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2 दिन पहले मां बनी और इंटरव्यू के लिए 300KM दूर बुला लिया... GPSC पर भड़का गुजरात हाईकोर्ट

महिला ने 31 दिसंबर, 2023 को बच्चे को जन्म दिया था और जीपीएससी को एक ईमेल के माध्यम से सूचित किया था कि उसने अभी-अभी एक बच्चे को जन्म दिया है और अनुरोध किया कि इंटरव्यू या तो स्थगित कर दिया जाए या उसे इसके लिए कोई वैकल्पिक समाधान दिया जाए।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Jan 16, 2024 13:06 IST, Updated : Jan 16, 2024 13:06 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य लोक सेवा आयोग को “पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता” के लिए फटकार लगाई है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की जिसमें गुजरात लोक सेवा आयोग (GPSC) ने एक महिला उम्मीदवार के इंटरव्यू को स्थगित करने या कोई विकल्प प्रदान करने का अनुरोध ठुकरा दिया था। महिला ने कहा था कि वह बच्चे को जन्म देने के 2 दिन बाद इंटरव्यू के लिए उपस्थित होने की स्थिति में नहीं है।

लैंगिक असंवेदनशीलता पर कोर्ट ने लगाई फटकार

जस्टिस निखिल कारियल की कोर्ट ने कहा कि उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका में हस्तक्षेप की आवश्यकता है और जीपीएससी को नोटिस जारी कर 12 जनवरी तक जवाब मांगा। कोर्ट ने आयोग को सहायक प्रबंधक (वित्त और लेखा) श्रेणी -2 के पद के लिए इंटरव्यू के रिजल्ट घोषित नहीं करने का भी निर्देश दिया, जिसके लिए महिला ने आवेदन किया था। कोर्ट ने 9 जनवरी के अपने आदेश में कहा, “याचिका में उठाई गई शिकायत सबसे पवित्र प्राकृतिक प्रक्रियाओं में से एक यानी बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया के प्रति प्रतिवादियों की पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाती है।’’ याचिकाकर्ता ने 2020 में जीपीएससी द्वारा विज्ञापित पद पर चयन के लिए लिखित परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसको एक या दो जनवरी, 2024 को इंटरव्यू की तारीखों के बारे में 18 दिसंबर, 2023 को सूचित किया गया था।

महिला ने 31 दिसंबर को दिया बच्चे को जन्म

याचिकाकर्ता ने उसी दिन जीपीएससी को एक ईमेल लिखकर सूचित किया कि वह प्रेग्नेंट है और उसकी प्रसव तिथि जनवरी 2024 के पहले हफ्ते में है और उसके लिए गर्भावस्था के अंतिम चरण में लगभग 300 किमी दूर गांधीनगर की यात्रा करना असंभव होगा। याचिकाकर्ता महिला ने 31 दिसंबर, 2023 को बच्चे को जन्म दिया और जीपीएससी को एक ईमेल के माध्यम से सूचित किया कि उसने अभी-अभी एक बच्चे को जन्म दिया है और अनुरोध किया कि इंटरव्यू या तो स्थगित कर दिया जाए या उसे इसके लिए कोई वैकल्पिक समाधान दिया जाए। जीपीएससी ने अपने जवाब में याचिकाकर्ता को दो जनवरी को इंटरव्यू के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा। उसने बताया कि उस तारीख के बाद अभ्यर्थी को कोई और समय नहीं दिया जाएगा।

3 साल बाद घोषित हुए थे रिजल्ट

हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा पद के लिए आवेदन करने के तीन साल बाद लिखित परीक्षा के परिणाम आठ दिसंबर, 2023 को घोषित किए गए थे। महिला के लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उसे इंटरव्यू के लिये बुलाया गया था। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “इस कोर्ट की सुविचारित राय में प्रतिवादियों द्वारा ऐसा उत्तर पूर्ण लैंगिक असंवेदनशीलता को दर्शाता है, विशेष रूप से तब जब यह स्पष्ट था कि याचिकाकर्ता जो एक मेधावी उम्मीदवार थी, बच्चे को जन्म देने के बाद तीसरे दिन इंटरव्यू में भाग लेने में शारीरिक रूप से सक्षम नहीं होगी।”

कोर्ट ने कहा कि जब ऐसी स्थिति में उम्मीदवार द्वारा उचित अनुरोध किया गया था तो यह जीपीएससी पर निर्भर था कि या तो इंटरव्यू प्रक्रिया को स्थगित कर दिया जाए या ऑनलाइन इंटरव्यू जैसा वैकल्पिक समाधान प्रदान किया जाए, यदि यह नियमों के अनुसार स्वीकार्य हो। कोर्ट ने कहा कि चयन प्रक्रिया भी “तेज गति” से नहीं चल रही थी, वर्ष 2020 में जारी एक विज्ञापन के लिए लिखित परीक्षा के रिजल्ट दिसंबर 2023 में घोषित किए गए थे। (इनपुट- भाषा)

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