Thursday, March 28, 2024
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भाजपा में नए सिरे से होगी शीर्ष पदों पर नियुक्ति

अमित शाह संसदीय बोर्ड में नायडू के स्थान पर किसी दक्षिण भारतीय चेहरे को लाना चाहते हैं और अनुमान लगाया जा रहा है कि वह चेहरा केंद्रीय रक्षा मंत्री सीतारमण होंगी, लेकिन यह निर्णय पार्टी के शीर्ष नेताओं की सहमति से लिया जाएगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: September 15, 2017 23:42 IST
Amit shah- India TV Hindi
Image Source : PTI Amit shah

नई दिल्ली: बीजेपी में जल्द ही शीर्ष पदों पर नियुक्ति हो सकती हैष उपराष्ट्रपति पद पर वैंकेया नायडू की नियुक्ति के बाद पार्टी में संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) में शीर्ष पद खाली हो गए हैं और अनुमान लगाया जा रहा है कि हाल में रक्षामंत्री बनीं निर्मला सीतारमण और पार्टी महासचिव राम माधव को पार्टी के संसदीय बोर्ड में शामिल किया जा सकता है। वैंकेया नायडू उपराष्ट्रपति बन जाने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के सदस्य नहीं रहे। उनके देश के दूसरे शीर्ष पद पर चले जाने के बाद पार्टी के दोनों शीर्ष पदों खाली हो गए हैं। 

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि अध्यक्ष अमित शाह संसदीय बोर्ड में नायडू के स्थान पर किसी दक्षिण भारतीय चेहरे को लाना चाहते हैं और अनुमान लगाया जा रहा है कि वह चेहरा केंद्रीय रक्षा मंत्री सीतारमण होंगी, लेकिन यह निर्णय पार्टी के शीर्ष नेताओं की सहमति से लिया जाएगा। यह मुद्दा बुधवार शाम पार्टी के वरिष्ठ नेताओं गृहमंत्री राजनाथ सिंह, वित्तमंत्री अरुण जेटली, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच हुई बैठक में भी उठा था।

भाजपा के 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड में अमित शाह के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, सुषमा स्वराज, गडकरी, अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत, जेपी नड्डा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और महासचिव (संगठन) राम लाल शामिल हैं। संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष अमित शाह हैं। भाजपा के संविधान के अनुसार, पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य संसदीय बोर्ड का गठन करते हैं, जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के 10 अन्य सदस्यों की नियुक्ति की जाती है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी ही संसद में पार्टी के नेता की नियुक्ति करते हैं।

इससे पहले, शाह जब भाजपा के अध्यक्ष बने थे, तभी उन्होंने बोर्ड को पुनर्गठित किया था। उन्होंने पार्टी के दिग्गज शीर्ष नेताओं- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व पार्टी अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी को संसदीय बोर्ड से निकाल दिया था। अमित शाह ने ही बोर्ड में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और जेपी नड्डा को जगह दी थी। नड्डा संसदीय बोर्ड के सचिव हैं।

भाजपा के संविधान के अनुसार, शाह मौजूदा महासचिवों में से एक को बोर्ड के सचिव के रूप में नामित कर सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, आठ महासचिवों में माधव दक्षिण भारत से ही आते हैं, इसलिए इनके नाम पर भी सहमति बन सकती है। शाह पर सीईसी को भी पुनर्गठित करने की जिम्मेदारी है, जिसमें विधानसभा, संसद और निकायों के लिए उम्मीदवारों के चुनना होता है। नायडू भी सीईसी के सदस्य थे। 

गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, नगालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इसी के मद्देनजर इन नियुक्तियों का शीघ्र होना जरूरी है। भाजपा संसदीय बोर्ड ही यह तय करता है कि पार्टी विधानसभा चुनावों में बिना चेहरे के उतरेगी या नहीं। शाह को जनवरी, 2016 में निर्विरोध दूसरी बार तीन वर्षो के पूरे कार्यकाल के लिए भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया था।

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