Friday, April 19, 2024
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संदेश झिंगन ने किया अपने संघर्ष के दिनों को याद बताया, तीसरी डिवीजन की टीम में भी नहीं मिली थी जगह

  झिंगन ने एआईएफएफ टीवी से बातचीत में कहा, ‘‘यह मेरे करियर का शुरुआती दौर था। मैं तब किसी क्लब से जुड़ना चाहता था और मैंने कोलकाता में कई क्लबों के लिये ट्रायल्स दिया। इनमें दूसरी और तीसरी डिवीजन के क्लब भी थे। लेकिन सभी ने मुझे ठुकरा दिया था। ’’ 

Bhasha Edited by: Bhasha
Published on: June 07, 2020 12:15 IST
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Image Source : TWITTER: @INDIANFOOTBALL Sandesh Jhingan

संदेश झिंगन अभी भले ही भारतीय फुटबॉल के सबसे बड़े नामों में से एक हैं लेकिन एक दौर ऐसा भी था जब इस स्टार डिफेंडर को तीसरी डिवीजन के क्लब ने भी ठुकरा दिया जिससे उन्हें कड़ी मेहनत करने की प्रेरणा भी मिली। भारत की तरफ से अब तक 36 मैच खेल चुके झिंगन ने खुलासा किया कि कोलकाता में एक दौर में दूसरी और तीसरी डिवीजन के कई क्लबों ने उन्हें नकार दिया था। 

झिंगन ने एआईएफएफ टीवी से बातचीत में कहा, ‘‘यह मेरे करियर का शुरुआती दौर था। मैं तब किसी क्लब से जुड़ना चाहता था और मैंने कोलकाता में कई क्लबों के लिये ट्रायल्स दिया। इनमें दूसरी और तीसरी डिवीजन के क्लब भी थे। लेकिन सभी ने मुझे ठुकरा दिया था। ’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि मुझे अपना सपना सच करने के लिये कड़ी मेहनत करनी होगी। ’’ झिंगन को आखिर में यूनाईटेड सिक्किम फुटबॉल क्लब ने अपनी टीम में रखा। उन्होंने कहा, ‘‘वह मेरे लिये वास्तव में सपना सच होने जैसा था। दो महीने पहले ही कोलकाता में कई क्लबों ने मुझे नकार दिया था और अब मुझे रेनेडी (सिंह) भाई और बाईचुंग (भूटिया) भाई का साथ मिल रहा था। ’’ 

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इस फुटबॉलर ने कहा, ‘‘हम कोच स्टेनले रोजेरियो की निगरानी में अभ्यास करते थे जब रेनेडी भाई कुछ फ्रीकिक के बारे में बात कर रहे थे। मुझे ऐसा अहसास हो रहा था जैसे मैं उनके पांवों को चूम लूं। जब मैंने बाईचुंग भाई से हाथ मिलाया तो मेरा बाद में हाथ धोने का मन नहीं हुआ। ’’ 

झिंगन ने कहा कि उनके करियर का सबसे यादगार क्षण वह था जब उन्होंने पहली बार देश की कप्तानी संभाली थी। उन्होंने कहा, ‘‘जब आप एक अरब 30 करोड़ लोगों की जनसंख्या वाले देश की कप्तानी कर रहे होते हो तो आप पर काफी दबाव होता है। आप पर सभी की निगाहें टिकी होती हैं। काफी कुछ दांव पर लगा होता है लेकिन मैं ऐसे क्षणों का पूरा लुत्फ उठाता हूं। कप्तानी का आर्मबैंड पहनना बहुत बड़ा सम्मान है। ’’ 

झिंगन ने कहा, ‘‘हर किसी को एक अरब 30 करोड़ की जनसंख्या वाले देश की अगुवाई करने का मौका नहीं मिलता। मैं अपने बच्चों को इस तरह के अनुभव के बारे में बता सकता हूं। ’’ 

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