Saturday, April 20, 2024
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Mahalakshmi Vrat 2021: आज से शुरू हो रहे हैं सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और मंत्र

आज से सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो रहा है और 29 सितंबर तक चलेंगे। व्रत रखने वाले पूरे विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। आपके घर हमेशा सुख- समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: September 14, 2021 16:32 IST
Mahalakshmi Vrat 2021: आज से शुरू हो रहे हैं सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजन वि- India TV Hindi
Image Source : INSTAGRAM/NIL_MALWADKAR महालक्ष्मी व्रत

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की उदया तिथि अष्टमी दोपहर 1 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि लग जायेगी। आपको बता दें, आज से सोलह दिवसीय महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो रहा है और 29 सितंबर तक चलेंगे। महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत अष्टमी तिथि की उदयातिथि में या राधा अष्टमी के दिन से होती है और अष्टमी की उदयातिथि और राधा अष्टमी आज ही है। 

आचार्य इंदु प्रकाश के मुताबिक, जो व्यक्ति महालक्ष्मी के इन सोलह दिनों का व्रत करेगा, सोलह दिन तक मां लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा- अर्चना करेगा और उनके मंत्रों का उच्चारण करेगा, उसे अखण्ड लक्ष्मी की प्राप्ति होगी। उसके घर में कभी भी पैसे की कमी नहीं होगी और हमेशा सुख- समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी। साथ ही व्यक्ति को अपने हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी। जानिए महालक्ष्मी व्रत की सही पूजा-विधि जिससे इन सोलह दिनों के दौरान माता की आराधना जरूर करें। 

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ये व्रत माता महालक्ष्मी से संबंध रखता है, एक देवी से संबंध रखता है, इसलिए व्रत के आखिरी दिन 16 सुहागिनों को भोजन जरूर खिलाना चाहिए। अगर सोलह को न खिला सकें, तो 11, 7 या 5 जितनी सुहागिनों को खिला सकें, जरूर खिलाइए।

महालक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त 

अष्टमी तिथि 13 सितंबर दोपहर 3 बजकर 10 मिनट से शुरू होकर 14 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 9 मिनट में समाप्त होगी।

महालक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

आज के दिन उचित दिशा की अच्छे से साफ-सफाई करके, शुभ मुहूर्त में वहां पर कलश स्थापना कीजिये और स्थापना करने के बाद कलश पर एक लाल कपड़े में कच्चा नारियल लपेट कर रख दीजिये। कलश स्थापना के बाद माता महालक्ष्मी की स्थापना करनी है। देवी मां की स्थापना के लिये एक लकड़ी की चौकी लेकर उस पर सफेद रेशमी कपड़ा बिछाकर महालक्ष्मी की तस्वीर रख दें। अगर आप तस्वीर की जगह मूर्ति का प्रयोग कर रहे हैं, तो पाटे को आप लाल वस्त्र से सजाइए। यदि संभव हो तो कलश के साइड में एक अखण्ड ज्योति स्थापित कीजिये, जो पूरे सोलह दिनों तक लगातार जलती रहे। अन्यथा रोज़ सुबह-शाम देवी मां के आगे सघी का दीपक जलाइए। साथ ही मेवा-मिठाई का नित्य भोग लगाइये।

आज के दिन जितने घर में सदस्य हैं, उतने लाल रेशमी धागे या कलावे के टुकड़े लेकर उसमें 16 गांठे लगाइए और पूजा के समय घर के सब सदस्य उन्हें अपने दाहिनी हाथ की बाजू या कलाई में बांध लें। पूजा के बाद इसे उतारकर लक्ष्मी जी के चरणों में रख दें | अब इसका पुनः प्रयोग महालक्ष्मी व्रत के अंतिम दिन संध्या पूजा के समय ही होगा।

महालक्ष्मी मंत्र

सोलह दिनों के दौरान इस मंत्र का जाप करके आप अपने किसी भी कार्यों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। 

मंत्र

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

अगर आपको इस मंत्र को बोलने में परेशानी आए तो आप केवल  ''श्रीं ह्रीं श्रीं'' मंत्र का जाप भी कर सकते हैं, क्योंकि लक्ष्मी का एकाक्षरी मंत्र तो “श्रीं” ही है। आपको बता दें, महालक्ष्मी के जप के लिये स्फटिक की माला को सर्वोत्तम कहा गया है। कमलगट्टे की माला को भी उत्तम बताया गया है। लेकिन ये दोनों न होने पर रूद्राक्ष की माला पर भी आप जप कर सकते हैं।

इस मंत्र का पुरस्चरण एक लाख जप है, लेकिन इतना जप अगर आपके लिये संभव नहीं है तो आप रोज़ 16 दिनों तक इस मंत्र का एक माला जप कीजिये। आपको ये भी बता दूं कि कुल जितना जप
किया जाता है, उसका 10 प्रतिशत हवन करना चाहिए, हवन का 10 प्रतिशत तर्पण करना, तर्पण का 10 प्रतिशत मार्जन करना चाहिए और उसका 10 प्रतिशत ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। 

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