हेल्थ डेस्क: कैंसर बीमारी की एक खास बात यह है कि इसका पता पहले स्टेज में नहीं चलता है। और जब इसका पता चलता है काफी देर हो जाती है। ऐसे में डॉक्टर अक्सर यह कहते हैं कि कैंसर का सही से पता नहीं चलता है इसलिए सबसे ध्यान रखने वाली बात यह है कि आप अपने शरीर में होने वाले बदलाव का ध्यान दें।
कैंसर किसी भी अंग में हो खतरनाक और जानलेवा होता है इसीलिए लोग इसका नाम सुनते ही डर जाते हैं। दुनियाभर में हर साल लाखों लोग कैंसर से मरते हैं। ये बात सच है कि कैंसर एक निश्चित सीमा से ज्यादा फैल जाए, तो मरीज की जान बचाना बहुत मुश्किल भी होता है और बहुत खर्चीला भी होता है। मगर अगर शुरुआत में ही इसके लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज किया जाए तो अंगों को कैंसर सेल्स से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
आजकल की जीवनशैली और खान-पान की आदतों की वजह से कैंसर का खतरा लोगों में बढ़ता जा रहा है। ऐसा ही एक कैंसर है लिम्फोमा कैंसर, जो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित करता है। इससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होती है। गले में लिम्फोमा कैंसर बेहद खतरनाक है क्योंकि इससे कई बार सांस नली प्रभावित हो जाती है तो मरीज के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन तक नहीं मिल पाता है। लंबे समय तक गर्दन की ग्रंथियों में सूजन लिम्फोमा होने के खतरे का संकेत है। लिम्फोमा अक्सर लिम्फ नोड्स से शुरू होता है लेकिन यह पेट, आंत, त्वचा या किसी और अंग में भी पाया जा सकता है।
गले में सूजन और दर्द
गले में सूजन के कई कारण हो सकते हैं। गले के संक्रमण के कारण भी गले में सूजन, खराश और हल्का दर्द हो सकता है। इसके अलावा गले संबंधित रोग जैसे टॉन्सिल आदि के कारण भी गले में समस्या हो सकती है। मगर अगर गले में सूजन और दर्द लगातार दो हफ्तों तक बना रहे और दर्द सामान्य से तेज हो तो आपको तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए क्योंकि ये गले में लिंफोनिया कैंसर के संकेत हो सकते हैं।क्या है लिम्फोमा
मानव शरीर के इम्यून सिस्टम की कोशिकाओं को लिम्फोकेट्स और जो कोशिकाएं कैंसर से ग्रसित होती हैं उन्हें लिम्फोमा या लिम्फ कैंसर कहते हैं। शरीर में 35 अलग-अलग तरह के लिम्फोकेट्स होती हैं और इनमें से कई बार कुछ कोशिकाएं लिम्फोमा से ग्रसित हो जाती हैं। कैंसर इन कोशिकाओं को प्रभावित करता है और शरीर की अन्य बीमारियों के लिए प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ब्लड कैंसर का सबसे ज्यादा होने वाला प्रकार लिम्फोमा है। यह पश्चिमी देशों में युवाओं के साथ ही बच्चों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
लिम्फोमा कैंसर
कैंसर होने की स्थिति में शरीर में रेड ब्लड सेल्स (लाल रक्त कोशिकाएं) और व्हाइट ब्लड सेल्स (श्वेत रक्त कोशिकाएं) बिना किसी जरूरत के ही बढ़ने लगती हैं। ये कैंसर कोशिकाएं धीरे-धीरे शरीर में फैलती रहती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं के काम में भी बाधा बनती रहती हैं। शरीर का इम्यून सिस्टम कई लिम्फ ग्रंथियों या नोड्स से मिलकर बना है। ये नोड्स कैंसर कोशिकाओं को जन्म देते हैं, इसके फलस्वरूप कैंसर गले के दूसरे भागों में भी फैलता है।
नोड्स शरीर के अधिकांश भाग में पाएं जाते हैं, लेकिन गले में लिम्फ कैंसर होने पर इन्हें गोलाकार आकृति के रूप में देखा और महसूस किया जा सकता हैं। जब किसी व्यक्ति के गले में कैंसर होने के कारण लिम्फ नोड्स बढ़ते हैं तो इनसे गले का आकार बढ़ जाता है।
गले का बढ़ा हुआ अलग से ही दिखाई देता हैं। गले के इस बढ़े हुए आकार में शुरू में किसी प्रकार का दर्द नहीं होता। कई बार गले के बढ़े हुए आकार का आसानी से पता भी नहीं चलता। यदि गले का यह बढ़ा हुआ आकार 3-4 हफ्तों से ज्यादा बना रहे तो चिंता का विषय हो सकता है, ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।