Friday, December 13, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पंजाब
  3. SC का पंजाब सरकार से सवाल- कोई गवर्नमेंट कानून बनाए और दूसरी उसे निरस्त कर दे तो क्या अनिश्चितता नहीं होगी

SC का पंजाब सरकार से सवाल- कोई गवर्नमेंट कानून बनाए और दूसरी उसे निरस्त कर दे तो क्या अनिश्चितता नहीं होगी

शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार ने 2016 में खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया था और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे निरस्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि न तो किसी छात्र और न ही विश्वविद्यालय के किसी शिक्षक ने 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है।

Edited By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Sep 10, 2024 22:27 IST, Updated : Sep 10, 2024 22:33 IST
सांकेतिक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : ANI सांकेतिक तस्वीर

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब सरकार से सवाल किया कि क्या तब कोई अनिश्चितता नहीं होगी जब एक सरकार किसी विश्वविद्यालय के लिए कानून लेकर आती है और अगली सरकार उसे निरस्त कर देती है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने यह सवाल पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए किया जिसने खालसा विश्वविद्यालय (निरसन) अधिनियम, 2017 को रद्द करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी थी।

सुप्रीम कोर्ट फैसला सुरक्षित रखा

पीठ ने पंजाब की ओर से पेश वकील से पूछा, "क्या तब अनिश्चितता नहीं होगी जब एक राजनीतिक दल सत्ता में आने पर विश्वविद्यालय के लिए कानून बनाये और जब कोई अन्य राजनीतिक दल सत्ता में आए तो वह उसे (अधिनियम को) निरस्त कर दे?" पीठ ने याचिकाकर्ताओं और राज्य सरकार की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस संस्था ने कोर्ट में दाखिल की है याचिका

खालसा विश्वविद्यालय और खालसा कॉलेज चैरिटेबल सोसाइटी ने हाई कोर्ट के नवंबर 2017 के फैसले को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016 के तहत खालसा विश्वविद्यालय का गठन किया गया तथा सोसायटी द्वारा पहले से चलाए जा रहे फार्मेसी कॉलेज, शिक्षा कॉलेज और महिला कॉलेज को विश्वविद्यालय में मिला दिया गया। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि 30 मई, 2017 को खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम को निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था और तत्पश्चात निरसन अधिनियम, 2017 पारित किया गया था।

पंजाब सरकार ने रखा अपना पक्ष

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलीलें पेश किये जाने के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि निरसन अधिनियम "मनमाना" है और पूरी कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) का उल्लंघन करती है। पंजाब की ओर से पेश वकील ने कहा कि इसमें कुछ भी मनमाना नहीं है। राज्य के वकील ने कहा कि तत्कालीन राज्य सरकार ने 2016 में कानून बनाया था और 2017 में नयी सरकार के सत्ता में आने के बाद उसने इस कानून को निरस्त कर दिया।

बीजेपी-अकाली सरकार ने बनाया था कानून

शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार ने 2016 में खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया था और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इसे निरस्त कर दिया था। उन्होंने कहा कि न तो किसी छात्र और न ही विश्वविद्यालय के किसी शिक्षक ने 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है। राज्य के वकील ने कहा कि छात्रों के हित किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से कानून का सवाल है। हमें इसमें जाने की जरूरत नहीं है कि प्रवेश दिए गए या नहीं।" पीठ ने कहा, ‘‘आदेश के लिए सुनवायी समाप्त की जाती है।’’ पंजाब की तत्कालीन सरकार ने खालसा कॉलेज, अमृतसर के "विरासत चरित्र" की रक्षा के उद्देश्य से खालसा विश्वविद्यालय अधिनियम को निरस्त करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया था।

इनपुट-भाषा

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें पंजाब सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement