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जोधपुर में तैयार हुई देश की पहली फुल सोलर ट्रेन, इस महीने के अंत तक शुरू होगा ट्रायल

देश की पहली सोलर ट्रेन बनकर तैयार हो गई है, जिसका परीक्षण इस महीने के अंत तक होने की संभावना है। रेलवे के जोधपुर वर्कशॉप ने पहली फुल सोलर ट्रेन तैयार की है।

Dharmender Chaudhary Dharmender Chaudhary
Updated on: May 13, 2016 10:54 IST
जोधपुर में तैयार हुई देश की पहली फुल सोलर ट्रेन, इस महीने के अंत तक शुरू होगा ट्रायल- India TV Paisa
जोधपुर में तैयार हुई देश की पहली फुल सोलर ट्रेन, इस महीने के अंत तक शुरू होगा ट्रायल

नई दिल्ली। देश की पहली सोलर ट्रेन बनकर तैयार हो गई है, जिसका परीक्षण इस महीने के अंत तक होने की संभावना है। रेलवे के जोधपुर वर्कशॉप ने पहली फुल सोलर ट्रेन तैयार की है। इसमें लाइट-पंखे सोलर एनर्जी से चलेंगे। ट्रेन के एक कोच में 12 सौर पैनल लगाए गए हैं। इनको कोच की छत पर लगाया गया है। हर कोच में 300 वॉट बिजली पैदा होगी। इससे भारी भरम डीजल की खपत से छुटकारा मिलेगा वहीं पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा।

इस महीने के अंत तक शुरू होगा ट्रायल

जोधपुर रेलवे के अधिकारी गोपाल शर्मा ने बताया कि रेलवे ने ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों के उपयोग की पहल की है। इस महीने के अंत तक ट्रेन का परीक्षण हो जाएगा और इसे पैसेंजर ट्रेन के तौर चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह किस रूट पर चलेगी इसका फैसला ट्रेन का परीक्षण होने के बाद ही किया जाएगा। वहीं नॉर्थ-वेस्ट जोन के चीफ इंजीनियर बीएल पाटिल का कहना है कि इस ट्रेन को फिलहाल उस रूट में नहीं चलाया जा सकता है, जहां पैसेंजर छतों पर चढ़ते हों।

रेलवे बोर्ड ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत जोधपुर वर्कशॉप को 1.95 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट दिया है। इसके तहत सोलर पैनल वाले 50 कोच बनने हैं। शुरू में ऐसी ट्रेनों को दिन में ही चलाया जाएगा।

तस्‍वीरों में देखिए टैल्‍गो ट्रेन को

Talgo high speed train

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20 कोच 188 फेरे करें तो बचेंगे साल में 48 लाख रुपए

आईआईटी बेंगलुरु ने सोलर पावर्ड ट्रेन से जुड़ी एक रिसर्च की। इसमें सामने आया कि अगर 20 कोच की ट्रेन एक साल में 188 फेरे लेती है, तो करीब 90 हजार लीटर डीजल खर्च होता है। सोलर पैनल से यह डीजल बचेगा। यानी साल में करीब 48 लाख रुपए से ज्यादा बचेंगे। यहां हो चुका है ट्रायल। पहली बार सोलर पैनल कोच का ट्रायल रेलवे ने जून 2015 में रेवाड़ी-सीतापुर पैसेंजर ट्रेन में किया था। हालांकि, ये ट्रायल केवल ट्रेन के एक नॉन एसी कोच पर हुआ था।

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