Sunday, April 28, 2024
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मिसाल! बीमार पिता को नाबालिक बेटी ने दी नई ज़िंदगी, देश की सबसे कम उम्र की अंगदाता बनी

केरल के कोच्चि में एक 17 वर्षीय लड़की ने लीवर की बीमारी से जूझ रहे अपने पिता को बचाने के लिए अपने लीवर का एक हिस्सा दान कर दिया है, जिसे देश में इस तरह का पहला मामला माना जा रहा है।

Poonam Yadav Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published on: February 20, 2023 18:40 IST
younger organ donor of india- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK younger organ donor of india

केरल में 17 वर्षीय बेटी ने अपने एक लिवर को दान कर अपने बीमार पिता को नई जिंदगी से नवाज़ा है। देश में किसी नाबालिग के लिवर दान करने का यह पहला मामला है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिता को लिवर दान करने के लिए बेटी को हाईकोर्ट में जंग लड़नी पड़ी क्योंकि कानूनन नाबालिग बच्चे अंगदान नहीं कर सकते हैं। नाबालिग के पिता लिवर की पुरानी बीमारी हेपैटोसेलुलर कैंसर से पीड़ित हैं।

केरल में कोच्चि के त्रिशूर जिले के कोलाजी की रहनेवाली देवानंदा जो महज 17 साल की हैं, उन्होंने पिछले साल दिसंबर में केरल हाईकोर्ट से अपने पिता प्रतीश को लिवर दान करने की अनुमति मांगी थी। लेकिन मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार नाबालिगों को अंगों के दान की अनुमति नहीं है। देवानंदा ने उम्र में छूट की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। देवानंदा ने कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे चुनौतीपूर्ण दौर था लेकिन इस बात की खुशी है कि अंगदान के कारण पिता को जीवन जीने का दूसरा मौका मिला है।”

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किसी का लीवर मैच नहीं हुआ

देवानंदा के पिता 48 वर्षीय प्रतीश त्रिशूर में एक कैफे चलाते थे। उन्हें लिवर कैंसर हो गया था। डॉक्टरों ने परिवार को जल्द से जल्द लिवर ट्रांसलप्लान्ट की सलाह द।  लेकिन घरवालों में से किसी का भी लिवर मैच नहीं हो रहा था। घरवालों ने डोनर ढूंढा लेकिन वो भी नहीं मिला। सिर्फ देवानंदा का लिवर ही पिता से मैच हो रहा था, लेकिन इसमें उसकी उम्र बाधा थी। उन्होंने कोशिश नहीं छोड़ी और पाया कि इसी तरह के एक मामले में एक नाबालिग बच्चे को अंगदान करने की अनुमति वाला एक अदालती आदेश है।

अस्पताल ने इलाज का खर्च किया माफ

राजागिरी अस्पताल के कार्यकारी निदेशक और सीईओ फादर जॉनसन वाझाप्पिल्ली सीएमआई ने एक बयान में कहा कि अंगदान करने वालों के लिए देवानंदा एक रोल मॉडल है। देवानंदा के काम से खुश होकर अस्पताल प्रशासन ने भी इलाज का पूरा खर्च माफ कर दिया है।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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