Sunday, December 07, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. Explainers
  3. Explainer: वन नेशन वन इलेक्शन बिल, संसद के बाद जेपीसी के पास, जानें आगे क्या होगा

Explainer: वन नेशन वन इलेक्शन बिल, संसद के बाद जेपीसी के पास, जानें आगे क्या होगा

वन नेशन वन इलेक्शन बिल मंगलवार को सदन में पेश किया गया। अब यह बिल संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी के पास भेजा जाएगा। उसके बाद क्या होगा जानिए इस एक्सप्लेनर में...

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : Dec 18, 2024 07:45 am IST, Updated : Dec 18, 2024 07:47 am IST
वन नेशन वन इलेक्शन में आगे क्या- India TV Hindi
वन नेशन वन इलेक्शन में आगे क्या

सरकार ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले विधेयक एक राष्ट्र एक चुनाव (one nation one elction bill) और उसी से जुड़ा दूसरा विधेयक मंगलवार को संसद के निचले सदन में पेश कर दिया। इस बिल का विपक्षी दलों भारी विरोध किया। देश के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले ‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और उससे जुड़े ‘संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024’ को निचले सदन में पेश किया। इसे लेकर सभापति ने सदन में वोटिंग कराई, जिसमें विधेयक को पेश किए जाने के पक्ष में 269 वोट, जबकि विरोध में 198 वोट पड़े।

संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक, 2024

मंत्री केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पेश किया, जिसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू कश्मीर, पुडुचेरी और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के चुनावों को संरेखित करना है।

वन नेशन वन इलेक्शन बिल में आगे क्या होगा

Image Source : FILE
वन नेशन वन इलेक्शन बिल में आगे क्या होगा

जेपीसी क्या है और उसकी भूमिका क्या होगी?

  
संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी का गठन सदन में संख्याबल के आधार पर किया जाता है। सरकार ने वन नेशन वन इलेक्शन बिल को सदन में पेश करने के बाद जेपीसी के पास भेजा है। जेपीसी का गठन विभिन्न दलों के सांसदों की संख्या के मुताबिक आनुपातिक आधार पर किया जाएगा। सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को समिति की अध्यक्षता मिलेगी और इसके कई सदस्य इसमें शामिल होंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली उच्चस्तरीय समिति के सदस्य रहे गृह मंत्री अमित शाह विधेयक पेश किए जाने के दौरान निचले सदन में उपस्थित रह सकते हैं। 

वन नेशन वन इलेक्शन बिल में आगे क्या होगा

सरकार ने  जेपीसी का काम होगा इस बिल पर व्यापक विचार-विमर्श करना और विभिन्न पक्षकारों और विशेषज्ञों से इसे लेकर चर्चा करना और फिर उसके बाद अपनी सिफारिशें सरकार को देना। तो इस तरह इस बिल को लेकर जेपीसी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है और अब उससे अपेक्षा की जाती है कि वह व्यापक परामर्श करने के बाद लोगों की राय भी ले। अगर यह विधेयक संसद के दोनों सदनों में पास हो जाता है, तो पूरे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने का रास्ता साफ हो जाएगा।

कानून के विशेषज्ञों ने क्या कहा

इस बिल के बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है, 'आप सीधे तौर पर राज्य और स्थानीय निकाय चुनावों को प्रभावित कर रहे हैं और यह राज्यों की मंजूरी के बिना नहीं हो सकता है।'  वहीं, इस बारे में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे का कहना है, 'जबकि संविधान संशोधन के लिए विशेष बहुमत जरूरी है, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम जैसे अन्य कानूनों में बदलाव साधारण बहुमत से किया जा सकता है।' यह बिल न सिर्फ संसद में, बल्कि सुप्रीम कोर्ट में भी संवैधानिक और कानूनी परीक्षा से गुजरेगा। इस बिल की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह संवैधानिक ढांचे, संघीय ढांचे और लोकतंत्र के सिद्धांतों पर कितना खरा उतरता है।

सत्ता पक्ष और विपक्ष ने क्या कहा

विपक्ष ने इन मसौदा कानूनों को संविधान के मूल ढांचे और देश के संघीय ढांचे पर हमला बताया। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोनों विधेयकों को पेश किए जाने को ‘ऐतिहासिक दिन’ बताया और कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने का मुद्दा दो दशकों से लंबित था, जबकि चुनाव आयोग, विधि आयोग और राजनीतिक विचारकों ने कई बार इसकी सिफारिश की थी।

वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य

संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 'वन नेशन, वन इलेक्शन' (ONOE) लागू करने के उद्देश्य से लाया गया है. इसका मकसद लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना है. यह बिल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर आधारित है. इसका लक्ष्य चुनावी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, बार-बार चुनावों के कारण होने वाले वित्तीय और प्रशासनिक बोझ को कम करना और बेहतर शासन सुनिश्चित करना है.  

इस बिल के तहत संविधान के कई प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव है, जैसे अनुच्छेद 83 (संसद का कार्यकाल), अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल), और संविधान में एक नया अनुच्छेद 82A जोड़ने का प्रस्ताव भी है, जो पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की अनुमति देगा। 

राज्य विधानसभाओं की मंजूरी भी जरूरी
  
अनुच्छेद 368(2) के दूसरे प्रावधान के अनुसार, राज्य की विधानसभाओं की मंजूरी जरूरी है। वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी का कहना है, 'जब राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल और चुनाव प्रक्रिया में बदलाव हो रहा है, तो राज्यों की सहमति के बिना यह संभव नहीं हो सकता। हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा का मानना है कि राज्यों की मंजूरी जरूरी नहीं है, क्योंकि इस बिल में सातवीं अनुसूची में किसी प्रविष्टि में बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।'  

(एजेंसी इनपुट के साथ)

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें Explainers सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement