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तिलक लगाते समय न करें ये गलती, बढ़ जाएंगी मुश्किलें, जानें तिलक लगाने के नियम

Tilak Lagane Ke Niyam: हिंदू धर्म में तिलक लगाने का बड़ा महत्व है। तिलक आदर, सत्कार का भी प्रतीक भी है और इससे मानसिक संतुलन भी मिलता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि तिलक लगाने के नियम क्या हैं।

Written By: Naveen Khantwal
Published : Mar 31, 2024 16:54 IST, Updated : Mar 31, 2024 16:54 IST
Tilak Lagane Ke Niyam- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Tilak Lagane Ke Niyam

तिलक लगाने के कई फायदे हिंदू धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं। तिलक लगाने से मानसिक संतुलन व्यक्ति को प्राप्त होता है, साथ ही ईश्वर कृपा और आदर सत्कार का प्रतीक भी इसे माना जाता है। मस्तक पर जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है वहां आज्ञा चक्र होता है। माना जाता है कि, इसी स्थान से विचार उत्पन्न होते हैं। हमारे विचारों में स्थिरता और सात्विकता बनी रहे इसलिए तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन तिलक लगाने के कुछ नियम भी हैं, जिन्हें हमें ध्यान में रखना चाहिए। आज हम इन्हीं नियमों की जानकारी आपको देंगे। 

तिलक लगाने के नियम 

शास्त्रों में तिलक लगाने के नियम बताए गए हैं। किस अंगुली से किस को तिलक लगाना सही माना जाता है, आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

तर्जनी अंगुली (Index Finger)

तर्जनी अंगुली के मूल भाग में बृहस्पति पर्वत होता है। बृहस्पति को देव गुरु कहा जाता है और साथ ही ये अमरता के प्रतीक भी माने जाते हैं। इसलिए तर्जनी अंगुली से पूर्वजों का श्राद्ध आदि करते समय पिंड पर तिलक करना चाहिए। इसके साथ ही मृत शरीर पर भी तर्जनी अंगुली से ही तिलक किया जाता है। इस अंगुली से कभी भी जीवित व्यक्ति को तिलक न करें, इसे अशुभ माना जाता है। ऐसा करना आपके लिए भी आपको जिसे आपने तिलक किया है उनके लिए भी मुश्किलें पैदा कर सकता है। 

मध्यमा अंगुली (Middle Finger)

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मध्यमा अंगुली से हमें स्वयं पर तिलक लगाना चाहिए। इस अंगुली के मूल भाग में शनि पर्वत होता है और शनि देव को ज्योतिष में न्याय,रक्षक और आध्यात्मिकता का कारक माना जाता है। मध्यमा अंगुली से अगर आप स्वयं का तिलक करते हैं तो आपकी उम्र बढ़ती है। यही वजह है कि मध्यमा अंगुली से हमेशा स्वयं का तिलक किया जाता है। 

अनामिका अंगुली (Ring Finger)

अनामिका अंगुली का संबंध सूर्य देव से है, क्योंकि इसके मूल भाग में सूर्य पर्वत होता है। इसलिए देवी-देवताओं की प्रतिमा या तस्वीर पर इसी अंगुली से तिलक लगाना चाहिए। इसके साथ ही धार्मिक कार्यों के दौरान भी इसी अंगुली से तिलक किया जाता है। अनामिका के अलावा अगर आप किसी और अंगुली से देवी देवताओं की तस्वीर पर तिलक करते हैं तो आपको वैसे फल प्राप्त नहीं होते जैसे आप चाहते हैं। 

अंगूठा (Thumb) 

अंगूठे के मूल में शुक्र पर्वत होता है और शुक्र को सुख, वैभव, संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि अंगूठे से अतिथियों को तिलक लगाना चाहिए। 

कनिष्ठा अंगुली (Little Finger)

हाथ की सबसे छोटी अंगुली का इस्तेमाल तंत्र क्रियाओं में किया जाता है। इसलिए किसी व्यक्ति विशेष पर इस अंगुली से तिलक नहीं किया जाता। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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