नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम टिप्पणी में कहा कि SIR का मामला पूरी तरह से केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह बात एक याचिका की सुनवाई के दौरान कही। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि देश में कुछ लोग अनधिकृत रूप से रह रहे हो सकते हैं, जो अपनी पहचान उजागर होने के डर से सामने नहीं आना चाहेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और संबंधित पक्षों से कहा कि कम से कम उन लोगों की एक सूची तो उपलब्ध कराई जानी चाहिए, जो वास्तव में SIR से प्रभावित हुए हैं।
'चुनाव आयोग के पास अपना तंत्र है, उसे काम करने दिया जाए'
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि वह मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया में अन्य राज्यों में कोई हस्तक्षेप नहीं करेगा। कोर्ट ने कहा कि SIR पूरी तरह से चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है और यह उसका विशेषाधिकार (प्रोगेटिव) है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की, 'हम हर काम अपने हाथ में क्यों लें? चुनाव आयोग के पास अपना तंत्र है, उसे काम करने दिया जाए।' कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि वे क्यों चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट सारे काम अपने नियंत्रण में ले ले।
देश में बिना इजाजत रह रहे लोगों पर कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने यह भी कहा कि देश में कुछ लोग बिना अनुमति के रह रहे हैं, वे सामने आने से डरेंगे क्योंकि उनका नाम मतदाता सूची से हटने पर उनकी पहचान उजागर हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे कम से कम 100 ऐसे लोगों की सूची प्रस्तुत करें, जिनका दावा है कि उनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए, लेकिन उन्हें कोई आदेश नहीं मिला, जिसके कारण वे अपील नहीं कर पा रहे। कोर्ट ने कहा, 'हमें उन लोगों की एक इलस्ट्रेटिव लिस्ट चाहिए, जिन्हें यह शिकायत है।'
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिया ये मौखिक सुझाव
SC ने EC को मौखिक रूप से सुझाव दिया कि वह एक विस्तृत नोट तैयार करे, जिसमें 3.66 लाख हटाए गए नामों और बाद में जोड़े गए 21 लाख नामों का पूरा ब्योरा और उनके कारणों का उल्लेख हो। कोर्ट ने इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए जोर दिया कि SIR चुनाव आयोग का कार्यक्षेत्र है और उसे स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 9 अक्टूबर को तय की है। बता दें कि बिहार चुनावों में SIR का मुद्दा जोर-शोर से छाया हुआ है, ऐसे में SC की यह टिप्पणी बेहद अहम मानी जा रही है।


