Saturday, April 27, 2024
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India TV Exclusive: रेगिस्तान में यूं चल रहा था सेना की जासूसी का खतरनाक खेल

India TV ने एक बड़ा खुलासा करते हुए पाकिस्तानी जासूसों के एक ऐसे नेटवर्क का खुलासा किया है जो हिंदुस्तान में बैठकर पाकिस्तानी सिमकार्ड का इस्तेमाल करते हुए भारतीय सेना का सीक्रेट प्लान सरहद पार पहुंचाते थे।

IndiaTV Hindi Desk IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 20, 2017 20:23 IST

Indian Spies Village

Indian Spies Village

यूं खुफिया जानकारी सरहद पार भेजते थे जासूस
रमज़ान खान और नबिया खान पर आरोप है कि पाकिस्तानी सिम कार्ड का इस्तेमाल करके ये भारतीय फौज के मूवमेंट की जानकारियां पाकिस्तान में बैठे ISI के अफसरों तक पहुंचाते थे। रमज़ान और नबिया के घर इसी गांव में हैं। इस गांव के हर शख्स के मोबाइल फोन पर और फोन पर होने वाली हर बातचीत पर खुफिया एजेंसिया तगड़ी नजर रखती हैं, क्यों जरा सी लापरवाही देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। जासूसों का यह नेटवर्क एक पाकिस्तानी मेजर के इशारे पर काम करता था। यह लोग सरहद के आसपास चरवाहों को अपने जासूसी का काम सौंपते थे। चरवाहे अपना मवेशी लेकर बॉर्डर के बेहद करीब जाते थे और भेड़-बकरियों की आड़ में अपने काम को अंजाम देते थे।

पढ़ें, बातचीत के कुछ अंश:

जासूस- हैलो.. मैं अहमद बोल रहा हूं।

पाकिस्तानी मेजर- क्या हाल भाई जान?

जासूस- सब खैरियत।

पाकिस्तानी मेजर- मेरा काम हो गया?

जासूस- हां.. तस्वीर भेज दी।

पाकिस्तानी मेजर- ठीक है.. मिठाई तुम्हारे पास पहुंच जाएगी। 

जासूस- आपने जो डिटेल मांगी थी वो मैंने भेज दी है।

पाकिस्तानी मेजर- ठीक है।

जासूस- लेकिन इधर सीआईडी की मूवमेंट बढ़ गई है।

पाकिस्तानी मेजर- कोई बात नहीं, मोबाइल अड्डे पर छिपा देना।

जासूस- ठीक है।

अब तक की तफ्तीश में खुलासा हुआ है कि रमजान और नबिया एक पाकिस्तानी मेजर के सीधे संपर्क में थे और उसी मेजर के कहने पर हिंदुस्तान के सीक्रेट पाकिस्तान भेजते थे। देखने में बेहद साधारण दिखने वाले रमजान और नाबिया ने जासूसी के लिए वे तरीके अपनाए, जिसका पता लगाने के लिए खुफिया एजेंसियों को महीनों तक माथापच्ची करनी पड़ी। जासूसी के लिए ISI के मोहरे चरवाहे बनकर सरहद की ओर जाते और बॉर्डर के बेहद करीब एक सीक्रेट पर, जहां पाकिस्तानी सिमकार्ड के साथ मोबाइल नंबर छिपाकर रखा होता था, मिलते थे। पाकिस्तानी सिमकार्ड वाले इस मोबाइल फोन के जरिए सभी जासूस सीधे पाकिस्तानी मेजर से बात करते और जो भी जानकारी होती उसे तुरंत पाकिस्तान भेज देते।

ऐसे पकड़ में आए ‘देश के गद्दार’
जासूसी के इस तरीके का खुलासा होते ही खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए, क्योंकि पाकिस्तान ने सरहद के बेहद करीब मोबाइल टॉवर लगा रखे थे। इन्हीं टॉवर्स की वजह से पाकिस्तानी सिमकार्ड हिंदुस्तानी इलाके में भी काम करते थे। खुफिया एजेंसियां काफी वक्त से नबिया और रमजान के खिलाफ सबूत की तलाश में थीं। पहला क्लू फरवरी महीने में मिला जब हाजी खां नाम का एक शख्स जासूसी के आरोप में पकड़ा गया। नबिया और रजमान हाजी के साथ मिलकर पाकिस्तानी मेजर के लिए काम करते थे। हाजी के गिरफ्त में आते ही नबिया और रमजान ने जासूसी बंद कर दी थी, लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के भारी दबाव के बाद एक बार फिर जासूसी करने लगे। ठोस सबूत मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों ने दोनों को दबोच लिया।

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