
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित पर्व है, यह हर माह के त्रयोदशी तिथि पर मनाई जाती है। जून का यह अंतिम प्रदोष व्रत आषाढ़ माह के त्रयोदशी तिथि पर मनाया जा रहा है। बता दें कि प्रदोष व्रत पर प्रदोष काल में पूजा का विशेष महत्व है। प्रदोष काल शाम के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे में इस दिन पूजा पाठ के साथ कुछ उपाय जरूर करने चाहिए, इससे जातक के घर की धन की कमी दूर हो जाएगी।
शुभ मूर्हूत
सोम प्रदोष व्रत पर शिव पूजन के लिए शुभ मुर्हूत शाम 04.22 बजे से 09.23 बजे तक रहेगा। ऐसे में इस समय पूजा करना बेहद शुभ रहेगा। इसके अलावा, भगवान शिव की रात्रि चार पहर पूजा का भी विशेष महत्व है। प्रथम पहर- रात 6.00 से 9.00 बजे तक, दूसरा पहर रात 9 बजे के 12 बजे तक, तीसरा पहर रात 12 बजे से 03.00 बजे तक और चौथे पहर की पूजा 24 जून की सुबह 06 बजे।
क्या है उपाय?
- प्रदोष काल के दौरान शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक कराएं, इससे जातक के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
- वही, अगर घर की गरीबी दूर करनी है तो शिवलिंग पर केसर चढ़ाएं और भगवान शिव में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें।
- कर्ज से छुटकारा पाने के लिए शिवलिंग पर गंगाजल और साबुत चावल से अभिषेक करें, इससे भगवान शिव की कृपा से आपके ऊपर का सारा कर्ज उतर जाएगा।
- अगर बिजनेस में नुकसान रोकना है तो दूध, दही, शहद और बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाएं। भगवान शिव सारी बाधाएं दूर करेंगे।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)