Friday, March 29, 2024
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अक्सर कमर, कूल्हे में रहता है दर्द तो आप इस बड़ी बीमारी के हैं शिकार

एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक इंफ्लेमेटरी और ऑटोइम्यून बीमारी है, जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है और इसके परिणामस्वरूप कमर, पेल्विस और नितंबों में दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं। वैसे यह बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 04, 2019 16:30 IST
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नई दिल्ली: एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस एक इंफ्लेमेटरी और ऑटोइम्यून बीमारी है, जो मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करती है और इसके परिणामस्वरूप कमर, पेल्विस और नितंबों में दर्द इसके प्रमुख लक्षण हैं। वैसे यह बीमारी पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है।

एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस दिवस चार मई को मनाया जाता है। इस अवसर पर यह जानना बेहद अहम है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों के आंकड़े कम मिलते हैं। पूरी दुनिया में 100 में से अमूमन एक वयस्क इस क्रॉनिक बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में रीढ़ की हड्डियां आपस में गुंथ जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी सख्त हो जाती है। 

शोध के अनुसार, इस बीमारी की पहचान होने में आमतौर पर औसतन 7 से 10 साल की देरी होती है। इस बीमारी के शुरुआती चरण में, मरीज को अक्सर कमर दर्द की शिकायत रहती है और इससे आमतौर पर बीमारी का पता लगने में देरी होती है। कई बार मरीजों को इस बारे में पता नहीं होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि रीढ़ की हड्डियों के दर्द की शिकायत होने पर रूमेटोलॉजिस्ट की सलाह लेनी चाहिए। 

इस बीमारी में विशेषज्ञ एनएसएआईडी (नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेंटरी दवाएं) लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके बाद रोग में सुधार वाली दवाएं या टीएनएफ ब्लॉकर्स जैसी बायोलॉजिक्स दे सकते हैं।

मुंबई स्थित क्वेस्ट क्लीनिक के चिकित्सक डॉ. सुशांत शिंदे ने कहा, "रूमेटोलॉजिस्ट एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होता है। इसलिए रूमेटोलॉजिस्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए। इसके इलाज के लिए बायोलॉजिक्स थेरेपी बेहतर विकल्प हैं, जिससे इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की जिंदगी बदल सकती है।"

नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एम्स) के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दानवीर भादू ने कहा, "एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस से शरीर में कमजोरी आती है। बायोलॉजिक थेरेपी से शरीर की संरचनात्मक प्रक्रिया में नुकसान को कम किया जा सकता है। इससे और मरीजों को चलने-फिरने होने वाली तकलीफ से निजात मिल सकती है।"

उन्होंने कहा, "मरीजों में एलोपैथिक दवा के साइड इफेक्ट्स का डर और गैर-पारंपरिक दवाइयों की शाखा जैसे होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी जैसी चिकित्सा पद्धति पर उनका विश्वास बना हुआ है। वैकल्पिक दवाएं लेने से रीढ़ की हड्डी के बीच कोई और हड्डी पनपने का खतरा रहता है, जिससे वह पूरी तरह सख्त हो सकती है और मरीज के व्हील चेयर पर आने का खतरा रहता है।" 

जीवनशैली से जुड़े कुछ टिप्स : 

व्यायाम : सुबह के समय कमर, पेल्विस तथा नितंबों का सख्त हो जाना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं, लेकिन सही तरीके से व्यायाम करने से आराम मिल सकता है। व्यायाम शुरू करने से पहले फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लाभदायक हो सकता है। 

सख्त गद्दे का प्रयोग : पीठ के बल सख्त गद्दे पर सोने से भी लाभ मिल सकता है। घुटनों या सिर के तकिया नहीं लेना चाहिए। 

गुनगुने पानी से स्नान : चिकित्सकों के अनुसार, गुनगुने पानी से नहाने से एंकिलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस के दर्द और कड़कपन में काफी राहत मिलने में मदद मिलती है। गुनगुने पानी से स्नान के बाद स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करना दर्द और कड़कपन को दूर करने के लिए अच्छा होता है। दर्द से राहत पाने का अन्य प्राकृतिक तरीका है - दर्द वाले स्थान और शरीर के हिस्सों पर हॉट और कोल्ड सिकाई। 

एक्यूपंचर तथा मसाज थेरेपी : मसाज करवाने से भी आराम मिलता है। एक्यूपंचर थेरेपी से शरीर के दर्द से राहत दिलाने वाले हॉर्मोन्स सक्रिय हो जाते हैं। हालांकि, मसाज थेरेपी के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लेना जरूरी है।

धू्म्रपान बंद करें : चिकित्सकों का कहना है कि धूम्रपान करने वालों को, खासतौर से पुरुषों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है। धू्म्रपान बंद करने से सेहत में सुधार होता है। 

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