Friday, April 26, 2024
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स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के मामले को पाकिस्तान में दोबारा खोले जाने की क्यों हुई मांग, जानें अदालत ने फिर क्या कहा

पाकिस्तान की अदालत में एक याचिका दायर कर शहीद भगत सिंह को सजा से बरी करने की मांग की गई है। साथ ही मरणोपरांत उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित करने की मांग की गई है। ब्रिटिश पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्या में दोषी मानकर भगत सिंह को फांसी दी गई थी। मगर याचिका के अनुसार बिना गवाहों को सुने भगत सिंह को सजा दी गई।

Dharmendra Kumar Mishra Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published on: September 17, 2023 11:11 IST
सरदार भगत सिंह।- India TV Hindi
Image Source : WIKIPEADIA सरदार भगत सिंह।

पाकिस्तान की अदालत में भारत के स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के मामले को दोबारा खोलने की मांग की गई है। आखिर पाकिस्तान में अब वर्षों बाद क्यों शहीद भगत सिंह के मामले को लेकर याचिका दायर की गई है। यह याचिका किसकी ओर से फाइल की गई है और इसका मकसद क्या है। आइए आपको पूरा मसला समझाते हैं। मगर सबसे पहले जानते हैं कि याचिका पर अदालत ने क्या कहा- ? तो आपको बता दें कि पाकिस्तान की अदालत में स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह को 1931 में सजा मिलने के मामले को दोबारा खोले जाने की मांग की गई है। अदालत ने भगत सिंह संबंधी इस याचिका पर शनिवार को आपत्ति जताई है।

इस याचिका में भगत सिंह को मरणोपरांत राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का भी अनुरोध किया गया है। भगत सिंह को ब्रिटिश शासन के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चलाने के बाद 23 मार्च, 1931 को उनके साथियों राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी दे दी गई थी। सिंह को शुरू में आजीवन कारावास की सजा दी गई थी, लेकिन बाद में एक अन्य ‘‘मनगढ़ंत मामले’’ में मौत की सजा सुनाई गई। लाहौर उच्च न्यायालय ने शनिवार को लगभग एक दशक पहले दायर मामले को फिर से खोलने और उस याचिका पर सुनवाई के लिए एक वृह्द पीठ के गठन पर आपत्ति जताई, जिसमें समीक्षा के सिद्धांतों का पालन करते हुए सिंह की सजा को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने दायर की है याचिका

इस याचिका को भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से दायर किया गया है। फाउंडेशन के अध्यक्ष और याचिकाकर्ता वकील इम्तियाज राशिद कुरैशी ने कहा, ‘‘लाहौर उच्च न्यायालय ने शनिवार को भगत सिंह मामले को फिर से खोलने और इसकी शीघ्र सुनवाई के लिए एक वृह्द पीठ के गठन पर आपत्ति जताई। अदालत ने आपत्ति जताई कि याचिका वृह्द पीठ द्वारा सुनवाई योग्य नहीं है।’’ कुरैशी ने कहा कि वरिष्ठ वकीलों की एक समिति की यह याचिका एक दशक से उच्च न्यायालय में लंबित है। उन्होंने कहा, ‘‘न्यायमूर्ति शुजात अली खान ने 2013 में एक वृह्द पीठ के गठन के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा था, तब से यह लंबित है।’’ याचिका में कहा गया है कि भगत सिंह ने उपमहाद्वीप की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। इसमें कहा गया है कि सिंह का उपमहाद्वीप में न केवल सिखों और हिंदुओं बल्कि मुसलमानों द्वारा भी सम्मान किया जाता है।

पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने भगत सिंह के बारे में क्या कहा था

याचिका में इस बात का भी जिक्र है कि पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने भगत सिंह के बारे में क्या कहा था। जिन्ना ने सेंट्रल असेंबली में अपने भाषण के दौरान दो बार आजादी की लड़ाई में उनके विशेष योगदान का उल्लेख करते हुए भगत सिंह को श्रद्धांजलि दी थी। कुरैशी ने दलील दी, ‘‘यह राष्ट्रीय महत्व का मामला है और इसे पूर्ण पीठ के समक्ष तय किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी.सैंडर्स की हत्या की प्राथमिकी में सिंह का नाम नहीं था, जिसके लिए उन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी। करीब एक दशक पहले अदालत के आदेश पर लाहौर पुलिस ने अनारकली थाने के रिकॉर्ड खंगाले थे और सैंडर्स की हत्या की प्राथमिकी ढूंढने में कामयाबी हासिल की थी।

उर्दू में लिखी यह प्राथमिकी 17 दिसंबर, 1928 को शाम साढ़े चार बजे दो ‘अज्ञात बंदूकधारियों’ के खिलाफ अनारकली पुलिस थाने में दर्ज की गई थी। कुरैशी ने कहा कि भगत सिंह का मामला देख रहे विशेष न्यायाधीशों ने मामले में 450 गवाहों को सुने बिना ही उन्हें मौत की सजा सुना दी। उन्होंने कहा कि सिंह के वकीलों को जिरह करने का मौका तक नहीं दिया गया था। (भाषा)

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