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"Jobs" in India: सरकारी रियायतें और मोटी फंडिंग के बाद भी स्टार्टअप्स कर रहे कर्मचारियों की छंटनी

बीते आठ महीनों में देश के प्रमुख स्टार्टअप्स ने करीब 2,000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया। जबकि सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए इनको रियायतें दे रही है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: March 02, 2016 14:01 IST
“Jobs” in India: सरकारी रियायतें और मोटी फंडिंग के बाद भी स्टार्टअप्स कर रहे कर्मचारियों की छंटनी- India TV Paisa
“Jobs” in India: सरकारी रियायतें और मोटी फंडिंग के बाद भी स्टार्टअप्स कर रहे कर्मचारियों की छंटनी

नई दिल्ली। बीते आठ महीनों में देश के प्रमुख स्टार्टअप्स ने करीब 2,000 लोगों को नौकरी से निकाल दिया। इस बात का इल्म अगर वित्त मंत्री अरुण जेटली को होता तो अपने बजट भाषण में स्टार्टअप व्यवसाय सृजित करते हैं, नवोन्मेष लाते हैं और आशा है कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम में वे प्रमुख भूमिका निभाएंगे, शायद ऐसा नहीं बोलते। 2,000 लगों की संख्या आपको तब छोटी भी नहीं लगेगी, जब इस सेक्‍टर में महज 80,000-85,000 भारतीय प्रोफेशनल्स ही काम कर रहे हैं।

सरकार से मिलती रियायतें और निवेशकों से मोटी फंडिग के बाद अगर देश के स्टार्टअप टाइकून्स ही कर्मचारियों की छंटनी करने लगें तो इसे आप क्या कहेंगे? फिलहाल मुद्दा देश की दूसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप कंपनी स्नैपडील से जुड़ा है। बीते हफ्ते कंपनी से 200 लोगों को निकाले जाने की खबर है। यह इकलौती कंपनी नहीं है, इससे पहले देश में पैर पसारते और स्टार्टअप भी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। बड़ा सवाल यह है कि अगर तेजी से बढ़ते स्टार्टअप रोजगार देने के बजाये कॉस्ट कटिंग के नाम पर लोगों की नौकरी छीनने लगें तो इनको मिलने वाली रियायतें किस हद तक वाजिब हैं?

6-8 महीने में करीब 2,000 लोगों ने गंवाई नौकरी    

स्नैपडील, फूड पांडा, जोमाटो और हाउसिंग.कॉम ये तमाम उन कंपनियों के नाम हैं, जो बीते साल तेजी से बढ़ती वैल्यूएशन और मिलती फंडिंग की वजह से सुर्खियों में रही। लेकिन अब ये लोगों की नौकरी छीनने को लेकर चर्चा में हैं। वजह भारी डिस्काउंट पर तेजी से बढ़ती सेल्स से घाटे का लगातार बढ़ता बोझ है। इसे कम करने के लिए कंपनियां कॉस्ट कटिंग का रास्ता आपना रही हैं। पिछले छह से आठ महीने के दौरान भारत में सबसे हाई प्रोफाइल स्टार्टअप ने करीब 2,000 लोगों को नौकरी से निकाला है। वहीं, एनालिस्टों का मानना है कि स्टार्टअप में यह दौर 2016 में भी जारी रहने वाला है। इंडस्ट्री बॉडी नेस्कॉम के मुताबिक 80,000-85,000 प्रोफेशनल्स भारतीय स्टार्टअप्स में काम कर रहे हैं।

2016 के बजट में स्टार्ट को मिला क्या?

मेक इन इंडिया में स्‍टार्टअप्‍स की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा कि स्‍टार्टअप्‍स रोजगार सृजित करते हैं, इन्‍नोवेशन लाते हैं इसलिए उन्‍हें बढ़ावा देने की जरूरत है। अप्रैल 2016 से मार्च 2019 के दौरान ऑपरेशन स्टार्ट करने वाले स्‍टार्टअप्‍स को 5 वर्षों में से 3 वर्षों तक अर्जित किए गए लाभ पर 100 फीसदी टैक्‍स कटौती का लाभ दिया जाएगा। स्‍टार्टअप्‍स को केवल एमएटी (न्‍यूनतम एकांतर टैक्‍स) देना होगा। यदि विनियमित या अधिसूचित नि‍धियों में निवेश किया गया हो और यदि व्‍यक्तियों द्वारा ऐसे अधिसूचित स्‍टार्टअप्‍स में निवेश किया गया है, जिनमें उनकी अधिसंख्‍य शेयरधारिता हो, उस पर कैपिटल गेन टैक्‍स भी नहीं लगाया जाएगा।

साल दर साल बढ़ता स्टार्टअप को फंडिंग का ग्राफ

दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत पर सावल उठाते हुए एक्सपर्ट 2015 में स्लोडाउन का अनुमान लगा रहे थे। उनका मानना था कि इस साल इन्वेस्टर्स पैसा देते वक्त स्टार्टअप से कठिन सवाल पूछेंगे। लेकिन, भारतीय स्टार्टअप्‍स ने सभी एक्सपर्ट्स को गलत साबित कर दिया है। 2015 के दौरान टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ने 7 अरब डॉलर (46,199 करोड़) की प्राइवेट फंडिंग जुटाई है। स्टार्टअप ट्रैकर, ट्रैक्सन के मुताबिक यह राशि पिछले साल के मुकाबले करीब 40 फीसदी अधिक है। 2014 में स्टार्टअप ने 5.4 अरब डॉलर (33,263 करोड़) जुटाए थे। भारतीय स्टार्टअप्‍स में 2015 के दौरान कोई गिरावट नहीं देखने को मिली है। बल्कि कंपनियों का वैल्यूएशन बढ़ा है। उदाहरण के लिए 2014 में जब फ्लिपकार्ट को आखिरी बार फंडिंग मिली थी उस वक्त कंपनी की वैल्यूएशन 11 अरब डॉलर थी, जो अब 15 अरब डॉलर हो गई है। वहीं, स्नैपडील 5 अरब डॉलर की कंपनी बन गई है।

अब स्टार्टअप्स पर सख्ती की जरूरत

देश में स्टार्टअप्स को खड़ा करने के लिए सरकार कंपनियों को रियायतें दे रही है और निवेशकों को भारत बुलाने में जुटी है। इसी के बदौलत इन कंपनियों के फाउंडर और सीईओ फोर्ब्स की लिस्ट में जगह बना रहे हैं और अपनी वैल्यूएशन बढ़ा रहे हैं। लेकिन सरकार जिस मकसद से इन कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, उस कसौटी पर कंपनियां खड़ी नहीं उतर रही है। यही वजह है कि स्टार्टअप्स द्वारा की जा रही छंटनी पर सरकार जवाब तलब कर रही है। हाल में श्रम मंत्रालय ने स्टार्टअप्स से स्टाफ की छंटनी का कारण पूछा है। सरकार को ऐसे नियम बनाने की जरूरत है जिससे अगर स्टार्टअप्स सरकारी रियायतों का गलत फायदा उठाते हैं तो उनसे छूट वापस ली जा सके।

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