Thursday, April 18, 2024
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Mumbai News: 'तारीख पे तारीख', मुंबई के 2 रेलकर्मी चोरी के मामले में 36 साल बाद बरी!

कुछ आरोपियों ने रिहाई के लिए आवेदन किया था और सिर्फ एक को रिहा किया गया। इसके अलावा अन्य कुछ बड़े व छोटे पहलुओं के कारण स्थगन और 'तारीख पे तारीख' के साथ कानूनी चक्कर चलता रहा। आखिरकार 36 साल बाद सबूतों के अभाव में दोनों को बरी कर दिया गया।

Khushbu Rawal Edited by: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: May 24, 2022 22:12 IST
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Image Source : FILE PHOTO Representational Image

Highlights

  • 'तारीख पे तारीख' के साथ चलता रहा कानूनी चक्कर
  • साढ़े तीन दशक तक आरोप के दाग के साथ जीते रहे दोनों कर्मचारी

Mumbai News: रेल संपत्ति की मामूली चोरी के आरोप में पश्चिम रेलवे के दो पूर्व कर्मचारी 36 साल बाद आखिरकार निर्दोष साबित हुए और आरोप से बरी हो गए। यह न्याय में देरी का एक चौंकाने वाला उदाहरण है। वकील महेंद्र डी. जैन ने कहा कि ये दोनों कर्मचारी मुंबई में जोगेश्वरी के जावर बच्चूभाई मर्चेंट और उत्तर प्रदेश के गजधर प्रसाद वर्मा हैं। मुंबई सेंट्रल के 36वें कोर्ट के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट जे.सी. ढेंगले ने 30 मार्च को फैसला सुनाते हुए दोनों को बरी कर दिया। यह मर्चेंट के लिए एक लंबे समय से प्रतीक्षित 'जन्मदिन का उपहार' भी बन गया। वह 30 मार्च 1947 को पैदा हुआ था।

उन्हें पश्चिम रेलवे के महालक्ष्मी डिपो से कुछ तांबे के केबल और लकड़ी के तख्ते चोरी करने के आरोप में तीन अन्य- अरुण एफ. पारिख, सचिन पी. पारिख और रमेश रमाकांत कदले के साथ 3 मार्च 1986 को गिरफ्तार किया गया था। उनके वकील ने कहा कि उन्हें रेलवे सुरक्षा बल (RPF) द्वारा गिरफ्तार किया गया था और रेलवे संपत्ति (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम, 1966 के तहत संबंधित धाराओं के तहत दोषी साबित होने पर अधिकतम 5 साल की सजा का प्रावधान किया गया था।

'तारीख पे तारीख' के साथ चलता रहा कानूनी चक्कर

मुकदमे के शुरुआती चरण में दो पारिखों को दोषी ठहराया गया और उन्हें एक महीने की जेल की सजा सुनाई गई, जबकि कदले को मामले से बरी कर दिया गया। मर्चेंट मुख्य ट्रैक्शन फोरमैन था और वर्मा ट्रक चालक था। दोनों ने गिरफ्तारी के बाद जमानत हासिल कर ली थी। फैसले में देरी के कारणों का हवाला देते हुए जैन ने कहा कि कुछ आरोपियों ने रिहाई के लिए आवेदन किया था और सिर्फ एक को रिहा किया गया। इसके अलावा अन्य कुछ बड़े व छोटे पहलुओं के कारण स्थगन और 'तारीख पे तारीख' के साथ कानूनी चक्कर चलता रहा। आखिरकार 36 साल बाद सबूतों के अभाव में दोनों को बरी कर दिया गया।

साढ़े तीन दशक तक आरोप के दाग के साथ जीते रहे दोनों कर्मचारी
इस समय दोनों वृद्ध पूर्व-डब्ल्यूआर कर्मचारी- मर्चेंट (75) और वर्मा (72) मुंबई में रह रहे हैं। वे साढ़े तीन दशक तक आरोप के दाग के साथ जीते रहे। जैन ने बताया, "यह वास्तव में दुखद बात है कि मामला 36 वर्षों के बाद अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा और इस बात की कठोर वास्तविकता को दर्शाता है कि कैसे लंबित मामले निर्दोष लोगों को प्रभावित कर सकते हैं, उनके जीवन को बर्बाद कर सकते हैं, उनके परिवार को तोड़ सकते हैं और एक 'आरोपी' होने के सामाजिक आघात को झेल सकते हैं।"

दोनों का स्वास्थ्य खराब रहता है। इतने वर्षों के बाद बरी किए जाने के बावजूद कानून से इनका पीछा छूटता नहीं दिख रहा है, क्योंकि अभियोजन पक्ष मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ 6 महीने के भीतर अपील दायर करने की तैयारी में है। जैन का कहना है कि यह छोटा सा मामला होने के बावजूद शायद हाल के दिनों में सबसे लंबे समय तक चले मुकदमों में से एक था।

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