रामविलास पासवान भारतीय दलित राजनीति के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। राम विलास पासवान बिहार के खगरिया जिले के शाहरबन्नी गांव से हैं। 72 साल के पासवान का जन्म 5 जुलाई 1946 को बिहार के खगड़िया जिले में हुआ था। वर्तमान में पासवान लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष हैं। 1960 के दशक में राजकुमारी देवी से शादी की। 2014 में उन्होंने खुलासा किया कि लोकसभा नामांकन पत्रों को चुनौती देने के बाद उन्होंने 1981 में उन्हें तलाक दे दिया था। उनकी पहली पत्नी उषा और आशा से दो बेटियां हैं। सरकार कोई भी हो, राम विलास पासवान मंत्री जरूर रहे। रामविलास पासवान ने साल 2000 में जनता दल यूनाइटेड (JDU) से अलग होकर एलजेपी बनाई साथ ही एनडीए में भी शामिल रहे और मंत्री भी बने। एलजेपी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का घटक दल भी है। पासवान ने 2002 के गुजरात दंगों के मसले पर एनडीए से नाता तोड़ लिया। सही वक्त पर सही दांव का परिणाम उनके पक्ष में गय। 2004 के लोकसभा चुनाव के पहले उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर एनडीए विरोध का मोर्चा संभाल लिया। आगे रामविलास पासवान 2004 में यूपीए में शामिल होकर केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री बने। 2009 में पासवान को कांग्रेस से किनारा करना महंगा पड़ा। इस दौर में एलजेपी का तो सफाया हुआ ही, रामविलास पासवान भी अपने सियासी गढ़ हाजीपुर में चुनाव हार गए। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए व यूपीए, दोनों के दरवाजे पासवान के लिए खुले थे। वक्त की नजाकत भांप पासवान ने एनडीए का रूख किया। चुनाव में एनडीए की जीत के बाद वे मंत्री बने। आगे 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वे एनडीए के साथ रहे। परिणाम एक बार फिर सामने है।
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