Friday, April 26, 2024
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‘लव जिहाद’ कानून के मामले पर अब सुप्रीम कोर्ट जाएगी गुजरात सरकार: पटेल

गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य के धर्मांतरण विरोधी नए कानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर 19 अगस्त को रोक लगा दी थी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 27, 2021 21:58 IST
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Image Source : PTI गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल कहा कि राज्य सरकार आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

अहमदाबाद: गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार हाई कोर्ट के पिछले सप्ताह के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी जिसमें धर्म परिवर्तन के खिलाफ विवादास्पद कानून की कुछ धाराओं, जिनमें मूल प्रवाधान भी शामिल हैं, पर रोक लगाई गई है। गुजरात हाई कोर्ट ने अन्य धाराओं समेत धारा 5 के उपयोग पर रोक लगा दी थी, जो मुख्य रूप से शादी के माध्यम से धर्मांतरण से संबंधित हैं। वहीं, राज्य की बीजेपी सरकार के अनुसार, यही धारा पूरे अधिनियम का 'मूल' है और इस पर रोक से पूरा कानून प्रभावित होता है।

‘लव जिहाद विरोधी कानून नाम से लोकप्रिय है’

पटेल ने कहा, 'गुजरात सरकार अपनी आय, जीवन शैली और धर्म के बारे में झूठ बोलकर लड़कियों को फंसाने की कोशिश करने वाले असामाजिक तत्वों से बेटियों को बचाने के लिए इस कानून को लायी जोकि लव जिहाद विरोधी कानून के रूप में लोकप्रिय है। लड़कियों को शादी के बाद पता चलता है कि पुरुष दूसरे धर्म का है और कुछ नहीं कमाता। चूंकि कुछ लोगों ने नए कानून के प्रावधानों को चुनौती दी है, उच्च न्यायालय ने हाल ही में कानून पर रोक लगा दी है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों और हमारे महाधिवक्ता से परामर्श करने के बाद मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने इस रोक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है।'

गुजरात हाई कोट ने कई धाराओं पर लगाई रोक
गौरतलब है कि गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य के धर्मांतरण विरोधी नए कानून की अंतरधार्मिक विवाह संबंधी कुछ धाराओं के क्रियान्वयन पर 19 अगस्त को रोक लगा दी थी। विवाह के माध्यम से जबरन या धोखाधड़ी से धर्म परिवर्तन के लिए दंडित करने वाले गुजरात धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 को राज्य सरकार ने 15 जून को अधिसूचित किया गया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने पिछले महीने दाखिल एक याचिका में कहा था कि कानून की कुछ संशोधित धाराएं असंवैधानिक हैं। अदालत ने आगे की सुनवाई लंबित रहने तक धारा 3, 4, 4 ए से लेकर धारा 4 सी, 5, 6 एवं 6 ए को लागू करने पर रोक लगा दी थी।

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