बदलती दुनिया में जब इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, सऊदी अरब अब अपने देश को पूरी तरह से बदलना चाहता है। जानिए इसके लिए वह क्या क्या उपाय कर रहा है? किस तरह वह दुनिया के घटनाक्रमों में अपनी सक्रियता बढ़ा रहा है? जानिए आखिर इन सबके क्या हैं मायने?
अमेरिकी इतिहास में पहली बार उसकी जल और थल सेना प्रमुख विहीन हो गई है। दोनों सेनाओं के पास आर्मी चीफ नहीं होने से सिर्फ अमेरिका की सुरक्षा को ही नहीं, बल्कि उसके सहयोगी देशों की सुरक्षा को भी खतरा है। यह स्थिति दुनिया के उन देशों के लिए भी चिंताजनक है, जिनकी सुरक्षा की गारंटी देना यूएस का दायित्व है।
शख्स पर आरोप है कि उसने कथित तौर पर उस महिला के साथ 1,000 से अधिक बार रेप किया। साथ ही उसे उसे बेरहमी से पीटा।
पुतिन ने एर्दोगन से कहा कि समझौते में 'जैसे ही पश्चिम अपने सभी दायित्वों को पूरा करेगा', तो रूस इस समझौते में वापस आ जाएगा।
रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का हल निकालने के लिए सऊदी अरब में इस महीने की शुरुआत में ही बड़ी बैठक हो सकती है। इसमें सऊदी अरब सहित 30 देशों के भाग लेने की उम्मीद है।
रूस-यूक्रेन युद्ध अब और अधिक भयावह होने जा रहा है। इसकी वजह उत्तर कोरिया की युद्ध में अप्रत्यक्ष एंट्री है। इन दिनों रूस के रक्षामंत्री सर्गेई शोइगू हथियार खरीदने के लिए उत्तर कोरिया के दौरे पर हैं। साथ में चीन के प्रतिनिधि भी हैं। किम जोंग ने अपने सारे हथियारों की प्रदर्शनी दिखाई है।
दक्षिणी साइबेरिया के अल्ताई गणराज्य में उतरने के दौरान एमआई-8 हेलीकॉप्टर बिजली की तार से टकरा गया और उसमें आग लग गई।
सीरिया के आसमान में उस वक्त 4 अमेरिकियों की जान मुश्किल में पड़ गई, जब रूसी लड़ाकू विमान ने अमेरिकी विमान को मार गिराने के इरादे से उसका पीछा कर लिया। इससे पहले भी रूस सीरिया में अमेरिका के एमक्यू-9 ड्रोन को मार गिरा चुका है।
रूस और यूक्रेन की जंग के बीच ब्रिटेन पूरी तरह से यूक्रेन के साथ खड़ा है। अब वह रूस को कमजोर करने औश्र हथ्यिायारों की पूर्ति को रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसी का उपयोग कर रहा है।
नई दिल्ली में सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है। ऐसे में यूक्रेन संकट के समाधान को लेकर भारत को जी-20 का अध्यक्ष होने के नाते संयुक्त घोषणापत्र जारी करना है। इसमें जी-20 के अन्य सभी देशों की सहमति लेना होगा। अपने मित्र देश रूस का भी भारत को खयाल रखना होगा। पीएम मोदी की जादुई कूटनीति इस संकट का समाधान करेगी।
रूसी कच्चे तेल पर छूट में गिरावट और पेमेंट संबंधी दिक्कतें पेश आ रही हैं। इसी बीच खबर है कि भारत के सरकार रिफाइनर कच्चे तेल की खरीद के लिए मध्य पूर्व के अपने पुराने तेल निर्यातक देशों की ओर मुड़ रहे हैं।
रूसी राष्ट्रपति ने इसकी समय सीमा 17 जुलाई बताई थी। 17 जुलाई को इस निर्यात सौदे में रूस ने अपनी भागीदारी को समाप्त करने का निर्णय लिया है। रूस और यूक्रेन के बेल्ट में पूरी दुनिया का 25 फीसदी अनाज प्रोडक्शन होता है।
एक बयान में कहा गया है कि वैगनर ग्रुप के कुछ लड़ाके मंगलवार से ही बेलारूस में हैं। इस बाबत बेलारूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को एक वीडियो भी जारी किया गया।
'क्रेमलिन' ने कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही चीन की यात्रा पर जाएंगे। हालांकि अभी तारीख क्या होगी, यह तय करना बाकी है।
रूस और यूक्रेन के बेल्ट में पूरी दुनिया का 25 फीसदी अनाज प्रोडक्शन होता है। यदि समझौते से रूस पीछे हटा तो पूरी दुनिया और खासकर अफ्रीका और खाड़ी देशों में अनाज का बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।
भारत की नकल पाकिस्तान द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने घाटे का सौदा बन गया है। पाकिस्तान को जो रूसी कच्चा तेल मिला है। वह पाकिस्तान की सरकार अपनी जनता को सस्ते दामों पर नहीं दे पा रही है। जानिए क्या है इसकी वजह?
रूस और यूक्रेन की जंग के बीच यूक्रेन की ओर से इस्तेमााल किए जा रहे अमेरिकी ड्रोन 'प्रीडेटर' रूस के सामने फिसड्डी साबित हो रहे हैं। इस बात को यूक्रेन भी मानने लगा है। ऐसा कहा जा रहा है कि रूस के इलेक्ट्रॉनिक सिक्योरिटी सिस्टम ने हजारों पश्चिमी ड्रोन्स को ढेर कर दिया है। इनमें प्रीडेटर ड्रोन भी शामिल है।
रूस की निजी सेना वैगनर आर्मी के चीफ प्रिगोझिन फिलहाल कहां हैं, इसका पता चल गया है। बेलारूस के राष्ट्रपति ने उनके नए ठिकाने का खुलासा किया है। इस खुलासे से हलचल मच गई है।
ईरान के एससीओ का सदस्य बनने से रूस की स्थिति ग्लोबल पोजिशनिंग के हिसाब से मजबूत होगी। वहीं अमेरिका और ईरान में 36 का आंकड़ा होने से वह टेंशन में है। ईरान यूक्रेन युद्ध में भी रूस की मदद कर रहा है। एससीओ का सदस्य बनने के बाद रूस-ईरान की करीबी और बढ़ेगी। भारत को ईरान के चाबहार पोर्ट से आर्थिक, सामरिक फायदे होंगे।
भारत की मेजबानी में मंगलवार को हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान चीन को जोर का झटका लगा है। दरअसल भारत ने चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) को मानने से साफ इनकार कर दिया है। जबकि एससीओ के अन्य सदस्य देशों ने बीआरआइ का समर्थन किया है।
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