अमेरिकी ऑटो दिग्गज Ford की भारत में वापसी का सपना फिलहाल अधर में लटक गया है। कंपनी अपने चेन्नई प्लांट को फिर से शुरू करने की प्लानिंग पर नए सिरे से विचार कर रही है। यह प्लांट तमिलनाडु के मरैमलई नगर में स्थित है और पिछले साल से बंद पड़ा हुआ है। कंपनी के अधिकारियों की एक बैठक तय की गई है, जिसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि प्लांट में निवेश किया गया पैसा वापस लिया जाए या वहां उत्पादन शुरू किया जाए। इस पूरे घटनाक्रम की सबसे बड़ी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी हैं, जिन्होंने कारों के एक्सपोर्ट को महंगा कर दिया है। आपको बता दें कि Ford का चेन्नई प्लांट 2022 से बंद पड़ा हुआ है। मार्च 2025 में यह खबर आई थी कि कंपनी इस प्लांट में इंजन बनाने की प्लानिंग बना रही थी, लेकिन ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी ने सभी प्लानिंग पर ग्रहण लगा दिया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनिया भर में बदलते आर्थिक हालात और राजनीतिक तनाव के कारण कंपनी को भारत में अपने इन्वेस्टमेंट प्लान पर दोबारा विचार करना पड़ रहा है।
यूरोप में निवेश पर फोकस
सूत्रों के मुताबिक, भारत अब Ford के लिए पहली पसंद नहीं रहा। कंपनी ने यूरोप में अरबों डॉलर के निवेश की प्लानिंग बनाई है। इसमें जर्मनी में 4.4 अरब रुपये का निवेश, कोलोन में इलेक्ट्रिक कारों का प्रोजेक्ट, यूके में कंपोनेंट हब और कई नई इलेक्ट्रिक मॉडल लॉन्च करना शामिल है। कंपनी बैटरी रिसर्च और डेवलपमेंट पर भी विशेष जोर दे रही है।
चेन्नई प्लांट में अब भी काम कर रहे लोग
चेन्नई प्लांट में अभी भी Ford बिजनेस सर्विसेज की 12 हजार कर्मचारियों की टीम काम कर रही है। कंपनी तमिलनाडु सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रही है और उनके सहयोग की सराहना कर रही है। सूत्रों के अनुसार, Ford अंतिम फैसला लेने के लिए समय ले रही है और साथ ही सरकार के साथ मिलकर प्लांट के इस्तेमाल पर विचार कर रही है। एक्सपर्ट का कहना है कि अगर Ford चेन्नई प्लांट को इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए तैयार करती है, तो इसमें 100 से 300 मिलियन डॉलर तक खर्च आ सकता है। क्योंकि प्लांट की वेल्डिंग और असेंबली लाइन्स को पूरी तरह नए सिरे से तैयार करना होगा। इस बीच तमिलनाडु सरकार चाहती है कि यह प्लांट ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का बड़ा केंद्र बने और जल्द ही इसका भविष्य स्पष्ट हो।






































