Thursday, April 25, 2024
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जानिए आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस में अंतर, साथ ही समझे इसके लक्षण और बचाव

हड्डियों का कमजोर होना उम्र से जुड़ी एक प्रक्रिया है, आमतौर पर 50 से 60 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ज्यादातर लोगों को इसके कारण जोड़ों के दर्द, ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Published on: October 19, 2018 7:34 IST
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जानिए आर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस में अंतर

हेल्थ डेस्क: हड्डियों का कमजोर होना उम्र से जुड़ी एक प्रक्रिया है, आमतौर पर 50 से 60 की उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं, ज्यादातर लोगों को इसके कारण जोड़ों के दर्द, ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हड्डियों के कमजोर होने के कारण हड्डियों की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। ऐसी कई बीमारियां हैं, जिनका असर हमारी हड्डियों पर पड़ता है लेकिन अक्सर लोग इनके बीच का अंतर नहीं समझ पाते। इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के ऑथ्रोपेडिक्स के सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. यश गुलाटी ने ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोस जैसी हड्डी की बीमारियों के बीच अंतर बताया है।

उन्होंने कहा, "ऑर्थराइटिस में तकरीबन 100 तरह की हड्डियों की बीमारियां शामिल हैं। ऑर्थराइटिस के कारण होने वाला दर्द हल्का या बहुत तेज हो सकता है। इसका लक्षण है जोड़ों में अकड़न, सूजन और चलने-फिरने में परेशानी। वहीं ऑस्टियोपोरोसिस में समय के साथ हड्डियों की डेनसिटी (घनत्व) कम हो जाता है। हड्डियों के ट्श्यिूज नियमित रूप से नवीनीकृत होते रहते हैं। हालांकि जब यह प्रक्रिया धीमी हो जाती है, तो हड्डियां कमजोर हो जाती है और इनमें फ्रैक्च र की संभावना बढ़ जाती है।" 

डॉ. यश गुलाटी ने कहा, "ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण बहुत हल्के या बहुत गंभीर हो सकते हैं। इसके कारण कभी-कभी व्यक्ति की ऊंचाई भी कम हो जाती है। गर्दन या पीठ के नीचले हिस्से में दर्द होना इसका आम लक्षण है।" 

पुरुषों और महिलाओं पर इसके पड़ने वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा, "50-55 साल की उम्र तक पुरुषों में इसकी संभावना अधिक होती है। लेकिन मीनोपॉज के बाद महिलाओं में इन बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। महिलाओं का हॉर्मोन एस्ट्रोजन हड्डियों के कार्टिलेज को सुरक्षित रखता है और हड्डियों में होने वाली टूट फूट की मरम्मत करता रहता है। लेकिन मीनोपॉज के बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे ऑर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस की संभावना बढ़ जाती है।" 

हाल ही में पाया गया है कि प्रदूषण के कारण हड्डियों के कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। बुजुर्ग जो वाहनों एवं उद्योगों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण के संपर्क में रहते हैं, उनमें हड्डियों की बीमारियां और फैक्चर की संभावना अधिक होती है। इसलिए अपने आप को वायु प्रदूषण से सुरक्षित रखें।

हड्डियों की बीमारियों से बचने के लिए सुझाव देते हुए डॉ. यश गुलाटी ने कहा, "इसके लिए पोषण और संतुलित आहार से बेहतर कुछ नहीं है। अपने आहार में कैल्शियम से युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन करें। डेयरी उत्पादों जैसे दूध, दही, योगर्ट, चीज तथा हरी सब्जियों जैसे पालक, ब्रॉकली आदि में कैल्शियन भरपूर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए बहुत जरूरी है। अगर आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है तो कैल्शियम युक्त आहार लेने का भी कोई फायदा नहीं, क्योंकि विटामिन डी न होने के कारण शरीर कैल्शियम को अवशोषित नहीं कर पाएगा।"(जानें क्यों, स्‍कॉटलैंड के डॉक्‍टर मरीजों को दे रहे दवाओं के साथ 'बादलों को देखने' और 'ओस पर चलने' की सलाह)

उन्होंने कहा, "धूम्रपान और ज्यादा शराब का सेवन न करें, क्योंकि इनका बुरा असर हड्डियों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। गतिहीन जीवनशैली से बचें। व्यायाम नहीं करने का बुरा असर हड्डियों पर पड़ता है। नियमित व्यायाम जैसे सैर करना, जॉगिंग करना, नाचना, एरोबिक्स, खेल आदि आपकी हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं।"(डायबिटीज के लोग त्योहारों में ऐसे रखें खुद को फिट, नहीं बढ़ेगा ब्लड शुगर)

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