नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने रिलायंस जियो इंफोकॉम को क्रिसमस का उपहार दिया है। एनसीएलएटी ने जियो के अपने फाइबर और मोबाइल टॉवर कारोबार को दो अलग इकाइयों में बांटने की योजना को चुनौती देने वाली आयकर विभाग की याचिका को खारिज कर दिया है। आयकर विभाग ने इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की ओर से दी गई मंजूरी पर आपत्ति जताई थी।
एनसीएलटी की अहमदाबाद पीठ ने इससे पहले इसी साल एक कंपोजिट व्यवस्था को मंजूरी दी थी, जिसके तहत दो कंपनियों- जियो डिजिटल फाइबर प्रा. लि. और रिलायंस जियो इंफ्राटेल प्रा. लि. में अलग-अलग किया जाना है।
आयकर विभाग ने इसका विरोध करते हुए एनसीएलएटी में याचिका दायर की थी। आयकर विभाग की दलील थी कि इस व्यवस्था के तहत स्थानांतरण करने वाली कंपनी रिलायंस जियो इंफोकॉम अपने विमोच्य तरजीही शेयरों को ऋण में बदलना चाहती है।
आयकर विभाग ने कहा कि इक्विटी को ऋण में बदलना कंपनी कानून के सिद्धांतों के खिलाफ है और इससे कंपनी का मुनाफा भी घट जाएगा, जिससे आयकर विभाग को राजस्व का भारी नुकसान होगा।
हालांकि, एनसीएलएटी ने आयकर विभाग की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सिर्फ इस आधार पर कि इससे कंपनी की कर देनदारी घटेगी, उसकी इस योजना की वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती। एनसीएलएटी ने कहा कि एनसीएलटी पहले ही इस मामले पर गौर कर चुका है।