Saturday, May 04, 2024
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Mangla Gauri Vrat 2023: विवाह में हो रही है देरी तो जरूर करें मंगला गौरी का व्रत, जानिए पूजा विधि और महत्व

Mangla Gauri Vrat 2023: सावन में हर मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से विवाह और दांपत्य जीवन से जुड़ी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि क्या है।

Written By : Acharya Indu Prakash Edited By : Vineeta Mandal Published on: August 01, 2023 7:20 IST
Mangla Gauri Vrat 2023- India TV Hindi
Image Source : FILE IMAGE Mangla Gauri Vrat 2023

Mangla Gauri Vrat 2023: आज यानी 1 अगस्त को मंगला गौरी का व्रत रखा जा रहा है। इस दिन माता गौरी अर्थात् पार्वती जी की पूजा की जाती है, इसलिए इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहते हैं । बता दें कि  सावन महीने में जितने भी मंगलवार पड़ते हैं उन सभी को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है। मंगला गौरी व्रत को मोराकत व्रत के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती को सावन महिना अति प्रिय है। इसीलिए सावन महीने के सोमवार को शिव जी और मंगलवार को माता गौरी की पूजा को शास्त्रों में बहुत ही शुभ व मंगलकारी बताया गया है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से विवाह में हो रहे विलंब समाप्त हो जाते हैं और जातक को मनचाहे जीवन-साथी की प्राप्ति होती है। साथ ही दांपत्य जीवन सुखी रहता है और जीवन-साथी की रक्षा होती है। इस व्रत को करने से पुत्र की प्राप्ति होती है और गृहक्लेश समाप्त होता है।  मंगला गौरी व्रत को करने से तीनों लोकों में ख्याति मिलती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

इस व्रत को नवविवाहिता को पहले सावन में पिता के घर तथा शेष चार वर्ष पति के घर यानि ससुराल में करने का विधान है। शास्त्रों के अनुसार जो स्त्रियां सावन मास में मंगलवार के दिन व्रत रखकर मंगला गौरी की पूजा करती हैं, उनके पति पर आने वाला संकट टल जाता है और वह लंबे समय तक दांपत्य जीवन का आनंद प्राप्त करती हैं।

मंगला गौरी व्रत पूजा विधि

इस दिन व्रती को नित्य कर्मों से निवृत्त होकर संकल्प करना चाहिए कि मैं संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान कर रही हूं। तत्पश्चात आचमन एवं मार्जन कर चैकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा व चित्र के सामने उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव में एक आटे का दीपक बनाकर उसमें सोलह बातियां जलानी चाहिए।

इसके बाद सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लवंग और इलायची के साथ सुहाग की सामग्री और मिठाई माता के सामने रखकर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर इस मंत्र का।  मंत्र है- 'कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।' का जप 64,000 बार करना चाहिए। उसके बाद मंगला गौरी की कथा सुनें। इसके बाद मंगला गौरी का सोलह बत्तियों वाले दीपक से आरती करें। कथा सुनने के बाद सोलह लड्डू अपनी सास को और अन्य सामग्री ब्राह्मण को दान कर दें।

पांच साल तक मंगला गौरी पूजन करने के बाद पांचवें वर्ष के सावन के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन करना चाहिए। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन पुरुषों की कुंडली में मांगलिक योग है उन्हें इस दिन मंगलवार का व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे उनकी कुण्डली में मौजूद मंगल का अशुभ प्रभाव कम होगा और दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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