Thursday, March 28, 2024
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सरकार ने किसानों को फिर बातचीत के लिए बुलाया, 40 नेताओं को लिखा पत्र

सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 24, 2020 17:33 IST
सरकार ने किसानों को फिर बातचीत के लिए बुलाया, 40 नेताओं को लिखा पत्र- India TV Hindi
Image Source : PTI सरकार ने किसानों को फिर बातचीत के लिए बुलाया, 40 नेताओं को लिखा पत्र

नई दिल्ली: सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया, लेकिन स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित किसी भी नयी मांग को एजेंडे में शामिल करना ‘‘तार्किक’’ नहीं होगा, जिसका नए कृषि कानूनों से कोई संबंध नहीं है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इस संबंध में किसान नेताओं को पत्र लिखा है।

विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, ‘‘मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि सरकार प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है और ऐसा करती रहेगी। कृपया (अगले दौर की वार्ता के लिए) तारीख और समय बताएं।’’ गौरतलब है कि सरकार और किसान संगठनों के बीच पिछले पांच दौर की वार्ता का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

दिल्ली की सीमाओं पर लगभग एक महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हैं। अग्रवाल ने किसान यूनियनों से कहा कि वे उन अन्य मुद्दों का भी ब्योरा दें जिनपर वे चर्चा करना चाहती हैं। कृषि कानूनों का एमएसपी से कोई लेना-देना नहीं है और न ही इसका कृषि उत्पादों को तय दर पर खरीदने पर कोई असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वार्ता मंत्री स्तर पर नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में होगी। 

हालांकि, इसके दूसरी ओर गुरुवार को कृषि कानूनों के समर्थन में बागपत के किसान मजदूर संघ के 60 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से दिल्ली स्थित कृषि भवन में मुलाकात की। समर्थन में मुलाकात करने आए किसानों ने केंद्रीय कृषि मंत्री को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने कृषि कानूनों के लिए पत्र के जरिए लिखित समर्थन दिया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इसकी जानकारी दी।

उन्होंने कहा, "किसान मजदूर संग, बागपत के प्रतिनिधि कृषि भवन में आए। हमने उनका स्वागत किया। ये सभी किसान कृषि सुधार कानूनों का समर्थन करना चाहते हैं। इन्होंने मुझे समर्थन पत्र भी दिया। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानूनों में संशोधन के लिए सरकार को दबाव में आने की जरूरत नहीं है। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा सितंबर माह में लागू किए गए कृषि कानूनों का बड़ी संख्या में किसान विरोध कर रहे हैं।

पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा।

किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा और उन्हें रिण उपलब्ध कराने में मददगार कमीशन एजेंट ‘‘आढ़ती’’ भी इस धंधे से बाहर हो जायेंगे।

किसानों की अहम मांग इन तीनों कानूनों को वापस लेने की है, जिनके बारे में उनका दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। ये किसान प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक 2020 को भी वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। उन्हें आशंका है कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद उन्हें बिजली में मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो जाएगी। 

जिन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं वे कृषक उपज व्‍यापार और वाणिज्‍य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्‍तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्‍वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 हैं।

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