गणेश चतुर्थी का पावन त्योहार हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के पावन अवसर भक्त बप्पा की प्रतिमा को घर में स्थापित कर उनकी विधि-विधान से पूजा करते हैं। हालांकि बप्पा की पूजा के दौरान कुछ वास्तु नियमों का पालन भी आपको करना चाहिए। अगर आप गणेश चतुर्थी के दौरान वास्तु के नियमों के अनुसार घर को सजाते हैं तो कई शुभ परिणाम आपको प्राप्त होते हैं। आइए ऐसे में जान लेते हैं कि गणेश चतुर्थी के दौरान किन वास्तु नियमों का आपको पालन करना चाहिए।
भगवान गणेश की चौकी से जुड़े वास्तु टिप्स
वास्तु शास्त्र में पूजा पाठ से जुड़े नियमों के बारे में भी विस्तार से बताया गया है। ऐसे में गणेश जी की पूजा से जुड़े नियमों का पालन आपको गणेश चतुर्थी के दिन करना चाहिए। गणेश जी की मूर्ति को स्थापित करने के लिए लकड़ी से बनी चौकी आपको घर लानी चाहिए। गणेश जी की चौकी आपको घर के उत्तर-पूर्व कोने (ईशान कोण) में रखनी चाहिए और इस दिशा में रखी चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। चौकी के आसपास के स्थान को फूल, केले के पत्ते आदि से आपको सजाना चाहिए। इस तरह घर में गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना करने से सुख-समृद्धि आपके जीवन में आती है।
मुख्य द्वार से जुड़ी वास्तु नियम
गणेश चतुर्थी के दौरान घर के मुख्य द्वार को भी सजाना बेहद शुभ माना जाता है। यहीं से विघ्नहर्ता गणेश जी का प्रवेश आपके घर में होता है। इसलिए गणेश चतुर्थी के मौके पर आपको घर के मुख्य दरवाजे पर आम के पत्तों का बंदनवार लगाना चाहिए। इसके साथ ही घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का चिह्न भी आप बना सकते हैं। मुख्य द्वार के पास रंगोली बनाना भी बेहद शुभ इस दौरान माना जाता है। ऐसा करने से आपके घर का वास्तु तो सुधरता ही है साथ ही गणेश जी आपके जीवन की विघ्न बाधाओं को भी दूर करते हैं।
रंगों का रखें विशेष ध्यान
गणेश चतुर्थी के मौके पर घर को सजाते समय आपको रंगों का इस्तेमाल भी बेहद सावधानी से करना चाहिए। इस दौरान गलती से भी आपको काले, भूरे, गाढ़े नीले रंग का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। वास्तु के अनुसार गणेश चतुर्थी जैसे धार्मिक मौकों पर लाल, गुलाबी, पीले और हरे रंगों का उपयोग करना चाहिए। इन रंगों का इस्तेमाल करने से आपके घर में सकारात्मकता बनी रहती है और साथ ही ईश्वर का आशीर्वाद भी आपको प्राप्त होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
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