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Hathras Case: हाथरस के डीएम ने ली 'रात में दाह संस्कार' के फैसले की पूरी जिम्मेदारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को हाथरस पीड़िता के 'जबरन दाह संस्कार' करने के मामले की विस्तृत सुनवाई की, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा है कि वह मामले में आदेश बाद में देगा। कोर्ट अगली सुनवाई 2 नंवबर को करेगा।

Written by: IANS
Published : Oct 12, 2020 06:45 pm IST, Updated : Oct 12, 2020 07:10 pm IST
 Family members of a Dalit woman, who was allegedly raped in Hathras, leave the High Court amid tigh- India TV Hindi
Image Source : PTI Hathras Case: Family members of a woman, who was allegedly raped in Hathras, leave the High Court amid tight security after a hearing, in Lucknow.

लखनऊ. हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने 19 वर्षीय पीड़िता का दाह संस्कार रात में करने का निर्णय लेने की पूरी जिम्मेदारी ली है। लक्षकार ने बताया कि उन्होंने निवेदन किया था कि मृतका का दाह संस्कार रात में ही कर दिया जाए, क्योंकि उन्हें खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ लोग अपने स्वार्थ के चलते जातिगत हिंसा भड़काने की कोशिश कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दाह संस्कार में और देरी होती तो शव के सड़ने की संभावना थी। साथ ही उन्होंने इस बात से इनकार किया कि उन पर सरकार या उच्च अधिकारियों का कोई दबाव था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को हाथरस पीड़िता के 'जबरन दाह संस्कार' करने के मामले की विस्तृत सुनवाई की, जिसमें जिला मजिस्ट्रेट ने अपना पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा है कि वह मामले में आदेश बाद में देगा। कोर्ट अगली सुनवाई 2 नंवबर को करेगा। 2 घंटे की सुनवाई में न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ ने पीड़ित परिवार और विभिन्न सरकारी अधिकारियों को सुना। पीड़ित परिवार ने वकील सीमा कुशवाहा के जरिए गुहार लगाई कि मामले की सुनवाई को उत्तर प्रदेश से बाहर दिल्ली या मुंबई में स्थानांतरित कर दिया जाए। इसके पीछे उन्होंने परिवार की सुरक्षा का तर्क दिया। वकील ने यह भी आग्रह किया है कि जांच के बारे में जानकारी निजी रखी जाए, ताकि परिवार की निजता से समझौता न हो।

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परिवार ने कहा कि उनकी इच्छा के विरुद्ध जाकर लड़की का दाह संस्कार किया गया। पीड़िता की मां ने कहा कि वे तो निश्चित तौर पर यह भी नहीं कह सकतीं कि जिसका अंतिम संस्कार हुआ, वो उनकी ही बेटी थी, क्योंकि उन्हें बेटी का आखिरी बार चेहरा देखने की भी अनुमति नहीं दी गई। परिवार ने यह भी कहा कि स्थानीय पुलिस उन्हें परेशान कर रही थी और जिला मजिस्ट्रेट उन पर दबाव बढ़ा रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्हें प्रशासन पर भरोसा नहीं है। परिवार द्वारा कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराए जाने के बाद, हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट ने अपना बयान दिया। वहीं सरकार के वकील, अतिरिक्त महाधिवक्ता वी.के. शाही ने कार्यवाही पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

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