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चीन से तनातनी के बीच भारत के लिए क्या कारोबारी संबंध तोड़ना सही? अरविंद पनगढ़िया ने दिया यह बड़ा सुझाव

पनगढ़िया ने कहा, हमें अगले दशक के लिए भारत की वृद्धि की शानदार संभावनाओं का लाभ उठाते हुए अर्थव्यवस्था को बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए।

Alok Kumar Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: December 22, 2022 14:53 IST
अरविंद पनगढ़िया- India TV Paisa
Photo:PTI अरविंद पनगढ़िया

सीमा पर आक्रामक रूख दिखा रहे चीन के साथ व्यापार संबंधों को तोड़ने की मांगों के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि मौजूदा स्थिति में बीजिंग के साथ व्यापार संबंधों को खत्म करने का मतलब भारत की संभावित आर्थिक वृद्धि का बलिदान करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके बजाए तो भारत को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय संघ समेत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने के प्रयास करने चाहिए। पनगढ़िया ने कहा, इस स्थिति में चीन के साथ व्यापारिक जंग छेड़ने का मतलब होगा हमारी संभावित वृद्धि शुद्ध रूप से आर्थिक आधार पर, के साथ समझौता करना। इसकी (सीमा पर तनाव) प्रतिक्रिया में कार्रवाई करना उपयुक्त नहीं होगा।

अमेरिका की नीति भी सफल नहीं रही 

कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर, पनगढ़िया ने कहा कि दोनों देश व्यापार प्रतिबंध जैसे कदम उठा सकते हैं लेकिन 17000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (चीन) में, 3000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (भारत) को नुकसान पहुंचाने की क्षमता कहीं अधिक होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था भी चीन या रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में उतनी सफल नहीं रही है। 

अर्थव्यवस्था को बड़ा करने पर जोर देना चाहिए 

पनगढ़िया ने कहा, हमें अगले दशक के लिए भारत की वृद्धि की शानदार संभावनाओं का लाभ उठाते हुए अर्थव्यवस्था को जितना ज्यादा संभव हो उतना बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए। एक बार हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे तो हमारे प्रतिबंध का असर भी ज्यादा होगा।

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