
संकष्टी चतुर्थी का व्रत हर माह दो बार आता है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी के रूप में मनाया जाता है। यह व्रत निसंतानों को संतान, दुखयारियों को सुख-समृद्धि और आरोग्य व दीर्घायु के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि यह व्रत करने से भगवान गणेश भक्तों पर प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस दिन भगवान गणेश को मोदक चढ़ाने से बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं आज का पूजा मुहूर्त, विधि...
संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा होती है। भगवान गणेश को विघ्न हरता और बुद्धि और विद्या का देवता भी कहा जाता है। ऐसे में इनकी पूजा करने से जातक के सभी विघ्न दूर होते हैं और बुद्धि-विवेक बढ़ता है। साथ ही इस दिन सच्चे मन से व्रत और पूजा करने जातक को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।
संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 14 जून को दोपहर 03.46 बजे शुरू होकर 15 जून को दोपहर 03.51 तक रहेगी। आप इसी दौरान भगवान गणेश की पूजा कर उनका आशीष प्राप्त कर सकते हैं।
पूजा विधि
- सुबह स्नान करें और फिर साफ वस्त्र पहनें।
- फिर गणेश जी का ध्यान करें और व्रत संकल्प लें।
- अब भगवान को चौकी पर विराजित करें और फूल या माला चढ़ाएं।
- फिर गणेश भगवान को फल चढ़ाएं और पीला चंदन लगाएं।
- इसके बाद मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।
- फिर मंत्र का जप करें ‘ऊं गं गणपतये नम:’
- इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें।
- शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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