Wednesday, May 01, 2024
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Explainer: राम मंदिर के अंदर 14 दूसरे मंदिर किनके होंगे? क्या है सोने के सिंहासन का राज? जानें सबकुछ

अयोध्या में बन रहा राम मंदिर न सिर्फ आस्था की दृष्टि से अद्वितीय है बल्कि जब यह बनकर तैयार होगा तो एक अनुमान के मुताबिक आम दिनों में 70 हजार भक्त रामलला के दर्शन कर पाएंगे।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Updated on: November 13, 2023 13:10 IST
अयोध्या में भव्य राम...- India TV Hindi
Image Source : PTI FILE अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण जोर शोर से जारी है।

अयोध्या: 22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। 500 साल के इंतजार के बाद रामलला अपने भव्य मंदिर में विराजमान हो जाएंगे। राम मंदिर में निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है और प्राण प्रतिष्ठा से पहले फर्स्ट फेज का काम पूरा हो जाएगा। लेकिन इस बीच कुछ ऐसे सवाल हैं जो राम भक्तों के मन में लगातार उठ रहे हैं जैसे कि इसके निर्माण में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा? इसके पत्थर कहां से मंगाए गए? इतने भव्य मंदिर का डिजाइन कैसे डिजाइन बना? आज हम आपको एक-एक करके इन्हीं सवालों के जवाब देंगे।

रामनवमी पर सूर्य अपनी किरणों से करेगा रामलला का तिलक

22 जनवरी 2024 को अयोध्या के भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। श्रीराम की मूर्ति 51 ईंच ऊंची होगी जिनके चरण संगमरमर से बने कमल दल पर होंगे। कमल दल के नीचे 20 ईंच ऊंचा पेडस्टल होगा। भक्तों को दर्शन के लिए न नीचे देखना होगा, न ऊपर देखना होगा, एकदम आंखों की सीध में श्रीराम विराजमान होंगे। श्रीराम की मूर्ति ऐसी होगी जिस पर रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूर्य किरणों का तिलक होगा। रामलला गर्भगृह में होंगे और वहीं पर सूरज की किरणें परावर्तित होकर 3 मिनट से 5 मिनट तक उनके ललाट पर पड़ेंगी।

23 जनवरी को ब्रह्ममुहूर्त से शुरू हो जाएंगे रामलला के दर्शन

23 जनवरी 2024 यानी कि अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के अगले दिन ब्रह्म मुहूर्त से ही राम भक्तों को प्रभु के दर्शन शुरू हो जाएंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अनुमान लगाया है कि आम दिनों में 70 हजार भक्त रामलला के दर्शन कर पाएंगे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान के दर्शन के लिए भक्त गर्भ गृह के ठीक बाहर गूढ़ मंडप में खड़े होंगे। दर्शन के लिए भक्तों की 6 कतार लगेगी और हर भक्त को रामलला के दर्शन के लिए 17 से 20 सेकेंड मिलेंगे। विशेष दिनों में या त्योहार के अवसर पर 70 हजार की जगह सवा लाख भक्त रामलला के दर्शन कर पाएंगे, लेकिन तब दर्शन के लिए 5-6 सेकेंड का समय ही मिल पाएगा।

कहां तराशी जा रही हैं रामलला की मूर्तियां? कैसे होगा चयन

अयोध्या में ही 3 अलग-अलग स्थानों पर मूर्तिकारों की 3 टीमें रामलला की मूर्ति तराश रही हैं। रामलला की सबसे सुंदर मूर्ति का चयन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी करेंगे और 22 जनवरी 2024 पौष शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथि को शुभ अभिजीत मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वश्रेष्ठ मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। बता दें कि अयोध्या के अस्थायी मंदिर में रामलला अपने तीनों भाइयों भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न के साथ विराजमान हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि नई मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के बाद इन मूर्तियों का क्या होगा, तो इसका जवाब भी हम आपको देंगे।

सिंहासन पर रखी जाएगी रामलला विराजमान की चल मूर्ति

गर्भगृह में रामलला की नई मूर्ति के ठीक सामने एक स्वर्ण जड़ित सिंहासन होगा और उसी सिंहासन पर रामलला विराजमान की चल मूर्ति रखी जाएगी। भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न की मूर्तियां भी वहीं रखी जाएंगी। रामलला की यह चल मूर्ति 22 जनवरी 2024 को अस्थायी मंदिर से श्रीराम मंदिर के गर्भगृह में लाई जाएगी। राम मंदिर के एक गर्भगृह में श्रीराम की दो मूर्तियां क्यों? इसकी वजह भी जान लीजिए। अस्थायी मंदिर में जो रामलला विराजमान हैं वही पेटिशनर हैं। राम जन्मभूमि का मुकदमा कोर्ट में उन्होंने ही लड़ा है, और कोर्ट ने भी मंदिर की जमीन का स्वामी उन्हें ही माना है इसलिए मंदिर में उनकी मूर्ति सोने के सिंहासन पर रहेगी।

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राम मंदिर के निर्माण में गुणवत्ता का खास ध्यान रखा जा रहा है।

विशेष अवसरों पर बाहर निकाली जाएगी रामलला की चल मूर्ति

रामलला विराजमान की मूर्ति बाल स्वरूप में है। उनके हाथ में एक खिलौना है। श्रीराम की नई बन रही मूर्ति में राम 4-5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। बाल स्वरूप में छोटी मूर्ति होने से भक्तों को रामलला विराजमान के दर्शन में दिक्कत होती है। गर्भगृह के सामने होने पर भी भक्तों को छोटी मूर्ति के दर्शन नहीं हो पाते, इसलिए श्रीराम की एक बड़ी मूर्ति बनाई जा रही है। विशेष अवसरों पर या झांकी जैसे कार्यक्रमों में रामलला की चल मूर्ति को गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक भक्त उनके दर्शन कर सकें, लेकिन अचल मूर्ति हमेशा-हमेशा के लिए गर्भगृह में ही स्थापित रहेगी।

पूर्वी द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे रामलला के भक्त

रामलला के भक्त पूर्वी द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे और 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार तक पहुंचेंगे, जहां से वे मंडप में प्रवेश करेंगे। रंग मंडप, नृत्य मंडप, प्रार्थना मंडप, कीर्तन मंडप और गूढ़ मंडप, इन 5 मंडपों से होकर भक्त गर्भगृह के करीब तक जाएंगे। सिंहद्वार से गर्भगृह तक पहुंचने के लिए भक्तों को 390 फीट चलना होगा। राम मंदिर का उत्तरी दरवाजा आम दिनों में नहीं खुलेगा और सिर्फ विशेष मौकों पर ही खोला जाएगा। उत्तरी गेट के बाहर का पूरा प्लान अभी नहीं बना है, लेकिन अनुमान है कि यह गेट VVIP एंट्री के लिए रिजर्व रहेगा।

राम मंदिर के नींव की भराई में ही लगे हैं 6 महीने

देश के बड़े तकनीकी संस्थानों की एक टीम ने राम जन्म भूमि पर निर्माण की बारीकियों का अध्ययन किया, फिर हैदराबाद के नेशनल जियो रिसर्च इंस्टीट्यूट ने GPR सर्वे करके खुदाई का सुझाव दिया। 3 महीने में 1 लाख 85 हजार क्यूबिक मीटर मिट्टी खोदकर निकाली गई, जिसके बाद गर्भगृह के नीचे 14 मीटर गहरा और उसके अगल बगल 12 मीटर गड्ढा तैयार किया गया। इसके बाद 12 ईंच मोटी कॉम्पैक्ट कंक्रीट की परत को 10 टन के रोलर से दबाकर 10 ईंच का बनाया जाता और उसके ऊपर कॉम्पैक्ट कंक्रीट की एक और परत डाली जाती।

मंदिर को मजबूती देने के लिए चबूतरे में लगाया गया ग्रेनाइट

गर्भगृह में इस तरह की 56 और उसके बगल के हिस्से को ऐसी 48 परत भरकर राफ्ट तैयार की गई जिस पर राम मंदिर निर्माण का काम शुरू हुआ। नींव भराई के इस काम में करीब 6 महीने लगे। राफ्ट तैयार हो जाने के बाद विशेष रूप से समतल की गई जमीन के ऊपर ग्रेनाइट के पत्थरों को जमाने का काम शुरू हुआ। राम मंदिर के चबूतरे में 17 हजार ग्रेनाइट ब्लॉक्स लगे और एक-एक ग्रेनाइट ब्लॉक 20-20 क्विंटल का है। इस तरह चबूतरे में 6 लाख 16 हजार घन फीट ग्रेनाइट पत्थर लगा। चबूतरे के नीचे राफ्ट तैयार करने में M-35 ग्रेड का 9500 घन मीटर कॉम्पैक्ट कंक्रीट यूज़ हुआ। चबूतरे में ग्रेनाइट इसलिए लगाया गया ताकि मंदिर को मजबूती मिले।

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राम मंदिर में राम दरबार को भी स्थापित किया जाएगा।

गर्भगृह के निर्माण में रखा गया है कई बातों का ध्यान

5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस जगह मंदिर का भूमि पूजन किया था, ठीक उसी जगह पर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। श्रीराम मंदिर का गर्भगृह सेमी सिलेंड्रिकल शेप का होगा। यह पूरी तरह वास्तु आधारित है जिसका डिजाइन राम मंदिर के आर्किटेक्ट सोमपुरा ने तैयार किया है। गर्भगृह को सेमी सिलेंड्रिकल रखने का एक और कारण है। गर्भगृह को वर्गाकार या आयताकार बनाने से दर्शनार्थियों का ध्यान दीवार में संगमरमर की नक्काशियों पर अधिक जाता। सेमी सिलेंड्रिकल शेप में होने पर भक्तों का मेन फोकस रामलला की मूर्ति पर रहेगा। 

कहां से लाए गए भगवान राम के भव्य मंदिर के पत्थर?

भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी बलुआ पत्थर, तेलंगाना की खदानों के ग्रेनाइट और मकराना के सफेद संगमरमर लाए गए हैं। राम मंदिर हिंदुस्तान के हर कोने से लाई गई चीजों से सुसज्जित हो रहा है। मंदिर के दरवाजे महाराष्ट्र के चंद्रपुर से लाए गए सागौन की लकड़ी से बनाए जा रहे हैं। गर्भगृह के दरवाजे पर सागौन की लकड़ी के ऊपर शुद्ध सोना मढ़ा होगा। श्रीराम का जयकारा लगाते हुए रामभक्त जब सिंहद्वार से गर्भगृह की ओर बढ़ेंगे, मंदिर की दीवारें और पिलर गुलाबी बलुआ पत्थरों की जगह सफेद संगमरमर में बदलते जाएंगे।

मंडपों से गुजरते वक्त जीवंत होगा 500 सालों का इतिहास

राम मंदिर के 5 मंडपों से गुजरते समय हिंदुओं के 500 साल का संघर्ष जीवंत हो जाएगा। गर्भगृह के ठीक सामने गूढ़ मंडप है जो भक्तों के लिए लास्ट स्टॉपेज होगा। इससे आगे रामलला का गर्भगृह है जहां स्वयं प्रभु श्रीराम विराजित होंगे। गूढ़ मंडप सबसे बड़ा है, इसकी ऊंचाई भी ज़्यादा है। अभी ग्राउंड फ्लोर का काम हुआ है और पहले और दूसरे फ्लोर का काम अभी चल रहा है। गूढ़ मंडप से पहले आता है नृत्य मंडप जो विश्वास और आस्था का शीर्ष है। इसी तरह रंग मंडप यानी, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप अपने नाम के अनुसार महत्व रखते हैं। राम मंदिर का हर मंडप नागर शैली में बनाया जा रहा है।

पहले फेज के निर्माण के बाद हो रही प्राण प्रतिष्ठा, शुरू होंगे दर्शन

श्री राम मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर करीब 170 पिलर हैं और हर पिलर पर 25 से 30 देवी देवताओं और देवांगनाओं की मूर्तियां तराशी जा रही हैं। इस साल दिसंबर के अंत तक 70 पिलर पर ही मूर्तियां तराशने का काम होगा। ये 70 पिलर उस मार्ग पर लगे हैं जहां से श्रद्धालु रामलला के दर्शन के लिए जाएंगे। निर्माण का फर्स्ट फेज कंप्लीट होने के बाद प्राण प्रतिष्ठा होगी, रामलला के दर्शन शुरू होंगे, उसके बाद भी फर्स्ट फ्लोर और सेकेंड फ्लोर का काम चलता रहेगा। सेकेंड फेज में फर्स्ट फ्लोर, शिखर, लोअर प्लिंथ और पेरिफेरी यानी परकोटे का निर्माण होगा। इस फेज में 13 छोटे मंदिरों का निर्माण होगा और एक मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। यह फेज दिसंबर 2024 तक पूरा होगा।

पहली मंजिल पर होगा राम दरबार, राम-जानकी की होंगी मूर्तियां

मंदिर में राम दरबार फर्स्ट फ्लोर पर होगा जहां श्रीराम-जानकी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी का मूर्तियां होगीं। इसके ऊपर भी एक फ्लोर होगा जहां आम श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं होगी। राम मंदिर के अंदर 14 मंदिर भी होंगे जिनके बारे में हम आपको आगे विस्तार से बताएंगे। जहां तक परकोटे का सवाल है, तो यह राम मंदिर के चारों ओर आयताकार आकृति है, उसी को परकोटा कहते हैं। एक अनुमान है कि राम मंदिर निर्माण पर करीब 1800 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इनमें से मुख्य मंदिर बनाने में 700-800 करोड़ का ख़र्च होगा जबकि परकोटा बनाने पर 950 करोड़ का खर्च होगा।

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मंदिर में भगवान शिव की भी मूर्ति होगी।

परकोटे की लंबाई 795 मीटर, 4 कोनों पर होंगे 4 मंदिर

राम मंदिर में दर्शन के बाद भक्तगण इसी परकोटे में चलकर मंदिर परिक्रमा करेंगे। यह परकोटा 795 मीटर लंबा और सवा चार मीटर चौड़ा होगा। यह एक तरह से मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था का भी हिस्सा होगा। इस परकोटे का आउटर वॉल बंद होगा, जबकि इनर वॉल मंदिर की तरफ खुला होगा जिससे परिक्रमा करते हुए भी भक्तगण मंदिर को निहार सकेंगे। परकोटे में कांसे के 100 पैनल लगाए जाएंगे जिनमें भगवान राम के आदर्शों के चित्र होंगे। परकोटे के 4 कोनों पर 4 मंदिर होंगे जिनमें एक भगवान सूर्य का, दूसरा भगवान शंकर का, तीसरा गणपति का और चौथा मंदिर देवी भगवती का होगा। परकोटे की दक्षिणी भुजा में हनुमान और उत्तरी भुजा में अन्नपूर्णा माता का मंदिर होगा।

शिव मंदिर का होगा जिर्णोद्धार, स्थापित होगी जटायु की प्रतिमा

मंदिर के दक्षिणी भाग में पौराणिक सीताकूप होगा। परकोटे के बाहर कुल 7 मंदिर होंगे जिनमें पहला मंदिर महर्षि वाल्मीकि का, दूसरा महर्षि वशिष्ठ का, तीसरा महर्षि विश्वामित्र का, चौथा महर्षि अगस्त्य का, पांचवा निषादराज का, छठा माता शबरी का और सातवां मंदिर देवी अहिल्या का होगा। राम मंदिर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में कुबेर टीले पर एक शिव मंदिर है इसका जीर्णोद्धार होगा और राम भक्त जटायु की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। खास बात बता दें कि राम मंदिर में न तो लोहे का इस्तेमाल हो रहा है, न ही सीमेंट लगा है और न ही स्टील का इस्तेमाल हुआ है।

शुद्ध सोने से बना होगा सिंहासन, राम मंदिर में होंगे 42 दरवाजे

राम मंदिर पूर्व-पश्चिम दिशा में 380 फीट लंबा, उत्तर-दक्षिण दिशा में 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। 3 मंजिले राम मंदिर में प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी। मंदिर में बलुआ पत्थर के 392 पिलर लगाए जाएंगे। ग्राउंड फ्लोर पर 166 पिलर, फर्स्ट फ्लोर पर 177 पिलर और सेकेंड फ्लोर पर 82 पिलर होंगे। हर पिलर पर 25-30 मूर्तियां उकेरी जाएंगी। पिलर्स पर कुल 9,800 मूर्तियां होंगी जबकि दीवारों पर 10 हजार से ज्यादा मूर्तियां होंगी। मंदिर का सिंहासन शुद्ध सोने का बना होगा और इसमें कुल 42 दरवाजे होंगे। सिंहद्वार पर हाथी और शेर की प्रतिमाएं होंगी जबकि परिधि मार्ग पर मूर्तियों में राम कथा के दर्शन होंगे।

विदेश से भी मिला करीब 2000 करोड़ रुपये का चंदा

राम मंदिर को तैयार करने के लिए ढाई हजार लोग दिन-रात काम कर रहे हैं और 3 शिफ्ट में इसका निर्माण किया जा रहा है। मेटल के नाम पर सिर्फ शुद्ध तांबे के पत्तरों का इस्तेमाल हुआ है, वह भी कुछ पत्थरों को जोड़ने के लिए। राम मंदिर निर्माण और मंदिर की साज-सज्जा पर करीब 2000 करोड़ रुपये का खर्च आ रहा है जो कि शत-प्रतिशत दान से आया है। सरकार ने इसमें टैक्सपेयर्स का एक पैसा नहीं लगाया। राम मंदिर के लिए देश भर के करीब 4 लाख गांवों से चंदा आया। विदेश से चंदा लेने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का FCRA एकाउंट अब जाकर खुला है। एक अनुमान के मुताबिक उस खाते में भी करीब 2000 करोड़ रुपये का चंदा आ गया है।

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