Saturday, December 14, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राष्ट्रीय
  4. कांवड़ रूट पर नेम प्लेट लगाना अब जरूरी नहीं, लेकिन दुकानदारों को सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश मानना होगा

कांवड़ रूट पर नेम प्लेट लगाना अब जरूरी नहीं, लेकिन दुकानदारों को सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश मानना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ रूट पर पड़ने वाले ढाबे, रेस्टोरेंट और खाने के होटल के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि खाद्य विक्रेताओं के मालिकों या कर्मचारियों को नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।

Edited By: Dhyanendra Chauhan @dhyanendraj
Published : Jul 22, 2024 15:32 IST, Updated : Jul 22, 2024 20:59 IST
नेम प्लेट मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO-PTI नेम प्लेट मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर रेस्टोरेंट और दुकानों पर नेम प्लेट संबंधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खाद्य विक्रेताओं या दुकान के मालिकों और कर्मचारियों का नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 26 जुलाई के लिए तय की है। 

दुकानों के बाहर लगाई जाए खाने की वैरायटी वाली लिस्ट

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या कांवड़िए यह उम्मीद करते हैं कि उसका खाना किसी खास श्रेणी के मालिकों या लोगों द्वारा तैयार किया जा रहा है? पीठ ने कहा,  'हम सरकार के आदेश पर अंतरिम रोक लगाना उचित समझते हैं। रेस्टोरेंट, होटलों या खाद्य विक्रेताओं को अपने यहां खाने की वैरायटी की लिस्ट लगाने की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें मालिकों या काम करने वाले कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।'

अरुण गोविल ने सरकार का किया समर्थन

इससे पहले आज भारतीय जनता पार्टी के सांसद अरुण गोविल ने उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश पर अपना समर्थन जताया। गोविल ने कहा कि दुकान के मालिकों के नाम प्रदर्शित करने में कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि ग्राहकों यह जानने का अधिकार है कि उनका खाना कहां से आता है।

2006 में UPA लाई ये कानून- ओपी राजभर

राजनीतिक विवाद को जन्म देने वाले इस आदेश का उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी समर्थन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नियम सबसे पहले 2006 में यूपीए सरकार द्वारा शुरू किया गया था । राजभर ने कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार केवल मौजूदा कानूनों को लागू कर रही है, नए कानून नहीं ला रही है। 

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार को कोर्ट में दी थी चुनौती

बता दें कि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और गैर सरकारी संगठन ने यूपी, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। मोइत्रा की याचिका में इन आदेशों पर रोक लगाने की मांग की गई थी। साथ ही तर्क दिया गया था कि इससे समुदायों के बीच भेदभाव बढ़ेगा।

सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं ये आदेश

याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि सरकार के ये आदेश परेशान करने वाले हैं, क्योंकि ये अल्पसंख्यकों की पहचान करके तथा उनका आर्थिक बहिष्कार करके विभाजन पैदा करते हैं। यह एक सभ्य समाज के लिए ठीक नहीं हैं।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement