इस्लामाबादः पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर ने एक बार फिर कश्मीर पर जहर उगला है। मुनीर ने कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें शहीद बताया। इतना ही नहीं पाक आर्मी चीफ ने भारत के जम्मू-कश्मीर में चल रही आतंकवादी गतिविधियों को "वैध संघर्ष" करार दिया और इसके लिए पाकिस्तान की ओर से उनको राजनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक समर्थन जारी रखने का वादा किया।
आतंकियों के लिए पाकिस्तान का अडिग समर्थन
अपने भाषण में मुनीर ने दोहरे अर्थों वाली भाषा का इस्तेमाल करते जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के अडिग समर्थन को "वैध संघर्ष" का नाम देकर जायज़ ठहराने की कोशिश की। इतना ही नहीं, उसने प्रॉक्सी विद्रोह के लिए राजनीतिक, नैतिक और कूटनीतिक समर्थन जारी रखने का वादा किया। उसके इस बयान से एक और संकेत है कि इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय वैधता की आड़ में अशांति फैलाने की अपनी भूमिका को लगातार निभाता रहेगा।
कश्मीर मुद्दे पर मुनीर का उकसाने वाला बयान
आसिम मुनीर को हमेशा से भारत और कश्मीर पर जहर उगलने के लिए जाना जाता है। उसने एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को लेकर भारत के खिलाफ उकसाने वाला बयान दिया है। अपने हालिया भाषण में मुनीर ने कहा, “हम कश्मीरी लोगों के अधिकारों और दशकों पुराने विवाद के समाधान के लिए उनके साथ खड़े हैं। उसने कहा कि भारत जिसे आतंकवाद कहता है, वह वास्तव में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और कश्मीरी जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप एक "वैध संघर्ष" है।” इस दौरान उसने यह भी दावा किया कि जब तक कश्मीर मुद्दे का “न्यायसंगत और शांतिपूर्ण समाधान” नहीं निकलता, तब तक दक्षिण एशिया में स्थायी शांति संभव नहीं है। मुनीर ने उन आतंकवादियों को शहीद बताकर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए मारे गए थे।
पाकिस्तान दुनिया को करता रहा है गुमराह
आतंकवाद का पोषक पाकिस्तान हमेशा से दुनिया को गुमराह करता रहा है। जनरल मुनीर का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है और देश के भीतर—विशेषकर वज़ीरिस्तान, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में—आतंकी हमलों में बढ़ोतरी हो रही है। राजनीतिक अस्थिरता और जनता के असंतोष के बीच, विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर 'कश्मीर कार्ड' खेलकर घरेलू समस्याओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों का हवाला देता है, लेकिन हकीकत यह है कि 1948 के प्रस्ताव (Resolution 47) में सबसे पहली शर्त पाकिस्तान पर थी—कि वह पीओके से अपने सभी गैरकानूनी लड़ाके और आतंकवादियों को हटाए। मगर यह शर्त आज तक पूरी नहीं की गई। इस कारण से संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दा अब निष्क्रिय माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी कश्मीर को मानता है भारत का आंतरिक मामला
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला मानता है। मगर पाकिस्तान हमेशा से कश्मीर समेत पूरे भारत में आतंकवाद फैलाने का काम किया है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपनी रणनीतिक नीति का हिस्सा बनाए रखा। भारत बार-बार पाकिस्तान के आरोपों को खारिज करता रहा है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि जम्मू-कश्मीर उसका अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। भारत ने 5 अगस्त 2019 को जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया है, तब से पाकिस्तान बेहद परेशान है। भारत सरकार का कहना है कि पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में आतंकवाद और सांप्रदायिक कट्टरता को बढ़ावा देता आ रहा है।
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