Tuesday, March 19, 2024
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न्यूजरूम में काम कर रहे पत्रकारों के खिलाफ केस दायर करने पर सख्त ऐतराज: NBA

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एन.बी.ए.) मुम्बई में हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम से चिन्तित है, क्योंकि रिपब्लिक टीवी और मुम्बई पुलिस के बीच टकराव से मीडिया और पुलिस, इन दोनों प्रमुख संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: October 24, 2020 21:18 IST
NBA opposes victimisation of Republic TV journalists- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV NBA opposes victimisation of Republic TV journalists

न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एन.बी.ए.) मुम्बई में हाल के दिनों में हुए घटनाक्रम से चिन्तित है, क्योंकि रिपब्लिक टीवी और मुम्बई पुलिस के बीच टकराव से मीडिया और पुलिस, इन दोनों प्रमुख संस्थानों की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा के लिए खतरा उत्पन्न हो गया है। एन.बी.ए. इस बात को लेकर भी चिन्तित है कि टीवी न्यूज़रूम में काम करने वाले पत्रकारों को अब इस दुर्भाग्यजनक टकराव में निशाना बनाया गया है।

रिपब्लिक टीवी जिस तरह की  पत्रकारिता करता है एनबीए उस का समर्थन नहीं करता, हालाँकि रिपब्लिक टीवी एनबीए का सदस्य नहीं है और हमारी अचार संहिता का पालन नहीं करता, तो भी इसके एडिटोरियल स्टाफ के खिलाफ केस दायर करने की कार्यवाही पर हमें सख्त ऐतराज़ है। हम भारत के संविधान में मीडिया को दो गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  के पक्षधर हैं, लेकिन इसके साथ ही हम पत्रकारिता में नैतिकता के मानदंडों और रिपोर्टिंग में निष्पक्षता और सन्तुलन बनाये रखने के हिमायती भी हैं।

एन. बी.ए. न्यूज़रूम में काम करने वाले पत्रकारों को शिकार बनाये जाने के किसी भी प्रयास की निन्दा करता है, लेकिन साथ ही मीडिया की तरफ से बदले की भावना से की गई रिपोर्टिंग का भी विरोध करता है। हम ऐसी आधारहीन खबरें दिखाए जाने की निंदा करते हैं जो नियम क़ानून को लागू करवाने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के काम में बाधा डालती है।

मुम्बई पुलिस से हमारी अपील है कि वह किसी भी पत्रकार को इस टकराव में निशाना न बनने दें। हम रिपब्लिक टीवी में काम करने वाले सभी पत्रकारों से अपील करते हैं कि वे पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा को न लांघें, जैसा बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा उन के केस में कॉमेंट किया गया है। 

एन. बी.ए  इस बात को दोहराना चाहता है कि वह पत्रकारिता में नफरत पैदा करने वाली खबरों और  अनैतिक आचरण के सख्त खिलाफ है। न्यूज़ चैनल्स रिटायर्ड जस्टिस अर्जुन सीकरी की अध्यक्षता वाली नियामक संस्था एन. बी.एस.ए. (न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड्स ऑथरिटी) के आदेशों का सख्ती से पालन करते हैं। पिछले कई सालों से एन.बी.एस.ए. न्यूज चैनलों पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों पर कड़ी निगरानी रखता आया है। इसने देशके  बड़े बड़े न्यूज़ चैनलों और क्षेत्रीय चैनलों के ख़िलाफ़ करवाई की है, बहुत से मामलों में ,जुर्माना लगाने से लेकर माफ़ी मँगवाने और चेतावनी देने के अनेक आदेश दिए हैं जिनमें सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मामले भी शामिल हैं, हमारी अपील है कि जो न्यूज चैनल एन.बी.ए. के सदस्य नहीं हैं,उनसे भी  एन.बी.एस.ए. की गई आचार संहिता और दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा जाए।

एन.बी.ए. उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा कथित टी.आर.पी. हेराफेरी के मामले में मीडिया के खिलाफ खुली एफ.आई.आर. दायर करने की कार्रवाई पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त करता है। जिस तत्परता के साथ इस केस को रातोंरात सी.बी.आई. को ट्रांसफर किया गया, उससे इरादों को लेकर शंका पैदा होती है। एक व्यक्ति, जिसका इस मामले से कोई सरोकार नहीं है, कई अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एक शिकायत दायर करता है, और इसके कारण मीडिया, एडवर्टाइजर्स और एडवर्टाइजिंग एजेन्सियों के खिलाफ अंधाधुंध कार्रवाई वाली स्थिति पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है। सरकार से हमारी अपील है कि वह सी.बी.आई. को भेजे गए इस मामले को तत्काल वापस लें। 

टीआरपी से जुड़े मामलों  से निपटने के लिए BARC ने पहले ही एक मैकनिज़्म बना रखी है।रिटायर्ड जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता वाली एक इंटर्नल कॉमपिटेंट ऑथरिटी को  टी.आर.पी. में हेराफेरी जैसे मामलों की जांच के लिए अधिकृत किया गया है। टी.आर.पी. में हेराफेरी के सारे आरोप इस ऑथरिटी को सौंप दिया जाना चाहिए।

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