Friday, April 26, 2024
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CBI, एनआईए, ईडी के दफ्तरों में भी नाइट विजन वाले सीसीटीवी लगाएं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीसीटीवी सिस्टम जो लगाए जाने हैं, उन्हें नाइट विजन से लैस होना चाहिए और जरूरी है कि ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी शामिल हो।

IANS Reported by: IANS
Published on: December 03, 2020 8:32 IST
CBI, एनआईए, ईडी के...- India TV Hindi
Image Source : REPRESENTATIONAL IMAGE CBI, एनआईए, ईडी के दफ्तरों में भी नाइट विजन वाले सीसीटीवी लगाएं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि जब भी पुलिस स्टेशनों पर बल प्रयोग किए जाने की सूचना आती है, जिस कारण गंभीर चोट या हिरासत में मौतें होती हैं, तो यह आवश्यक है कि व्यक्ति समाधान के लिए शिकायत करने को स्वतंत्र हों। इस पृष्ठभूमि में, शीर्ष अदालत ने केंद्र को राष्ट्रीय जांच एजेंसी, केंद्रीय जांच ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, राजस्व खुफिया निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो आदि जैसी जांच एजेंसियों के कार्यालयों में सीसीटीवी कैमरे और रिकॉर्डिग उपकरण स्थापित करने का निर्देश दिया, जिनके पास गिरफ्तारी की शक्ति है और पूछताछ करने की शक्ति है।

न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति के.टी. जोसेफ और अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "चूंकि इनमें से ज्यादातर एजेंसियां अपने कार्यालय (एस) में पूछताछ करती हैं, इसलिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से उन सभी कार्यालयों में लगाए जाएंगे जहां इस तरह की पूछताछ और आरोपियों की पकड़ उसी तरह होती है जैसे किसी पुलिस स्टेशन में होती है।"

शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीटीवी सिस्टम जो लगाए जाने हैं, उन्हें नाइट विजन से लैस होना चाहिए और जरूरी है कि ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी शामिल हो। सबसे महत्वपूर्ण, यह कहा गया कि सीसीटीवी कैमरा फुटेज का भंडारण है जो डिजिटल वीडियो रिकार्डर या नेटवर्क वीडियो रिकार्डर में किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों को फिर इस तरह के रिकॉर्डिग सिस्टम के साथ स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उस पर संग्रहीत डेटा को 18 महीनों तक संरक्षित किया जा सके।

2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार हनन रोकने के लिए थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा कि 24 नवंबर तक 14 राज्य सरकारों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन हलफनामे और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन इनमें से अधिकांश रिपोर्ट प्रत्येक पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों की सही स्थिति का खुलासा करने में विफल रही।

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