Saturday, April 27, 2024
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संगीत का जादूगर जो आलोचना होने पर कहता था...कुछ तो लोग कहेंगे..

3 दशक, 331 फिल्में और 5 भाषाओं में संगीत देने वाले राहुल देव बर्मन जिन्हें दुनिया पंचम दा के नाम से जानती है एक ऐसे फनकार थे जिन्होंने अपने पिता जैसा ही रुतबा और मुकाम हासिल किया।

India TV Entertainment Desk India TV Entertainment Desk
Updated on: June 27, 2016 13:18 IST

RD Burman

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महमूद के जरिए मिला पंचम को पहला ब्रेक

हालांकि सचिन देव बर्मन की वजह से लोग राहुल देव बर्मन यानी पंचम दा को जानते थे लेकिन उन्हें पहला ब्रेक दिग्गज एवं दिवंगत फिल्म अभिनेता महमूद ने दिया था। दरअसल पंचम को माउथऑर्गन बजाने का बेहद शौक था। फिल्म दोस्ती की शूटिंग चल रही थी। लक्ष्मीकांत प्यारे लाल फिल्म के गानों को अपने मधुर संगीत से पिरो रहे थे। उन्हें एक माउथऑर्गन बजाने वाले की जरूरत थी। लेकिन उन्हें पंचम को इसके लिए राजी करने में थोड़ी झिझक महसूस हो रही थी। महमूद की पंचम से अच्छी दोस्ती थी, जब पंचम को यह बात मालूम चली तो वो झट से राजी हो गए।

साल 1972 था पंचम के करियर का अहम साल:

साल 1972 पंचम दा के करियर का सबसे अहम साल था। उन्होंने इसी साल ‘सीता और गीता’, ‘मेरे जीवन साथी’, ‘बॉम्बे टू गोवा’,  ‘परिचय’, और ‘जवानी और दीवानी’ फिल्म में उनका संगीत लोगों के दिलो-दिमाग पर चढ़ गया। इसके बाद साल 1975 में आई फिल्म शोलो का सुपरहिट गाना महबूबा आ महबूबा गाकर गजब का समां बांध दिया। शोले एक ऐसी फिल्म थी जिसका हर हिस्सा यादगार बना। इसके बाद आंधी, दीवार और खुशबू में भी उनके संगीत को सराहा गया।

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