इसके पहले अक्टूबर में एफपीआई ने 9,000 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है कि अगस्त और सितंबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से 39,300 करोड़ रुपये की निकासी की थी।
2024 के लिए शेयर बाजार की भावनाएं काफी अधिक आशावादी हैं। पिछले 7 दिनों में बाजार में 4.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इसका नेतृत्व वित्तीय और सभी क्षेत्रों ने किया है। नए साल में बैंकिंग, आईटी, मैन्यूफैक्चरिंग समेत कई सेक्टर तेजी में अपना योगदान देंगे।
आंकड़ों से पता चलता है कि बॉन्ड को लेकर नवंबर में ऋण बाजार ने 14,860 करोड़ रुपये आकर्षित किए। यह अक्टूबर, 2017 के बाद से यह सबसे अधिक निवेश था, जब 16,063 करोड़ रुपये आए थे। जेपी मॉर्गन के बाजार सरकारी बॉन्ड सूचकांक में भारतीय प्रतिभूतियों को शामिल करने से घरेलू बॉन्ड बाजारों में विदेशी कोषों की भागीदारी बढ़ी है।
सितंबर 2023 तिमाही में एफपीआई ने सेकेंडरी मार्केट में करीब 2.4 अरब डॉलर की इक्विटी खरीदी। एफपीआई ने वित्तीय, विद्युत उपयोगिताओं और आईटी सेवाओं के स्टॉक खरीदे और पूंजीगत सामान और परिवहन स्टॉक बेचे। सितंबर तिमाही में डीआईआई ने लगभग 5.1 बिलियन डॉलर की इक्विटी खरीदी।
बॉन्ड के अलावा विदेशी निवेशकों ने समीक्षाधीन अवधि में शेयरों में शुद्ध रूप से 378 करोड़ रुपये का निवेश किया। इससे पहले, अक्टूबर और सितंबर महीने में एफपीआई ने निकासी की थी।
अमेरिका में मुद्रास्फीति में उम्मीद से बेहतर गिरावट ने बाजार को यह मानने का विश्वास दिला दिया है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी कर दी है। इसके परिणाम स्वरूप अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में तेजी से गिरावट आई है और 10-वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल अक्टूबर मध्य में पांच प्रतिशत से घटकर अब 4.40 प्रतिशत हो गया।
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये मूल्य की भारतीय इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
19 अक्टूबर को 5 प्रतिशत के शिखर पर पहुंचने के बाद 10-वर्षीय अमेरिकी बांड यील्ड में गिरावट शुरू हुई। पिछले दो दिनों के दौरान इसमें भारी गिरावट आई है, जिससे 3 नवंबर को यील्ड तेजी से घटकर 4.66 फीसदी रह गई। बांड यील्ड में इस उलटफेर का मुख्य कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल की टिप्पणी है।
क्रेविंग अल्फा के प्रबंधक-स्मॉलकेस और प्रमुख भागीदार मयंक मेहरा ने कहा, ‘‘आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा। काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा।’’
एक ओर जहां विदेशी निवेशक बाजार से पैसा निकाल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर घरेलू निवेशक और म्यूचुअल फंड हाउस पैसा लगा रहे हैं। इस दौरान घरेलू निवेशकों (डीआईआई) द्वारा 13,748 करोड़ रुपये की खरीदारी की गई है।
जुलाई में एफपीआई का निवेश 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये रहा था।
एफपीआई ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में औसतन 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया था।
पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई शेयर बाजारों में 1.36 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर चुके हैं।
21 जुलाई तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 43,800 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालांकि, अब वो निकासी कर रहे हैं। यह अच्छे संकेत नहीं है।
आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई मार्च से लगातार भारतीय शेयर बाजारों में निवेश कर रहे हैं। उन्होंने इस महीने 21 जुलाई तक शेयरों में शुद्ध रूप से 43,804 करोड़ रुपये डाले हैं।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई आगे चलकर थोड़ा सतर्क हो सकते हैं, क्योंकि देश में मूल्यांकन अल्पकालिक नजरिए से थोड़ा अधिक है।
इससे पहले, जनवरी-फरवरी के दौरान एफपीआई ने 34,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय बाजार लगातार ऊपर चढ़ रहे हैं जिसकी वजह से मूल्यांकन को लेकर चिंता पैदा हो सकती है।
इससे पहले जनवरी-फरवरी में उन्होंने शेयरों से 34,000 करोड़ रुपये निकाले थे। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारतीय शेयर बाजार लगातार चढ़ रहे हैं।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई का ताजा प्रवाह मजबूत वृहद परिदृश्य, शेयरों के उचित मूल्यांकन और बेहतर तिमाही नतीजों की वजह से है।
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