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प्रवासी मजदूरों के लिये बनेगा जॉब प्लेटफॉर्म, नीति आयोग ने बनायी समिति

नई तकनीक पर आधारित ये मंच मजदूरों को उनकी भाषा में रोजगार तलाशने में मदद करेगा

India TV Paisa Desk Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: June 19, 2020 22:38 IST
panel to develop job platform for migrant worker- India TV Paisa
Photo:GOOGLE

panel to develop job platform for migrant worker

नई दिल्ली। नीति आयोग ने प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजगार के बारे में उनकी भाषा में जानकारी उपलब्ध कराने को लेकर गूगल, माइक्रोसाफ्ट और टेक महिंद्रा जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों की एक समिति बनायी है। परियोजना से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों को ‘लॉकडाउन’ के दौरान अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। उद्योग सूत्र ने कहा कि इसका मकसद एक ऐसा मंच तैयार करना है जहां कामगार अपनी भाषा में और अपने स्थान के आसपास रोजगार के अवसर तलाश सके। यह मंच रोजगार तलाशने वालों, नियोक्ताओं, सरकारी एजेंसियों, कौशल केंद्रों और उन भागीदारों को जोड़ेगा जो AI और मशीन लर्निग जैसी नई प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं।

सूत्र ने कहा कि नीति आयोग ने सार्वजनिक एवं निजी भागीदारी के साथ प्रौद्योगिकी के उपयोग तथा विकास के जरिये प्रवासी मजदूरों को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिये अपने सीईओ (मुख्य कार्यपालक अधिकारी) अमिताभ कांत की अध्यक्षता में एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति गठित की है। समिति में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष किरण थॉमस, माइक्रोसाफ्ट इंडिया के अध्यक्ष अनंत महेश्वरी, टेक महिंद्रा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी सी पी गुरूनानी, गूगल इंडिया के क्षेत्रीय प्रबंधक तथा उपाध्यक्ष संजय गुप्ता, भारती एयरटेल के सीईओ गोपाल विट्ल समेत अन्य शामिल हैं। सूत्र ने कहा कि लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। इसके कारण उन्हें अपने घरों को लौटना पड़ा। समिति प्रवासी मजदूरों से जुड़े मसले के समाधान के लिये प्रौद्योगिकी आधारित उपायों पर गौर करेगी।

अनुमानों के अनुसार देश में असंगठित क्षेत्र में करीब 40 करोड़ कामगार हैं। यह क्षेत्र देश के जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में करीब 30 प्रतिशत का योगदान करता है। करीब 60 प्रतिशत प्रवासी मजदूर या तो अकुशल हैं या फिर हुनर है भी तो पूरा नहीं है। सूत्र ने कहा, ‘‘प्लेटफार्म कामगारों को रोजगार तलाशने, जरूरी हुनर हासिल करने, अपनी भाषा में प्रशिक्षण लेने के लिये प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी प्राप्त करने में मदद कर डिजिटल दूरी को खत्म करेगा। यह नियोक्ताओं को भी स्थान विशेष और विभिन्न श्रेणी के कामगारों की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।’’ यह मंच विभिन्न भाषाओं में होगा और इस तक परंपरागत यानी फीचर फोन के जरिये भी पहुंचा जा सकेगा। सूत्र ने बताया, ‘‘एमएसएमई सचिव ए के शर्मा परियोजना से जुड़े हैं।’’ आधिकारिक सूचना के अनुसार सरकार प्रवासी मजदूरों के लिये देश भर के लिये एक हेल्पलाइन नंबर भी शुरू करने पर काम कर रही है। इस नंबर के जरिये वह अपनी शिकायतें रख सकते हैं।

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