशन सिंदूर के वक्त ही दुनिया को बता दी थी। इसलिए अब इस मुद्दे पर किसी को कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए।

ट्रंप ने मोदी की बात का समर्थन किया और आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत का साथ देने का वादा किया। इसके बाद ट्रम्प ने मोदी से कहा कि वो कनाडा से भारत लौटते समय वॉशिंगटन होते हुए जाएं। लेकिन मोदी ने पहले से तय प्रोग्राम का हवाला दिया और असमर्थता जाहिर की। पाकिस्तान के आर्मी चीफ के साथ लंच के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने बताया कि 'मोदी इज ए फैन्टास्टिक मैन' और चूंकि बात चल रही थी ईरान इस्राइल जंग की, तो चलते चलते ट्रंप ने ये डॉयलॉग दिया कि मैंने भारत और पाकिस्तान के बीच जंग रुकवाई क्योंकि ये दोनों एटमी ताकतें हैं। इसी तरह वो ईरान-इस्राइल जंग  भी खत्म करवा सकते हैं। अब ट्रंप तो ट्रंप है। कब क्या कहें, फिर कब पलट जाएं, कोई नहीं जानता। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पाकिस्तान के साथ युद्धविराम को लेकर सबसे बड़े रहस्य से पर्दा उठा दिया। बार-बार पूछा जा रहा था कि ट्रंप ने बार-बार ये क्यों कहा कि उन्होंने ट्रेड डील की धमकी देकर भारत और पाकिस्तान का युद्ध रुकवाया। मोदी ने साफ कर दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के साथ न सीजफायर पर बात हुई, और न व्यपार समझौता की कोई बात हुई। ये बात गलत है कि भारत ने अमेरिका के प्रेशर में आकर सीजफायर किया और ये बात भी गलत है कि भारत किसी ट्रेड डील के दबाव में था।

भारत का फोकस आतंकवाद के ठिकानों और आकाओं को तबाह करने का था। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान का क्या इतिहास  है, ये अमेरिका अच्छी तरह जानता है। अमेरिका को मालूम है कि ओसामा बिन लादेन कहां छुपा हुआ था, किसने छुपाया था। अमेरिका के रिकॉर्ड में है कि 1993 में वर्ल्ड ट्रेड टावर पर जो हमला हुआ, 9/11 हमला हुआ, टाइम्स स्क्वेयर पर आतंकवादी हमला हुआ, इन सब में पाकिस्तानी दहशतगर्द शामिल थे। ये सब भागकर पाकिस्तान में छिपे थे और वहीं से पकड़े गए थे। अमेरिका खुद पाकिस्तान के आतंकवाद का शिकार है लेकिन इस समय अमेरिका को पाकिस्तान की ज़रूरत है, क्योंकि ट्रम्प ईरान पर हमला करना चाहते हैं।

मोदी और ट्रंप की फोन पर बातचीत को लेकर कांग्रेस को मिर्ची क्यों लगी? जैसे ही विदेश सचिव का बयान आया, उसके थोड़ी ही देर के बाद कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सरकार के दावों पर सवाल उठा दिए। जयराम रमेश ने व्हाइट हाउस का एक प्रेस नोट दिखाकर दावा किया कि ट्रंप और मोदी की बातचीत पर व्हाइट हाउस की तरफ से जारी बयान तो विदेश सचिव के बयान के ठीक उलट है।  लेकिन कुछ देर बाद कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश हो गया। पता लगा जयराम रमेश व्हाइट हाउस का जिस नोट का हवाला दे रहे थे, वो   27 जनवरी का एक पुराना नोट है। इसका ट्रंप और मोदी की फोन पर हुई बातचीत से कोई लेना-देना नहीं है। हकीकत ये है कि ट्रंप और मोदी की बातचीत पर व्हाइट हाउस की तरफ से कोई बयान नहीं आया। फिर भी जयराम रमेश ने  6 महीने पुरानी खबर दिखाकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की और बाद में अपनी गलती मानी।

ये तो साफ है कि ट्रंप को कॉल करके मोदी ने कांग्रेस के ‘सरेंडर’ वाले नैरेटिव की हवा निकाल दी। कांग्रेस को चुप हो जाना चाहिए था लेकिन बिना सोचे समझे मोदी पर हमला करते जाना, कांग्रेस के कुछ लोगों की आदत हो गई है। इसी चक्कर में जयराम रमेश फंस गए और ये कोई पहली बार नहीं है। पहले पहलगाम पर मोदी के मौन रहने पर सवाल उठाए, जब प्रधानमंत्री बोले तो कहा ये इलेक्शन गिमिक है। पहले कहा कि पाकिस्तान को जवाब क्यों नहीं देते, जब घुस कर मारा, तो कांग्रेस ने कहा कि युद्ध कोई समाधान नहीं है। राहुल गांधी ने तो ऐसा इंप्रेशन दिया कि पाकिस्तान ने हमारे कई फाइटर प्लेन मार गिराए। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने ऑपरेशन सिंदूर को छिटपुट हमला करार दे दिया। हमारी फौज ने सबूतों के साथ दिखाया कैसे सटीक, नपे-तुले हमले करके पाकिस्तान के अंदर जाकर आतंकवादी अड्डे और एयरबेस तबाह किए गए। जिस बात से घबराकर पाकिस्तान अमेरिका के पास जाकर रोया, वो राहुल और उनकी टीम समझने को तैयार नहीं है। वो बस यही दोहराते रहे कि ट्रंप ने क्यों बोला। प्रधानमंत्री मोदी ने इसका भी सटीक, नपा-तुला जवाब दे दिया। ये बिलकुल साफ हो गया कि भारत अमेरिका के सामने नहीं झुका। जब हमारी सेनाओं को लगा कि अपना काम हो गया, अब फायरिंग रोकने में कोई नुकसान नहीं है, तो DGMO की बात मान ली।

जब ट्रम्प ईरान पर हमला करेंगे, मुनीर का इस्तेमाल करेंगे

हैरानी की बात ये है कि इतनी बुरी तरह मार खाने के बाद पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर आजकल अमेरिका में घूम रहे हैं। पूरे पाकिस्तान में ये ढोल पीटा जा रहा है कि जनरल आसिम मुनीर को प्रेसीडेंट ट्रंप ने लंच पर बुलाया है। लेकिन ट्रंप के साथ लंच से पहले वॉशिंगटन में जनरल मुनीर की आरती कैसे उतारी गई। जनरल आसिम मुनीर जब पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करने पहुंचे, तो उस वक्त होटल के सामने सैकड़ों पाकिस्तानियों ने खूनी हत्यारा कहते हुए नारेबाजी की। अगले दिन मुनीर जब एक मॉल में टहलने गए तो उनके साथ सिर्फ सात सिक्योरिटी गार्ड्स थे, लेकिन उनका विरोध करने के लिए सात सौ से ज्यादा पाकिस्तानी पहुंचे थे। अमेरिका के अलग-अलग शहरों से आए पाकिस्तानी मूल के लोगों ने मुनीर को कातिल और भगोड़ा कहा। इन लोगों ने जनरल मुनीर के खिलाफ नारे लगाए और कहा कि आसिम मुनीर पाकिस्तान में लोकतंत्र का लुटेरा है।

पाकिस्तानी सियासत के जानकारों के मुताबिक आसिम मुनीर को अमेरिका में जिस तरह के विरोध का सामना करना पड़ रहा है, ऐसा पाकिस्तान के किसी आर्मी चीफ के साथ पहले कभी नहीं हुआ था। उनका कहना है कि चाहे देश में रहने वाले पाकिस्तानी हों या फिर विदेश में रहने वाले, इन सबके बीच आसिम मुनीर की छवि अच्छी नहीं है। ज्यादातर लोग मानते हैं कि आसिम मुनीर ने पाकिस्तान में लोकतांत्रिक सरकार की बजाए अपनी कठपुतली सरकार बनाई है, इसलिए मुनीर का विरोध हो रहा है। पाकिस्तानी पत्रकार आरिफा जाकिया ने कहा कि जनरल मुनीर के फेमली मेंबर्स और उसके करीबियों ने ट्रंप फैमिली की होल्डिंग वाली क्रिप्टो करेंसी कंपनी में इंवेस्ट किया है। जनरल मुनीर ट्रंप को खुश करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। इसीलिए उन्हें ट्रंप का न्यौता मिला है।

पाकिस्तान के PTI नेता बैरिस्टर शहजाद अकबर ने कहा कि आसिम मुनीर ने पहले पाकिस्तान के नेताओं की चापलूसी की और आर्मी चीफ की कुर्सी तक पहुंचे। अब वो ट्रंप की चापलूसी करके पाकिस्तान की सत्ता पर काबिज होना चाहते हैं। आसिम मुनीर अब वो सब करेंगे, जो ट्रंप कहेंगे। इसमें कोई शक नहीं कि जनरल मुनीर भारत में पहलगाम नरसंहार का गुनहगार है। वो किसी सम्मान का हकदार नहीं है। लेकिन व्हाइट हाउस में लंच के लिए किसे बुलाया जाए, किसे डिनर के लिए बुलाया जाए, ये भारत कैसे तय कर सकता है? क्या जयराम रमेश ट्रंप को बताएंगे कि उन्होंने मोदी के साथ अपनी बातचीत पर बयान जारी क्यों नहीं किया? क्या संजय राउत ट्रंप को समझाएंगे कि उन्हें अपने शब्द वापस लेने चाहिए? ये निहायत बचकानी बातें हैं। न कोई ट्रंप की जुबान पर लगाम लगा सकता है, न कोई व्हाइट हाउस की गेस्ट लिस्ट तय कर सकता है। ये जरूर पूछा जाएगा कि आखिर ट्रंप ने मुनीर को क्यों बुलाया? ट्रंप के निशाने पर ईरान है।

पाकिस्तान की ईरान से करीब 1000 किलोमीटर लम्बी सरहद लगी हुई है।  ईरान पर हमला करने के लिए अमेरिका को पाकिस्तान के एयरबेस की जरूरत होगी। पाकिस्तान के एयरस्पेस की आवश्यकता होगी। खबर तो ये भी है कि अमेरिका के spy planes अभी से पाकिस्तान के एयरस्पेस में हैं और ईरान की सीमा से सूचनाएं इक्ट्ठी की जा रही है। ट्रंप ने अपना काम निकालने के लिए आसिम मुनीर को लंच दिया, तो उन्हें कौन रोक सकता है? अमेरिका को अपना काम निकालना है, इसके लिए वह पाकिस्तान को थोड़ा सहलाए, थोड़ा बहलाए, तो इसे कौन रोक सकता है? पहले भी अमेरिका ने अफगानिस्तान में सोवियत सेना से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान का इस्तेमाल किया था। फिर जनरल मुशर्रफ ने 9/11 के बाद अफगानिस्तान से तालिबान का खात्मा करने के लिए अमेरिकी सेना को अपने मुल्क की तरफ से सारी सहूलियतें दी थी। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दो महीने पहले  कहा था कि अमेरिका का dirty job  करने के लिए पाकिस्तान ने आतंकवादियों की फौज खड़ी की, जिसका खमियाजा उसे भुगतना पड़ा। अब अगर पाकिस्तान फिर से इस्तेमाल होने के लिए तैयार है, तो कोई क्या कर सकता है? (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 18 जून, 2025 का पूरा एपिसोड

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