Saturday, April 27, 2024
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Akhilesh Yadav ने कहा, अमृत काल में भी लोकतंत्र की हत्या जारी है

UP: पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि देश में इमरजेंसी के इतने दिनों बाद भी उसकी याद सिहरन पैदा कर देती है। "स्वतंत्र भारत में इमरजेंसी लागू होते ही लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनकर नागरिकों की आजादी को कुचल दिया गया था"।

Akash Mishra Edited by: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: June 25, 2022 23:26 IST
Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav (File Photo)- India TV Hindi
Image Source : PT Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav (File Photo)

Highlights

  • "इमरजेंसी लगे 47 वर्ष बाद भी, उसकी याद सिहरन पैदा कर देती"
  • "इमरजेंसी में लोकतांत्रिक अधिकारों और लोगों की आजादी को कुचल गया"
  • "संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है"

UP: समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने शनिवार को कहा कि देश में इमरजेंसी के 47 वर्ष बीत चुके हैं। उन्होंने कहा इतने वर्षों बाद, आज भी 25 जून 1975 की याद सिहरन पैदा कर देती है और अमृत काल (आजादी के 75वें वर्ष) में भी लोकतंत्र की हत्या जारी है। शनिवार को इमरजेंसी की बरसी पर सपा मुख्यालय से जारी एक बयान में यादव ने कहा, ''देश में इमरजेंसी लगे 47 वर्ष बीत चुके है पर आज भी 25 जून 1975 की याद सिहरन पैदा कर देती है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ तब रातोंरात विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियों के साथ प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई थी। स्वतंत्र भारत में इमरजेंसी लागू होते ही लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनकर लोगों की आजादी को कुचल दिया गया था।'' 

"देश पर अघोषित इमरजेंसी की छाया मंडरा रही"

आपातकाल के दौर की त्रासदी बयां करते हुए उन्होंने कहा कि आज फिर देश पर अघोषित इमरजेंसी की छाया मंडरा रही है। सपा प्रमुख ने कहा, ''आर्थिक असमानता, सामाजिक अन्याय का बढ़ना जारी है। अमीर ज्यादा अमीर, गरीब और ज्यादा गरीब होता जा रहा है। असहिष्णुता और नफरत ने सामाजिक सद्भाव को छिन्न-भिन्न कर दिया है।'' उन्होंने दावा किया ,''संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। किसानों-नौजवानों की आवाज को कुचला जा रहा है और बेरोजगारी बढ़ती जा रही है, महिलाएं-बच्चियां सर्वाधिक अपमान की यातनाएं भोग रही हैं।'' सपा प्रमुख ने सत्तारुढ़ बीजेपी पर सत्ता के दुरूपयोग के सभी रिकार्ड तोड़ने का आरोप लगाया। यादव ने कहा कि आजादी के बाद संविधान की अनदेखी कर लगाए गई इमरजेंसी का विरोध करने वाले लोकतंत्र के रक्षकों के बलिदान को भी भुलाया जा रहा है।

"लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के लिए सपा ने बनाया अधिनियम"

संविधान को बचाने के लिए अहिंसात्मक, वैचारिक मूल्यों के लिए पूर्व सीएम ने सपा को प्रतिबद्ध बताया। पूर्व सीएम ने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जिन्होंने संघर्ष किया, जेल में यातना भोगी, उन्हें सम्मानजनक पेंशन देने के लिए सपा ने अधिनियम बनाया। इससे तमाम लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को जीवन-सहारा मिला। उन्होंने कहा, ''महात्मा गांधी ने समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के कल्याण का सपना देखा था। समाज और राष्ट्र की नींव की मजबूती के लिए भय-भ्रष्टाचार मुक्त नागरिक अधिकारों की सुरक्षा और संवैधानिक अधिकारों की बहाली के लिए प्रतिबद्धता, यही एक रास्ता है।'' 

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