मुंबई। नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने बुधवार को कहा कि महिलाओं की वित्तीय क्षेत्र में भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अधिक महिला अनुकूल -समावेशी वित्तीय प्रणाली की आवश्यकता है जो उनके सामने आने वाली मांग और आपूर्ति की बाधाओं को दूर कर सके। उन्होंने कहा कि बहु-हितधारक और भागीदारी वाला नेतृत्व डिजिटल वित्तीय समावेशन में अधिक महिलाओं को शामिल करने के अंतर की समस्या को दूर कर सकता है।
कांत ने कहा, ‘‘अधिक संख्या में महिलाओं की वित्तीय भागेदारी को बढ़ाने के लिए एक अधिक महिला अनुकूल समावेशी वित्तीय प्रणाली की आवश्यकता है। जो महिलाओं के सामने आने वाली विशिष्ट मांग और आपूर्ति की अड़चनों का समाधान का सके।’’ आयोग के सीईओ ने 'द पावर ऑफ जन धन: मेकिंग फाइनेंस वर्क फॉर वीमेन इन इंडिया' शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी करने के दौरान यह बात कही।
इस रिपोर्ट का अनावरण बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) और महिलाओं की विश्व बैंकिंग द्वारा किया गया जो एक वैश्विक गैर-लाभकारी संस्था है। उन्होंने कहा कि इस तरह के समाधानों की पहुंच में सुधार और विस्तार करने से महिलाएं अधिक सुविधाजनक ढंग से वित्तीय सेवाओं का उपयोग कर सकेंगी।
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