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अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता ने बताया ऐसा फॉर्मूला कि रुपया निकाल देगा डॉलर की हवा

भारतीय करेंसी रुपया को मजबूत करने के तरीकों के बारे में पता चल गया है। इसी साल नोबेल पुरस्कार जीत चुके एक अमेरिकी अर्थशास्त्री ने एक शानदार तरकीब बताई है। आइए उसके बारे में जानते हैं साथ ही उस अमेरिकी के बारे में भी जानेंगे।

Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published : Nov 27, 2022 19:42 IST, Updated : Nov 27, 2022 19:42 IST
 अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता ने बताया ऐसा फॉर्मूला- India TV Paisa
Photo:INDIA TV अमेरिकी नोबेल पुरस्कार विजेता ने बताया ऐसा फॉर्मूला

Rupees vs Dollar: भारतीय करेंसी लगातार गिरती जा रही है। रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होता जा रहा है। रुपये को स्थिर बनाने के लिए केंद्र सरकार (Central Government) के तरफ से कई जरूरी कदम भी उठाए जा रहे हैं। कई एक्सपर्ट इसको लेकर अपनी राय भी दे रहे हैं। इसी बीच आर्थिक विज्ञान में इस साल के नोबेल पुरस्कार के विजेता डगलस डब्ल्यू डायमंड ने कहा है कि विनिमय दर का अनुमान लगाना कठिन है हालांकि जब अमेरिका में दरों में वृद्धि की गति कम होगी तब रुपये में भी स्थिरता आएगी।

और इतने समय तक करना होगा इंतजार

अमेरिकी अर्थशास्त्री ने बताया कि जब अमेरिका विनिमय दरों को अप्रत्याशित रूप से बढ़ाता है तब डॉलर मजबूत होता है तथा जब अमेरिका और भारत में ब्याज दर लगभग एक समान स्तर पर आ जाएंगी, तो चीजें सामान्य होने लगेंगी। तब तक रुपये की वैल्यू में बदलाव होता रहेगा।

बैंकों को बर्बाद होने से बचाना क्यों आवश्यक है?

शिकॉगो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस में प्रोफेसर डगलस डब्ल्यू डायमंड को अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन बेन बेर्नान्के और अमेरिका के अर्थशास्त्री फिलिप एच डिबविग के साथ नोबेल पुरस्कार मिला है। उनके अध्ययन का विषय था,‘‘बैंकों को बर्बाद होने से बचाना क्यों आवश्यक है?’’ 

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में निरंतर गिरावट आने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में डायमंड ने कहा, ‘‘विनिमय दरों का अनुमान लगाना कठिन है। जब अमेरिका दरों में अप्रत्याशित तरीके से वृद्धि करता है, तो डॉलर में मजबूती आती है। जब अमेरिका में दरों में कमी आएगी, तब रुपये में स्थिरता आएगी।’’ शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे चढ़कर 81.54 प्रति डॉलर पर था। 

डायमंड ने कहा कि बैंकों की निगरानी प्रणाली तब अच्छी तरह से काम करती है जब उनके पास काफी पूंजी होती है और बैंक के अंदरूनी लोगों को बहुत कम उधार मिलता है। उन्होंने कहा कि मेरा अनुमान है कि भविष्य में भी यह जारी रहने वाला है। बचतकर्ताओं को ऊंचा रिटर्न मिले इसके लिए बैंकों के बीच प्रतिस्पर्धा भी जरूरी है। 

रघुराम जी राजन के साथ कर चुके हैं काम

नोबेल पुरस्कार विजेता डायमंड ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम जी राजन के साथ 2001 में ‘थ्योरी ऑफ बैंकिंग’ पर काम किया था। उन्होंने कहा कि इसमें से निकले निष्कर्षों में से एक यह था कि बैंकों को अनुशासित करने के लिए उनका थोड़ा कमजोर होना जरूरी है। बीते 40 वर्ष में उनके अध्ययन का उद्देश्य यह समझाना रहा है कि बैंक क्या करते हैं, क्यों करते हैं और इन व्यवस्था का परिणाम क्या होता है। अर्थव्यवस्था में विशेषकर संकटकाल में बैंकों की भूमिका को और बेहतर तरीके से समझाने वाले अध्ययन के लिए उन्हें नोबेल मिला है।

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