Thursday, April 25, 2024
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एनआरसी का बांग्लादेश पर प्रभाव नहीं होगा: विदेश सचिव श्रृंगला

भारत ने सोमवार को बांग्लादेश को आश्वस्त किया कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अद्यतन करने का बांग्लादेश के लिए कोई प्रभाव नहीं होगा।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 02, 2020 21:04 IST
Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla nrc- India TV Hindi
Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla

ढाका: भारत ने सोमवार को बांग्लादेश को आश्वस्त किया कि असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) को अद्यतन करने का बांग्लादेश के लिए कोई प्रभाव नहीं होगा। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि यह ‘‘पूरी तरह से आंतरिक’’ प्रक्रिया है जो उच्चतम न्यायालय के निर्देश और उसकी देखरेख में की जा रही है। बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमिन और गृहमंत्री असदुज्जमां खान ने भारत के संसद द्वारा नया नागरिकता विधेयक पारित किये जाने के बाद की स्थिति को देखते हुए दिसंबर में भारत के अपने दौरे रद्द कर दिये थे। ढाका असम में एनआरसी लागू किए जाने के बाद से परोक्ष तौर पर चिंतित था, हालांकि भारत ने उसे साफ कर दिया था कि यह मुद्दा देश का आंतरिक मामला है। 

उन्होंने ढाका में आयोजित ‘बांग्लादेश एंड इंडिया: एक प्रॉमिसिंग फ्यूचर’ विषय पर सम्मेलन के दौरान कहा कि असम में एनआरसी को अद्यतन करने की प्रक्रिया पूरी तरह से भारत के उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर और उसकी निगरानी में हुई। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यहां पर स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हमारे नेतृत्व ने बांग्लादेश सरकार के शीर्ष स्तर को बार-बार स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पूरी तरह से भारत का अंदरूनी मामला है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए इसका बांग्लादेश सरकार और लोगों पर कोई प्रभाव नहीं होगा। इसको लेकर हम आपको भरोसा दिलाते हैं।’’ इस मौके पर प्रधानमंत्री शेख हसीना के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार गौहर रिजवी भी मौजूद थे। 

विदेश सचिव श्रृंगला पूर्व में ढाका में भारत के उच्चायुक्त रह चुके हैं। संसद द्वारा संशोधित नागरिकता विधेयक पारित किये जाने के बाद वह बांग्लादेश की यात्रा करने वाले पहले वरिष्ठतम भारतीय अधिकारी हैं। ढाका इन खबरों को लेकर चिंतित है कि भारत नये नागरिकता कानून के तहत हजारों प्रवासी बांग्लादेशियों को वापस भेज सकता है। इस कानून के अनुसार 31 दिसम्बर 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से वहां धार्मिक प्रताड़ता के चलते भारत आये हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता मिलेगी। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एनआरसी का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गत सितम्बर में उस समय उठाया था जब दोनों के बीच न्यूयार्क में द्विपक्षीय बैठक हुई थी। 

रिजवी ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि ढाका भारत में ऐसी कोई स्थिति नहीं देखना चाहता जो बांग्लादेश के धर्मनिरपेक्ष सामाजिक तानेबाने को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘धर्मनिरपेक्षता के प्रति हमारी प्रतिबद्धा अत्यंत प्रबल है और हम ऐसी कोई स्थिति नहीं देखना चाहते जिसमें हमारी धर्मनिरपेक्षता को किसी भी तरह से कोई खतरा हो।’’ रिजवी ने यह सुनिश्चित करने के लिए भारत के साथ ढाका के नजदीकी सहयोग की सहमति जतायी कि ‘‘समाज में हमारी धर्मनिरपेक्षता की ताकत और बढ़े।’’ उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक ‘‘पूरी तरह से समान नागरिक’’ हैं तथा सरकार उनके अधिकारों और मुद्दों की रक्षा करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। बांग्लादेश किसी भी तरह से ऐसी स्थिति को नजरंदाज नहीं कर सकता जब अल्पसंख्यक किसी भी तरह से प्रभावित हों। 

रिजवी ने भारत के एनआरसी को एक ज्वलंत मुद्दा बताया लेकिन उम्मीद जतायी कि यह देश का एक आंतरिक या घरेलू मुद्दा बना रहेगा जैसा उल्लेख बार-बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया है कि इसका बांग्लादेश पर कोई प्रभाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘‘हमने उसे (बार-बार के आश्वासन को) स्वीकार किया है और हमारे पास यह मानने के कारण हैं कि हमें चिंतित नहीं होना चाहिए।’’ श्रृंगला के इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री हसीना और विदेश मंत्री मोमिन से मुलाकात करेंगे और विदेश सचिव मसूद बिन मोमिन से वार्ता करने का कार्यक्रम है। उम्मीद है कि श्रृंगला इस महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ढाका की यात्रा की तैयारियों को लेकर इस दौरान चर्चा कर सकते हैं। 

मोदी बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की जन्मशती समारोह में शामिल होने के लिए यहां आएंगे। श्रृंगला ने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि हमारे प्रधानमंत्री की इस महीने अंत में होने वाली यात्रा से बांग्लादेश के लिए भारत की सद्भावना, विश्वास और सम्मान पूरी तरह से स्पष्ट होगा।’’ उन्होंने सामाजिक आर्थिक सूचकांक में सुधार को लेकर बांग्लादेश की ‘‘आश्चर्यजनक सफलताओं’’ की प्रशंसा की जिसमें शिशु मृत्यु दर से लेकर महिलाओं की शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य से लेकर साक्षरता शामिल है।

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