26 नवंबर 1947 को पेश किए गए आजाद भारत के पहले बजट से लेकर अब तक ऐसे तमाम मौके आए हैं, जब बजट के प्रावधानों ने देश को एक नई दिशा देने की कोशिश की। जानिए बजट से जुड़े ऐसी ही कुछ रोचक तथ्य।
आजादी के बाद से बजट पेश करने से पहले कई तरह की परंपराएं होती है। ये हर पार्टी के सरकार में होता आया है, लेकिन मोदी सरकार जब से कार्यकाल में आई है इसमें कई बदलाव किए हैं। आइए उसके बारे में जानते हैं।
1 फरवरी 2023 को पेश होने वाले बजट को लेकर केंद्र सरकार तैयारियों में जुट गई है। आइए जानते हैं कि इसके लिए सरकार को किन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है।
सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में एक नई धारा 194P जोड़ी है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज़ ने बताया है कि इसके लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है, इसके लिए नियम 31, नियम 31A, फॉर्म 16 और 24Q में भी जरूरी संशोधन किए गए हैं।
सरकार के लिए बजट में अब प्रमुख चुनौती बढ़ती महंगाई के बीच अर्थव्यवस्था में मांग को बरकरार रखने की है। इसके लिए गांवों में उपभोक्ताओं के हाथों में काम की उपलब्धता बढ़ानी होगी।
बजट सत्र के पहले भाग के दौरान, दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर विस्तृत चर्चा होगी और उसके बाद केंद्रीय बजट पर भी चर्चा की जाएगी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देंगे।
रत्न एवं आभूषण उद्योग इसके बाद से सरकार से इसे हटाने की मांग कर रहा था। वित्त मंत्री 1 फरवरी को 2023 का आम बजट पेश करेंगी।
बढ़ता कर्ज Budget की राह में एक बड़ा रोड़ा बन सकती है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, दूसरी तिमाही के दौरान केंद्र सरकार ने प्रतिभूतियों के जरिये 4,06,000 करोड़ रुपये जुटाये हैं। जबकि उधारी कार्यक्रम के तहत अधिसूचित राशि 4,22,000 करोड़ रुपये थी।
संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा हैसंसद में शीतकालीन सत्र चल रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रश्नकाल के दौरान कुछ सवालों के जवाब में सरकार की गलती पर सहमति जताई है।
जीएसटी की मीटिंग शुरू हो गई है। आज की मीटिंग में गुटखा खाने वालो पर गाज गिरने की उम्मीद है। इस खबर में जानिए मीटिंग से जुड़ी जरूरी बातें।
वित्त मंत्री एक फरवरी को संसद में आम बजट पेश करेंगी। सूत्रों ने कहा कि 2023-24 के आम बजट में जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों पर खासतौर से जोर दिया जाएगा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकार कर प्रोत्साहनों, कर कटौतियों औऱ रियायतों को चरणबद्ध ढंग से खत्म करने की दिशा में काम कर रही है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर भी सरकार का ध्यान है। ऐसी स्थिति में उद्योग संगठनों को सुझावों से संबंधित विभिन्न पहलुओं का उल्लेख करना चाहिए।
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