Wednesday, May 21, 2025
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वक्फ कानून का रास्ता होगा साफ या लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के अंदर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कानून के लागू होने पर तत्काल रोक नहीं लगाई है लेकिन वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Published : Apr 17, 2025 7:30 IST, Updated : Apr 17, 2025 9:34 IST
Supreme court
Image Source : FILE सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई होगी। माना जा रहा है कि आज देश की शीर्ष अदालत इस मामले में अंतरिम आदेश जारी कर सकती है। वक्फ संपत्तियों को डि-नोटिफाई करने, कलेक्टर की जांच के दौरान नए प्रावधान लागू ना करने और वक्फ बोर्ड के साथ काउंसिल में गैर मुस्लिमों की एंट्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ये अंतरिम आदेश पारित कर सकता है।

इससे पहले वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दो घंटे सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर दो हफ्ते के अंदर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कल की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कानून के लागू होने पर तत्काल रोक नहीं लगाई है लेकिन वक्फ कानून के विरोध में देशभर में हो रही हिंसा पर चिंता जताई है।

वक्फ कानून के खिलाफ 72 याचिकाएं

इससे पहले कल वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिकता के खिलाफ 72 याचिकाओं से जुड़ी सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और मुस्लिम निकायों तथा व्यक्तिगत याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक सिंघवी, सी यू सिंह सहित वरिष्ठ अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद प्रधान न्यायाधीश ने नोटिस जारी करने और एक अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव रखा तथा कहा कि इससे ‘‘समानताएं संतुलित होंगी’’।

मौलिक अधिकारों का हनन का आरोप

विरोध करने वालों का सबसे बड़ा आरोप यह था कि नया वक्फ कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है और मुसलमानों से भेदभाव करने वाला है। उन्होने यह भी दलील दी कि यह कानून असंवैधानिक है इसलिए इसे लागू करने पर रोक लगनी चाहिए। केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस आरोप को बेबुनियाद बताया। इसके बाद बेंच ने कहा, नए क़ानून के कुछ प्रावधान अच्छे हैं,लेकिन वक्फ बाई यूज़र और वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों जैसे कुछ प्रावधानों  पर सरकार के स्पष्टीकरण की ज़रूरत है।

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि इसके वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों को शामिल करने का क्या मकसद है? क्या सरकार मुसलमानों को मंदिरों के बोर्ड में शामिल करने की अनुमति देगी? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बाई यूजर का प्रावधान खत्म करने का क्या असर होगा? जिन संपत्तियों को कोर्ट ने वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दिया है, क्या नए कानून के तहत उन्हें भी डी-नोटिफाई किया जाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जो सैकड़ों साल पुरानी ऐतिहासिक बिल्डिंग्स या प्रॉपर्टी वक्फ के पास हैंय़ उनके पेपर्स वक्फ बोर्ड कहां से लाएगा? इसके बाद तीन जजों की बेंच ने कहा कि वो इस केस में अंतिरम आदेश पास करना चाहते हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आग्रह किया कि वो इस मामले में कुछ और दलीले रखना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट चाहे तो इस मामले पर डे टू डे बेसिस पर सुनवाई कर सकती है। इसके बाद चीफ जस्टिस की बेंच ने इस मामले में गुरुवार को फिर सुनवाई करने का फैसला किया।

कपिल सिब्बल की दलील

वक्फ कानून के खिलाफ दलील दे रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि 300 साल पहले तो ऐसी व्यवस्था नहीं थी फिर उन मस्जिदों की डीड कहां से लाएंगे? इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से पूछा कि वक्फ बाई यूज़र क्यों हटाया गया तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि जो प्रॉपर्टी वक्फ के तौर पर रजिस्टर्ड हैं वो वक्फ की ही रहेंगी। कोर्ट ने पूछा कि वक्फ बाई यूज़र वाली प्रॉपर्टी का क्या होगा तो केन्द्र की तरफ से कहा गया कि कलेक्टर प्रॉपर्टी की जांच करके उसे रिकॉर्ड में ले आएगा। बोर्ड में गैर मुस्लिमों की एंट्री को कपिल सिबब्ल ने गैर संवैधानिक बताया तो सुप्रीम कोर्ट ने एसजी से पूछा कि बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों का प्रावधान क्यों बनाया? इसके जवाब में एसजी ने कहा कि बोर्ड में ज्यादातर सदस्य मुस्लिम हैं और गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 2 से ज्यादा नहीं होगी।

इससे पहले बेंच ने कहा, ‘‘अदालतों द्वारा वक्फ के रूप में घोषित संपत्तियों को वक्फ के रूप में गैर-अधिसूचित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ हों या विलेख द्वारा वक्फ हों, यद्यपि अदालत वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।’’ पीठ ने संशोधित कानून के एक प्रावधान पर रोक लगाने का भी संकेत दिया, जिसमें कहा गया है कि कलेक्टर द्वारा यह जांच किए जाने तक कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा। 

बेंच ने अधिनियम को लेकर प्रावधान-वार आपत्तियों पर गौर किया और केंद्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने सहित कानून के कई पहलुओं पर आपत्तियां व्यक्त कीं। इसने जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों से संबंधित विवादों का निपटारा करने का अधिकार देने तथा सक्षम न्यायालयों द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने की अनुमति देने वाले प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई।

चीफ जस्टिस ने कहा, ‘‘आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो अदालतें शुरुआती स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करती हैं। लेकिन इस मामले में अपवाद की आवश्यकता हो सकती है। यदि उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ घोषित की गई संपत्ति को गैर-अधिसूचित किया जाता है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।’’

तीखी नोकझोंक 

सुनवाई के दौरान पीठ और सॉलिसिटर जनरल के बीच तब तीखी नोकझोंक हुई जब जजों ने वक्फ प्रशासन में गैर-मुस्लिमों को अनुमति देने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाया, जबकि हिंदू धार्मिक संस्थाओं पर समान पारस्परिकता लागू नहीं होती। विधि अधिकारी ने कहा कि वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल नहीं किया जाएगा। उन्होंने एक हलफनामे में यह बात कहने की पेशकश की। हालांकि, पीठ ने कहा कि नए अधिनियम के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद के 22 सदस्यों में से केवल आठ मुस्लिम होंगे। पीठ ने पूछा, ‘‘यदि आठ मुस्लिम हैं, तो दो ऐसे न्यायाधीश भी हो सकते हैं जो मुस्लिम न हों। इससे गैर-मुस्लिमों का बहुमत हो जाता है। यह संस्था के धार्मिक चरित्र के साथ कैसे संगत है?’’ (इनपुट-भाषा)

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