Friday, May 03, 2024
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जानिए, आखिर मंदिर की परिक्रमा क्यों करते है?

जब भी हम किसी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाते है तो मंदिर की परिक्रमा जरुर करते है। जानिए आखिर क्यों की जाती है परिक्रमा?

India TV Lifestyle Desk India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 13, 2016 11:51 IST
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धर्म डेस्क: जब भी हम किसी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए जाते है तो मंदिर की परिक्रमा जरुर करते है। कई लोगों का इसके बारें में मानना है कि तो इस परिक्रमा करने के बाद ही पूरी पूजा होती है। अगर आपने बिना परिक्रमा के चले गए तो आपकी पूजा अधूरी रह गई और आपको पूरा फल नहीं मिलेगा। साथ ही अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति भी नहीं होगी।

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देवी-देवताओ के पूजा के बाद मंदिर की परिक्रमा एक तय संख्या में ही की जानी चाहिए, बिना विधि-विधान के की गई पूजा और परिक्रमा के कारण फल प्राप्ति में कमी आ सकती है। इसके साथ ही सकारात्मक और नकारकात्मक ऊर्जा के बारें में भी माना जाता है। इस बारे कहा जाता है कि देवी-देवताओं के पस सकारात्मक ऊर्जा होती है यह सकरात्मक ऊर्जा हमे देवीय शक्तियों से जोड़ते है तथा हमारे आस-पास के वातावरण को भी सकरात्मक बनाते है। परिक्रमा के माध्यम से हम देवीय शक्तियों को ग्रहण करते है तथा हमारे मस्तिक से हर प्रकार के नकारात्मक विचार दूर होते है। इसके प्रभाव से हमारा शरीर ऊर्जावान होता है।

परिक्रमा को लेकर एक पौराणिक कथा भी है। जिसका संबंध गणेश जी से है। इसके अनुसार जब उनसे और उनके भाई कार्तिकेय से संसार के चक़्कर लगाने को कहा जाता है तो गणेश भगवान अपने माता-पिता शिव और पार्वती के ही चक्कर लगाते है तथा संसार की परिक्रमा पूरी हो जाने की बात कहते है।

मंदिर परिक्रमा सही दिशा में और सही तरीके से ही की जानी चाहिए। जानिे कैसे? 

ध्यान रखें कि जब आप मंदिर की परिक्रमा शुरू करें तो हर समय भगवान की प्रतिमा आपके दाईं ओर रहनी चाहिए। इसका सीधा–सा तरीका है कि हमेशा अपने बाएं हाथ की ओर से मंदिर की परिक्रमा शुरू करें।

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