
तेल अवीव: अमेरिका की ओर से ईरान पर किए गए हमले के बाद पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर पहुंच गया है। ईरान पर हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान भी सामने आया है। ट्रंप ने कहा है कि ईरान के परमाणु स्थलों पर किए गए हमले सटीक और जोरदार थे। अब अमेरिका की ओर से ईरान पर किए गए हमलों को लेकर हिजबुल्लाह ने भी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका हिजबुल्लाह को आतंकवादी समूह मानता है।
हिजबुल्लाह ने क्या कहा?
ईरान समर्थित लेबनानी आतंकी समूह हिजबुल्लाह ने ईरान पर अमेरिकी हमलों की निंदा की है। हिजबुल्लाह ने तेहरान की जवाबी कार्रवाई में शामिल होने की धमकी नहीं दी है। बयान में कहा गया, ‘‘अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अहंकार के भ्रम से प्रेरित होकर किया गया खुला धोखा और छल पुष्टि करता है कि अमेरिका, अहंकार के अत्याचारियों के साथ मिलकर इस्लामिक गणराज्य की सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा है।’’ बयान में कहा गया कि हमलों से पूरी दुनिया के सामने साबित होता है कि अमेरिका आतंकवाद का आधिकारिक प्रायोजक है और अंतरराष्ट्रीय संधियों, मानवीय कानूनों, प्रतिज्ञाओं या दायित्वों को मान्यता नहीं देता है।
हिजबुल्लाह के बारे में जानें
हिजबुल्लाह एक शिया मुस्लिम आतंकी और राजनीतिक संगठन है जो लेबनान में सक्रिय है। इस संगठन को खासतौर पर ईरान का समर्थित मिलता रहा है। इसकी सैन्य ताकत और राजनीतिक प्रभाव लेबनान की राजनीति और पश्चिम एशिया की सुरक्षा के लिए बड़ा विषय है। हिजबुल्लाह का गठन दक्षिणी लेबनान में साल 1982 में हुआ था। यह वो समय था जब इजरायल की ओर से लेबनान पर हमले किए जा रहे थे। उस समय लेबनान में कई शिया गुट सक्रिय थे जिन्हें ईरान से समर्थन मिल रहा था। इन्हीं गुटों को एकजुट कर के हिजबुल्लाह का गठन किया गया था।
क्या है हिजबुल्लाह का मकसद?
हिजबुल्लाह का मुख्य मकसद इजरायल के खिलाफ जंग और उसे लेबनानी जमीन से पूरी तरह हटाना है। यह संगठन शिया समुदाय के हितों की रक्षा करने का दावा करता है। हिजबुल्लाह की मुख्य रूप से दो शाखाएं हैं। पहली राजनीतिक शाखा है। लेबनानी संसद में हिजबुल्लाह के कई सदस्य हैं और यह गठबंधन सरकारों का हिस्सा बन चुका है। दूसरी है सैन्य शाखा जिसे इस्लामिक रेजिस्टेंस कहा जाता है जो इजरायल के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध में शामिल रही है।
हिजबुल्लाह को कैसे देखती है दुनिया?
हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच कई बार टकराव हो चुके हैं। 2006 में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच 34 दिनों की जंग हुई थी जिसे "लेबनान युद्ध" कहा गया। इस युद्ध में दोनों ओर भारी जानमाल का नुकसान हुआ था। अमेरिका, इजरायल, यूरोपीय संघ, कनाडा जैसे देशों ने हिजबुल्लाह को आतंकवादी संगठन घोषित किया है। लेकिन, कुछ देश जैसे रूस, चीन और ईरान इसे राजनीतिक संगठन मानते हैं। हिजबुल्लाह को वित्तीय, सैन्य और वैचारिक समर्थन ईरान से मिलता है। ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) खासतौर पर इसे ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराती है। (एपी)
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