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हवा में छिपे जहर का पता लगाएगा पॉकेट-साइज सेंसर, बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने किया आविष्कार

ये सेंसर अत्यंत कम सांद्रता में, श्वसन संबंधी जलन, अस्थमा के दौरे और दीर्घकालिक फेफड़ों के नुकसान के लिए जिम्मेदार जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस का पता लगाने में मदद कर सकता है।

Edited By: Sunil Chaurasia
Published : Jul 04, 2025 20:57 IST, Updated : Jul 04, 2025 20:57 IST
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Image Source : PIB औद्योगिक क्षेत्र वाले शहरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होगा ये सेंसर

बेंगलुरू स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के एक स्वायत्त संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS) के वैज्ञानिकों ने खास सेंसर तैयार किया है, जो हवा में मौजूद जहरीले तत्वों का पता लगा सकता है। ये सेंसर बिल्कुल नए तरह का है और इसकी लागत भी काफी कम है। ये सेंसर अत्यंत कम सांद्रता में, श्वसन संबंधी जलन, अस्थमा के दौरे और दीर्घकालिक फेफड़ों के नुकसान के लिए जिम्मेदार जहरीली सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) गैस का पता लगाने में मदद कर सकता है।

सल्फर डाइऑक्साइड के मामूली संपर्क से हो सकती है गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) एक जहरीला वायु प्रदूषक है जो आमतौर पर गाड़ियों और औद्योगिक उत्सर्जन से निकलता है। इसके मामूली संपर्क से भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं और दीर्घकालिक रूप से फेफड़ों को नुकसान हो सकता है। स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने से पहले इसका पता लगाना मुश्किल है। सार्वजनिक सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए वास्तविक समय में SO2 के स्तर की निगरानी करना महत्वपूर्ण है। मौजूदा तकनीकें अक्सर महंगी, ऊर्जा-गहन होती हैं, या ट्रेस स्तरों पर गैस का पता लगाने में असमर्थ होती हैं।

निकल ऑक्साइड और नियोडिमियम निकेल से तैयार किया गया सेंसर

बेंगलुरू के वैज्ञानिकों ने इस पर काबू पाने के लिए एक सरल संश्लेषण प्रक्रिया के माध्यम से दो मेटल ऑक्साइड- निकल ऑक्साइड (NiO) और नियोडिमियम निकेल (NdNiO 3 ) को मिलाकर ये सेंसर तैयार किया है। निकल ऑक्साइड गैस के लिए रिसेप्टर के रूप में काम करता है और नियोडिमियम निकेल ट्रांसड्यूसर के रूप में काम करता है, जो सिग्नल को कुशलतापूर्वक प्रसारित करता है। इससे 320 पीपीबी जितनी कम सांद्रता पर पता लगाना संभव हो जाता है, जो कई वाणिज्यिक सेंसर की संवेदनशीलता को पार कर जाता है।

डॉ. एस. अंगप्पन के नेतृत्व वाली टीम ने विकसित किया प्रोटोटाइप

इस सेंसर की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए, डॉ. एस. अंगप्पन के नेतृत्व वाली टीम ने एक पोर्टेबल प्रोटोटाइप विकसित किया, जिसमें वास्तविक समय में SO2 की निगरानी के लिए सेंसर शामिल है। प्रोटोटाइप में एक सीधी-सादी सीमा-आधारित चेतावनी प्रणाली है, जो सुरक्षित के लिए हरा, चेतावनी के लिए पीला और खतरे के लिए लाल दृश्य संकेतकों को सक्रिय करती है। इससे वैज्ञानिक विशेषज्ञता के बिना भी उपयोगकर्ता आसानी से व्याख्या और प्रतिक्रिया कर सकते हैं।

औद्योगिक क्षेत्र वाले शहरों के लिए बेहद महत्वपूर्ण

इसका कॉम्पैक्ट और हल्का डिजाइन इसे औद्योगिक क्षेत्रों, शहरी स्थानों और संलग्न स्थानों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता है, जहां निरंतर वायु गुणवत्ता निगरानी आवश्यक है। अपनी उच्च संवेदनशीलता, पोर्टेबिलिटी और उपयोगकर्ता के अनुकूल संचालन के साथ, ये सेंसर सिस्टम सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा का समर्थन करते हुए SO2 प्रदूषण की निगरानी और प्रबंधन के लिए एक व्यावहारिक समाधान प्रदान करता है। ये काम वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए सुलभ तकनीक बनाने के लिए भौतिक विज्ञान की क्षमता को प्रदर्शित करता है।

सेंसर बनाने में और किन लोगों की रही भूमिका

विष्णु जी नाथ ने इस सेंसर को डिजाइन किया है। इसमें डॉ. शालिनी तोमर, श्री निखिल एन. राव, डॉ. मुहम्मद सफीर नादुविल कोविलकाथ, डॉ. नीना एस. जॉन, डॉ. सतदीप भट्टाचार्य और प्रो. सेउंग-चेओल ली का भी योगदान है। ये रिसर्च स्मॉल नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

पीआईबी इनपुट्स के साथ

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