Thursday, March 28, 2024
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वैज्ञानिकों ने कम लागत वाला वेंटिलेटर विकसित किया, कोरोना वायरस मरीजों की जान बचाने में मिलेगी मदद

वैज्ञानिकों ने 400 डॉलर से कम लागत के मानक उपकरणों का इस्तेमाल कर आपात वेंटिलेटर विकसित किया है जिसका इस्तेमाल अधिक जटिल प्रौद्योगिकी वाले वेंटिलेटर नहीं होने की स्थिति में किया जा सकता है। इस अविष्कार से कोविड-19 मरीजों की जान बचाने में मदद मिल सकती है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 16, 2020 17:24 IST
Scientists invent low-cost emergency ventilator- India TV Hindi
Image Source : PTI Scientists invent low-cost emergency ventilator

लॉस एंजिलिस: वैज्ञानिकों ने 400 डॉलर से कम लागत के मानक उपकरणों का इस्तेमाल कर आपात वेंटिलेटर विकसित किया है जिसका इस्तेमाल अधिक जटिल प्रौद्योगिकी वाले वेंटिलेटर नहीं होने की स्थिति में किया जा सकता है। इस अविष्कार से कोविड-19 मरीजों की जान बचाने में मदद मिल सकती है। साधारण वेंटिलेटर में डॉक्टर एक बैग को हाथ से दबाते हैं जिससे मरीज के फेफड़े में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है जबकि उच्च प्रौद्योगिकी वाले वेंटिलेटर के संस्करण में जटिल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल मरीज के शरीर के विभिन्न मापदंडों (ऑक्सीजन का स्तर आदि) को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। 

हालांकि, मेडआरएक्सिव में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि यह किफायती है और स्वत: ही ऑक्सीजन बैग को दबाता है जिससे मरीज के फेफड़े में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। अमेरिका स्थित स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में शोधपत्र के सहलेखक मार्टिन ब्रीएडेनबैक् ने कहा, ‘‘ हम साधारण उपकरण बनाना चाहते थे जो प्रभावी हो। हमारा अत्यधिक छोटा वेंटिलेटर बिल्कुल वही है और हम यथा संभव इसका इस्तेमाल चाहते हैं।’’ 

स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों सहित अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि उन लोगों के लिए वेंटिलेटर प्राण बचाने वाला होता है जो स्वयं अच्छी तरह से सांस नहीं ले पाते हैं, और कोविड-19 के गंभीर मरीजों में यह आम समस्या है। उन्होंने बताया कि यह उपकरण ऑक्सीजन युक्त हवा को दबाता है और फिर ट्यूब के जरिये फेफड़ों तक पहुंचाता है जिससे फेफड़े की सिकुड़न कम होती है और ऑक्सीजन लेने में मदद मिलती है। इसके बाद फेफड़ों में स्वत: सिकुड़न आती है और वे हवा को बाहर छोड़ देते हैं। 

वैज्ञानिकों के मुताबिक नया अविष्कार साधारण सिद्धांत पर अधारित है, इसमें बैग को स्वयं दबाने की प्रक्रिया जोड़ी गई है। उन्होंने कहा कि नयी प्रणाली में आधुनिक और सस्ते इलेक्ट्रानिक दबाव सेंसर, माइक्रो कम्प्यूटर जटिल सॉफ्टवेयर के साथ जोड़े गए हैं, जो बैग को दबाने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। 

अध्ययन के मुताबिक वेंटिलेटर में लगे माइक्रो कंप्यूटर में एक छोटा सा कंट्रोल पैनल भी है जिसके जरिये संचालक प्रणाली को नियंत्रित कर सकता है। वह अपने लैपटॉप के जरिये भी इसको नियंत्रित कर सकता है। गत महीने में पूरी दुनिया में कई सस्ते आपात वेंटिलेटर विकसित किए गए हैं लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि उनके द्वारा विकसित वेंटिलेटर का संस्करण सबसे बेहतर है। 

उन्होंने कहा कि वे 400 डॉलर से कम लागत में इस वेंटिलेटर का निर्माण कर सकते हैं जबकि पेशेवर श्रेणी के वेंटिलटर की कीमत 20 हजार डॉलर या इससे अधिक है। स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय के सह शोधपत्र लेखक माइकल ब्रेस्सेक ने कहा, ‘‘ इस गुणवत्ता के वेंटिलेटर खासतौर पर मध्यम एवं निम्न आय वर्ग के देशों के लिए लाभदायक हैं जहां पर चिकित्सा संसाधानों की कमी है।’’ शोध दल या विश्वविद्यालय ने इन वेंटिलेटर का उत्पादन या वितरण नहीं किया है, लेकिन अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद वे इस वेंटिलेटर की प्रौद्योगिकी बिना लागत के आधार पर उनको देंगे जो इसका उत्पादन करना चाहते हैं।

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